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कांकेरः यहां फिर शुरू हुई नवरात्र पर देवी-देवताओं के जतरा की परंपरा - tradition

जिले के राजापारा में स्थित मां सिंहवाहनी मंदिर (Maa Singhwahani Temple) की प्रसिद्धि छत्तीसगढ़ के अलावा भारत के कई राज्यों में फैली हुई है. प्राचीन समय से माता के भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण (Wish Fulfilled) करने के लिए ज्योत जलाने नवरात्रि के समय यहां पहुंचते हैं. यहां 10 गांवों के देवी-देवता का जतरा (Jatra Of Gods And Goddesses) हुआ.

Tradition of Jatra of Gods and Goddesses on Navratri
नवरात्र पर देवी-देवताओं के जतरा की परंपरा
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Published : Oct 12, 2021, 2:50 PM IST

Updated : Oct 12, 2021, 8:33 PM IST

कांकेर: नवरात्रि में 10 गांवों के देवी-देवताओं का जतरा हुआ. राजाओं के जमाने से यह परंपरा (Tradition) चली आ रही है. मंदिर समिति के सदस्य आनंद चौरसिया वर्तमान में राजापारा वार्ड के पार्षद हैं. उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पर्व पर जवारा कार्यक्रम की परंपरा (Program Tradition) चली आ रही है. मंदिर समिति 12 गांवों के देवी-देवताओं को निमंत्रण देकर बुलाती थी. लेकिन मंदिर में बुलाए गए देवी-देवताओं (Gods And Goddesses) के विराजने (बैठने) के लिऐ जगह न होने की वजह से इस परम्परा को बंद कर दिया गया था. इस साल वार्ड वासियों और समिति से चर्चा कर यह परंपरा फिर शुरू की गई है.

नवरात्र पर देवी-देवताओं के जतरा की परंपरा

इस साल मंदिर समिति ने 10 गांवों के देवी-देवता, जिसमें पाठदेव (आंगा), पुजारी माझांपारा, मोकला मांझी पूजारी अन्नपूर्णा पारा, ग्राम बांस पत्तर आंगा पुजारी, सोनकुवर नवागांव, वीर कुवर घोटिया, मुडडोगरी, बालकुंवर मलांजकुडूम, गढपिछवाडी, चिवरांज, बारदेवरी गांव के देवी-देवता शामिल हैं. सिंहवाहनी मंदिर में जगह की कमी को देखते हुए राजापारा में स्थित गद्दी मावली माता मंदिर के प्रांगण में जवारा कार्यक्रम रखा गया है.

सिंहवाहनी माता के दरबार में ज्योत जलाने छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, बिहार, इंदौर, नागपूर, ओडिशा, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश के भक्त पहुंचते हैं. साल 1993 से मां सिहवाहनी मंदिर में माता की सेवा दे रहे पंडित हेमन्त सिंह राजपूत ने बताया कि कोरोना काल के चलते माता के मंदिर में मात्र 371 ज्योत जलाये गए हैं. 257 ज्योत तेल से जलाये जा रहे हैं. 114 ज्योत घी से जलाये जा रहे हैं.

मां सिहंवाहनी मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमन्त सिंह राजपूत ने बताया कि हर साल चैत और कुंवार नवरात्र में सरोना क्षेत्र के ग्राम बांसपत्तर के 12 लोगों को 10 दिनों के लिए ज्योत की देखरेख करने बुलाया जाता है. मंदिर समिति सभी को वेतन देती है.

कांकेर: नवरात्रि में 10 गांवों के देवी-देवताओं का जतरा हुआ. राजाओं के जमाने से यह परंपरा (Tradition) चली आ रही है. मंदिर समिति के सदस्य आनंद चौरसिया वर्तमान में राजापारा वार्ड के पार्षद हैं. उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पर्व पर जवारा कार्यक्रम की परंपरा (Program Tradition) चली आ रही है. मंदिर समिति 12 गांवों के देवी-देवताओं को निमंत्रण देकर बुलाती थी. लेकिन मंदिर में बुलाए गए देवी-देवताओं (Gods And Goddesses) के विराजने (बैठने) के लिऐ जगह न होने की वजह से इस परम्परा को बंद कर दिया गया था. इस साल वार्ड वासियों और समिति से चर्चा कर यह परंपरा फिर शुरू की गई है.

नवरात्र पर देवी-देवताओं के जतरा की परंपरा

इस साल मंदिर समिति ने 10 गांवों के देवी-देवता, जिसमें पाठदेव (आंगा), पुजारी माझांपारा, मोकला मांझी पूजारी अन्नपूर्णा पारा, ग्राम बांस पत्तर आंगा पुजारी, सोनकुवर नवागांव, वीर कुवर घोटिया, मुडडोगरी, बालकुंवर मलांजकुडूम, गढपिछवाडी, चिवरांज, बारदेवरी गांव के देवी-देवता शामिल हैं. सिंहवाहनी मंदिर में जगह की कमी को देखते हुए राजापारा में स्थित गद्दी मावली माता मंदिर के प्रांगण में जवारा कार्यक्रम रखा गया है.

सिंहवाहनी माता के दरबार में ज्योत जलाने छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, बिहार, इंदौर, नागपूर, ओडिशा, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश के भक्त पहुंचते हैं. साल 1993 से मां सिहवाहनी मंदिर में माता की सेवा दे रहे पंडित हेमन्त सिंह राजपूत ने बताया कि कोरोना काल के चलते माता के मंदिर में मात्र 371 ज्योत जलाये गए हैं. 257 ज्योत तेल से जलाये जा रहे हैं. 114 ज्योत घी से जलाये जा रहे हैं.

मां सिहंवाहनी मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमन्त सिंह राजपूत ने बताया कि हर साल चैत और कुंवार नवरात्र में सरोना क्षेत्र के ग्राम बांसपत्तर के 12 लोगों को 10 दिनों के लिए ज्योत की देखरेख करने बुलाया जाता है. मंदिर समिति सभी को वेतन देती है.

Last Updated : Oct 12, 2021, 8:33 PM IST
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