कांकेर: Bhanupratappur byelection in kanker सर्व आदिवासी समाज से चुने गए प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम पर आदिवासी समाज ने मुहर लगा दी है. अब कांग्रेस से सावित्री मंडावी, बीजेपी से ब्रह्मानंद नेताम और उसके अलावा सर्व आदिवासी समाज से अकबर राम कोर्राम चुनाव लड़ेंगे. भानुप्रतापपुर उपचुनाव में अब त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. अकबर राम कोर्राम कई जिलों के एसपी रहे हैं. अंत में डीआईजी के रूप में सेवाएं देने के बाद रिटायर हुए. अकबर राम कोर्राम को सर्व आदिवासी समाज ने अपना प्रत्याशी चुना है. ETV भारत ने सर्व आदिवासी समाज से चुने प्रत्याशी और आदिवासी समाज के लोगों से बात की...Triangular contest in Bhanupratappur byelection
उपचुनाव का दंगल चरम पर: भानुप्रतापपुर उपचुनाव का दंगल धीरे धीरे अपने चरम पर पहुंच रहा है. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बाद अब सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने वाला है.वहीं कांग्रेस ने प्रेसवार्ता कर बीजेपी प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के ऊपर दुष्कर्म में संलिप्तता जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. इस आरोप के बाद बीजेपी भी लगातार कांग्रेस के ऊपर हमलावर हो रही है. आदिवासी समाज गांव गांव में बैठक कर समाज के प्रत्याशी को वोट देने की अपील कर रहे हैं. Bhanupratappur byelection in kanker
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मैदान में हैं 7 प्रत्याशी: कुल 21 प्रत्याशियों में से 14 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. अब 7 प्रत्याशी भानुप्रतापपुर उपचुनाव के मैदान में हैं. कांग्रेस से सावित्री मंडावी, भाजपा से ब्रम्हानंद नेताम, अम्बेडकर राइट पार्टी से शिवलाल पुडो, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से घनश्याम जुर्री, राष्ट्रीय जनसभा से डायमंड नेताम, निर्दलीय आदिवासी समाज अकबर कोर्राम और दिनेश कुमार कल्लो निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं.
भाजपा और कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा: मंडावी के निधन से रिक्त हुए भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट में जीत भाजपा और कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा जैसी होगी. कांग्रेस इस सीट को हर हाल में बचाने में जुटी है. जो राज्य में कांग्रेस के मजबूत होने का संकेत देगी. वहीं भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मैच के नजरिये से लड़ेगी. भाजपा इस सीट को जीतकर 2023 में सत्ता का मजबूत दावेदार के तौर पर अपने को पेश करना चाहती है. कांग्रेस मनोज मंडावी की छवि को भुनाने के साथ सहानुभूति भी बटोरना चाहती है. वहीं आदिवासी समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण चुनौती होगी, भानूप्रतापपुर विधानसभा से उन्होंने भी अपना प्रत्याशी खड़ा किया है. आदिवासी स माज को अगर हार का मुंह देखना पड़ता है, तो आने वाले समय में आदिवासी समाज के लिए यह नुकसानदायक होगा.