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Barat In bullock Carts: कांकेर में 15 बैलगाड़ियों पर निकली अनोखी बारात

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Published : Jun 9, 2023, 11:48 AM IST

Updated : Jun 10, 2023, 1:34 PM IST

छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक दो नहीं 15 बैलगाड़ियों पर बारात निकाली गई. आज के समय में जब हेलीकॉप्टर से दूल्हा अपनी दुल्हनिया को लेने पहुंच रहा है तो पिपली गांव का एक दूल्हा बैलगाड़ी में अपनी दुल्हन को लेने पहुंचा. इस अनोखी बारात की चर्चा ना सिर्फ जिले बल्कि पूरे प्रदेश में हो रही है.

wedding procession on bullock carts
बैलगाड़ी पर निकली बारात
बैलगाड़ियों पर निकली अनोखी बारात

कांकेर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोग पुरानी परंपरा को जीवित करने में लगे हैं. फिर चाहे वो छत्तीसगढ़ी स्टाइल में प्री वैडिंग शूट हो या बैलगाड़ी में बारात निकालना. कांकेर जिले में भी गुरुवार को एक शादी हुई. इस शादी की खास बात ये थी कि दूल्हा बैलगाड़ी में अपनी बारात लेकर पहुंचा. एक दो नहीं बल्कि 15 बैलगाड़ियों में निकली इस अनोखी बारात को देख लोग काफी उत्साहित नजर आए.

क्यों निकली बैलगाड़ी पर बारात: पुराने समय में गांवों में बैलगाड़ी पर ही बारात निकाली जाती थी. वक्त के साथ फैशन बदला और गांवों में भी बैलगाड़ी की जगह कार और दूसरी फोर व्हीलर गाड़ी ने ले ली. लेकिन छत्तीसगढ़ के युवा इस पुरानी परंपरा को वापस जिंदा कर रहे हैं. पिपली गांव के दूल्हे शंभूनाथ सलाम की शादी थी. शंभूनाथ की बारात पिपली से करकापाल जानी थी. कम खर्च में शादी को यादगार बनाने और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बारे में नई पीढ़ी को बताने शंभूनाथ ने बैलगाड़ी से बारात ले जाने की सोची और 15 बैलगाड़ियों का इंतजाम करवाया.

छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित करने की कोशिश: दूल्हा शंभूनाथ बड़गांव सर्कल के क्षेत्रीय गोंडवाना समाज का अध्यक्ष हैं. समाज को संदेश देने अपनी छत्तीसगढ़िया परंपरा को जीवंत करने के लिए लिए दूल्हे ने अपनी बारात बैलगाड़ी से ले जाने की प्लानिंग की. 15 बैलगाड़ियों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया और इस तरह बारात पिपली से करकापाल पहुंची. जहां जहां से बारात गुजरी, हर किसी ने रुक रुककर बारात को देखा और काफी उत्साहित दिखे.

बैलगाड़ी पर बारात की हमारी पुरानी परम्परा है. इसमें फिजूल खर्च नहीं होता है. परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाना ही हमारा उद्देश्य है. इसलिए विवाह के हर रस्म को छत्तीसगढ़िया संस्कृति के नाम कर दिया हूं. आधुनिक युग में प्राचीन और छत्तीसगढ़ी परम्परा खत्म होती जा रही है, जिसे संजोकर रखना हमारा कर्तव्य है. -शम्भू नाथ सलाम, दूल्हा

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कम खर्च में हुई यादगार शादी: शंभूनाथ की इस पहल का समाज के लोग सहित गांव वालों ने काफी तारीफ की. स्थानीय लोगों ने बताया कि बैलगाड़ी पर निकली इस अनोखी बारात को देख ऐसा लगा जैसे पुरानी परम्परा जीवंत हो गई. लोगों ने कहा कि इस तरह से शादी होने से फिजूल खर्च के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सराहनीय पहल की गई.

शंम्भू नाथ का यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को परम्परा से अवगत कराने का बेहतर तरीका है. युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और परम्पराओं को लेकर चल रही है. इससे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी. -सियाराम पुड़ो, सर्व समाज अध्यक्ष

बैलगाड़ी पर सवार दूल्हा को देखने करकापाल के लोग भी काफी उत्साहित दिखे. जब गांव में बारात पहुंची तो दूल्हे और बैलगाड़ी में सवार बारातियों को देखने भीड़ लग गई. दूल्हे और बारातियों का स्वागत किया गया. लोगों ने एक साथ सजी बैलगाड़ियों की फोटो खींची. कुछ लोगों ने बैलगाड़ी पर सवार दूल्हें के साथ सेल्फी ली. पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई.

बैलगाड़ियों पर निकली अनोखी बारात

कांकेर: छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोग पुरानी परंपरा को जीवित करने में लगे हैं. फिर चाहे वो छत्तीसगढ़ी स्टाइल में प्री वैडिंग शूट हो या बैलगाड़ी में बारात निकालना. कांकेर जिले में भी गुरुवार को एक शादी हुई. इस शादी की खास बात ये थी कि दूल्हा बैलगाड़ी में अपनी बारात लेकर पहुंचा. एक दो नहीं बल्कि 15 बैलगाड़ियों में निकली इस अनोखी बारात को देख लोग काफी उत्साहित नजर आए.

क्यों निकली बैलगाड़ी पर बारात: पुराने समय में गांवों में बैलगाड़ी पर ही बारात निकाली जाती थी. वक्त के साथ फैशन बदला और गांवों में भी बैलगाड़ी की जगह कार और दूसरी फोर व्हीलर गाड़ी ने ले ली. लेकिन छत्तीसगढ़ के युवा इस पुरानी परंपरा को वापस जिंदा कर रहे हैं. पिपली गांव के दूल्हे शंभूनाथ सलाम की शादी थी. शंभूनाथ की बारात पिपली से करकापाल जानी थी. कम खर्च में शादी को यादगार बनाने और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बारे में नई पीढ़ी को बताने शंभूनाथ ने बैलगाड़ी से बारात ले जाने की सोची और 15 बैलगाड़ियों का इंतजाम करवाया.

छत्तीसगढ़ की परंपरा को जीवित करने की कोशिश: दूल्हा शंभूनाथ बड़गांव सर्कल के क्षेत्रीय गोंडवाना समाज का अध्यक्ष हैं. समाज को संदेश देने अपनी छत्तीसगढ़िया परंपरा को जीवंत करने के लिए लिए दूल्हे ने अपनी बारात बैलगाड़ी से ले जाने की प्लानिंग की. 15 बैलगाड़ियों को खूबसूरत ढंग से सजाया गया और इस तरह बारात पिपली से करकापाल पहुंची. जहां जहां से बारात गुजरी, हर किसी ने रुक रुककर बारात को देखा और काफी उत्साहित दिखे.

बैलगाड़ी पर बारात की हमारी पुरानी परम्परा है. इसमें फिजूल खर्च नहीं होता है. परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाना ही हमारा उद्देश्य है. इसलिए विवाह के हर रस्म को छत्तीसगढ़िया संस्कृति के नाम कर दिया हूं. आधुनिक युग में प्राचीन और छत्तीसगढ़ी परम्परा खत्म होती जा रही है, जिसे संजोकर रखना हमारा कर्तव्य है. -शम्भू नाथ सलाम, दूल्हा

गरियाबंद में बैलगाड़ी पर निकली इंजीनियर दूल्हे की बारात
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कम खर्च में हुई यादगार शादी: शंभूनाथ की इस पहल का समाज के लोग सहित गांव वालों ने काफी तारीफ की. स्थानीय लोगों ने बताया कि बैलगाड़ी पर निकली इस अनोखी बारात को देख ऐसा लगा जैसे पुरानी परम्परा जीवंत हो गई. लोगों ने कहा कि इस तरह से शादी होने से फिजूल खर्च के साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सराहनीय पहल की गई.

शंम्भू नाथ का यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को परम्परा से अवगत कराने का बेहतर तरीका है. युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और परम्पराओं को लेकर चल रही है. इससे आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी. -सियाराम पुड़ो, सर्व समाज अध्यक्ष

बैलगाड़ी पर सवार दूल्हा को देखने करकापाल के लोग भी काफी उत्साहित दिखे. जब गांव में बारात पहुंची तो दूल्हे और बैलगाड़ी में सवार बारातियों को देखने भीड़ लग गई. दूल्हे और बारातियों का स्वागत किया गया. लोगों ने एक साथ सजी बैलगाड़ियों की फोटो खींची. कुछ लोगों ने बैलगाड़ी पर सवार दूल्हें के साथ सेल्फी ली. पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ शादी संपन्न हुई.

Last Updated : Jun 10, 2023, 1:34 PM IST
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