कांकेर: कांकेर में कोटवार की नियुक्ति में अधिकारियों की मनमानी देखने को मिल रही है. कोटवार की नियुक्ति गांव के ग्राम सभाओं के द्वारा सर्वसम्मति से प्रशासन को एक नाम दिया जाता है, जिसकी नियुक्ति राजस्व अधिकारियों के द्वारा की जाती (Rigged in appointment of Kotwar in Kanker) है.
कांकेर जिले के चारामा विकाखण्ड में नायाब तहसीलदार ने अपनी मर्जी से कोटवार की नियुक्ति कर दी. ग्रामवासियों ने ग्राम सभा के प्रस्ताव में जिस व्यक्ति का कोटवारी के लिए नाम दिया था, उसे कोटवार न बना कर दूसरे को कोटवार बनाने का मामला सामने आया है.
क्या है मामला: दरअसल, कांकेर जिले के ग्राम पंचायत बागडोंगरी के ग्राम हिंगनझर के ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के कोटवार की मृत्यु होने पर ग्रामीणों की उपस्थिति में ग्राम सभा कर सर्वसम्मति से कांसीराम कोर्राम नामक व्यक्ति को कोटवार चुना गया था, जिसकी जानकारी तहसील कार्यालय के मांग के अनुसार शासन-प्रशासन को सौंप दिया गया था. लेकिन नयाब तहसीलदार ने ग्राम सभा के अनुमोदन को खारिज करते हुए महिला रुपोतीन कोर्राम को कोटवार नियुक्त कर दिया. जिसका सभी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि जिसे ग्रामीणों ने चुना है उसे कोटवार बनाया जाए.
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क्या काम है कोटवार का: कोटवारों को गांव में शासकीय योजनाओं व निर्देशों की मुनादी, किसी भी घटना की जानकारी पुलिस को देने, शराब दुकान में ड्यूटी, चुनाव में ड्यूटी, शासकीय दफ्तरों में और अन्य कई तरह के काम उनसे प्रतिदिन लिए जाते है. दिन हो रात 24 घंटे उन्हें अफसरों व शासन के आदेश का पालन करना पड़ता है.