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झोपड़ी में चल रही आंगनबाड़ी, हर वक्त खतरे में रहती है बच्चों की जान

कांकेर में 2016 से एक झोपड़ी में आंगनबाड़ी संचालित की जा रही है.

झोपड़ी में चल रहा है आंगनबाड़ी
झोपड़ी में चल रहा है आंगनबाड़ी
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Published : Dec 18, 2019, 11:37 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 11:47 PM IST

पखांजूर/कांकेर : राज्य सरकार शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए लाख कोशिशें कर रही है, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत नेलटोला गांव के आंगनबाड़ी केंद्र को देखकर पता लगाई जा सकती है.

कांकेर में आंगनबाड़ी केंद्र के छात्र झोपड़ी में शिक्षा लेने को मजबूर

अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता की मार झेल रही ये आंगनबाड़ी कोयलीबेड़ा ब्लॉक के उलिया गांव के आश्रित गांव में 2016 में खोली गई थी. आंगनबाड़ी खोले जाने के बाद इसका विकास करना किसी ने मुनासिब नहीं समझा और 2016 से अब तक ये आंगनबाड़ी झोपड़ी में संचालित हो रही है, जहां 15 नौनिहाल बारिश, गर्मी झेलते हुए क, ख, ग सीख रहे हैं.

पढ़ें : धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण कर कठिया के समिति प्रबंधक को लगाई फटकार

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दुलाली नंदी ने कहा कि आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के कारण बास-बल्ली से झोपड़ी बनाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान दिया जाता है और पढ़ाई से लेकर पोषक आहार तक सब कुछ यहीं पर किया जाता है.

की गई थी भवन निर्माण की मांग

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के मुताबिक कई बार सरपंच से भवन निर्माण की मांग की जा चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. ये आंगनबाड़ी केंद्र चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है लिहाजा जंगलों से कभी-कभी जहरीले सांप-बिच्छू झोपड़ी में घुस जाते हैं, ऐसे में बच्चों को खतरा भी बना रहता है, लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.

पखांजूर/कांकेर : राज्य सरकार शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए लाख कोशिशें कर रही है, लेकिन इनकी जमीनी हकीकत नेलटोला गांव के आंगनबाड़ी केंद्र को देखकर पता लगाई जा सकती है.

कांकेर में आंगनबाड़ी केंद्र के छात्र झोपड़ी में शिक्षा लेने को मजबूर

अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता की मार झेल रही ये आंगनबाड़ी कोयलीबेड़ा ब्लॉक के उलिया गांव के आश्रित गांव में 2016 में खोली गई थी. आंगनबाड़ी खोले जाने के बाद इसका विकास करना किसी ने मुनासिब नहीं समझा और 2016 से अब तक ये आंगनबाड़ी झोपड़ी में संचालित हो रही है, जहां 15 नौनिहाल बारिश, गर्मी झेलते हुए क, ख, ग सीख रहे हैं.

पढ़ें : धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण कर कठिया के समिति प्रबंधक को लगाई फटकार

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दुलाली नंदी ने कहा कि आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के कारण बास-बल्ली से झोपड़ी बनाकर नौनिहालों को अक्षर ज्ञान दिया जाता है और पढ़ाई से लेकर पोषक आहार तक सब कुछ यहीं पर किया जाता है.

की गई थी भवन निर्माण की मांग

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के मुताबिक कई बार सरपंच से भवन निर्माण की मांग की जा चुकी है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. ये आंगनबाड़ी केंद्र चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है लिहाजा जंगलों से कभी-कभी जहरीले सांप-बिच्छू झोपड़ी में घुस जाते हैं, ऐसे में बच्चों को खतरा भी बना रहता है, लेकिन इस ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.

Intro:ऐंकर - आज 21वी सदी में भी झोपड़ी में लेने को मजबूर देश का भविष्य जीवन का पहला अक्सर ज्ञान।दरअसल हम बात कर रहे हैं कोयलीबेड़ा ब्लॉक के उलिया ग्राम पंचायत के आश्रित गांव नेलटोला की,नेलटोला गांव में वर्ष 2016 में आंगनबाड़ी केंद्र खोला गया जहाँ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति किया गया है वर्ष 2016 से नेलटोला में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है एवं आंगनबाड़ी केंद्र के कार्यकर्ता द्वारा 15 नोनिहलो को रोजाना प्रथमिक शिक्षा एवं पोषक आहार निरंतर दिया था रहा है।Body:आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दुलाली नंदी ने कहा कि 2016 से नेलटोला में आंगनबाड़ी केंद्र खुला है आंगनबाड़ी भवन नहीं होने के चलते बॉस बल्ली से झोपड़ी बनाकर नोनिहलो को प्रथमिक शिक्षा अक्षर ज्ञान एवं पोषक आहार दिया जा रहा है आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दुलाली नंदी की माने तो उनके द्वारा पंचायत के सरपंच महिला बालविकास को भी भवन निर्माण करने की मांग किए मगर आज लगभग 4 साल बीत जाने के बाद भी नोनिहलो को आंगनबाड़ी भवन नसिव नहीं हुई।खामियाजा इन मासूमो को भुगतान पड़ रहा है।Conclusion:*कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा*
आंगनबाड़ी केंद्र की झोपड़ी के चारो तरफ बॉस से घेरा लगा हुआ है जिससे कई प्रकार के हादसे होने की संभावना रहती हैं नेलटोला गांव घने जंगलों के बीच बसे हुए हैं जंगलों से कभी कभी जहरीली साप बीछ्छु झोपड़ी में घुस आते हैं।मगर आज 21वी सदी के डिजिटल इंडिया में कोई नेता मंत्री एवं जिम्मेदार अधिकारी इन मासूमो के भविष्य के लिए गंभीर नही दिख रहे हैं।


बाइट - दुलाली नंदी (आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नेलटोला)

रिपोर्टर - देबाशीष बिस्वास पखांजूर 7587849010,6266609661
Last Updated : Dec 18, 2019, 11:47 PM IST
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