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कांकेर: बरसात के वक्त टापू में तब्दील हो जाते हैं कई गांव, प्रशासन पहुंचा रहा राहत का सामान

कांकेर में बारिश के समय में कई गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं, जिसकी वजह से गांवों का संपर्क जिला और ब्लॉक मुख्यालयों से टूट जाता है, ऐसे ही गांवों में राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम प्रशासनिक अमला कर रहा है. जानकारी के मुताबिक कांकेर के तकरीबन 40 से 45 गांव बारिश के दौरान टापू में तब्दील हो जाते हैं, जिसमें से लगभग 30 गांव तक बारिश से पहले ही राशन और दवाइयां पहुंचाई जा चुकी हैं. वहीं बाकि बचे गांवों में समाग्री पहुंचाने का काम जारी है.

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टापू में तब्दील होने वाले गांवों में राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम जारी
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Published : Jun 12, 2020, 5:57 PM IST

कांकेर: दक्षिण बस्तर में गुरुवार को झमाझम बारिश के साथ मानसून ने दस्तक दे दी है, जिसकी वजह से देर शाम जिले में भी तेज बारिश हुई है. इसके साथ ही अब जिला प्रशासन भी मानसून को देखते हुए अलर्ट पर है. जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां बारिश के दौरान नदी-नाले में ऊफान आने के कारण आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है. ऐसी ही गांवों में राशन और जरूरी दवाइयां पहुंचाने का काम प्रशासनिक अमला कर रहा है.

टापू में तब्दील होने वाले गांवों में राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम जारी

बता दें कि जिले के दुर्गुकोंदल, कोयलीबेड़ा और अन्तागढ़ ब्लॉक के कई गांव बारिश के दौरान जिला और ब्लॉक मुख्यालयों से कट जाते हैं, जिसकी वजह से यहां बारिश से 4 महीने पहले ही जून, जुलाई अगस्त और सितंबर का राशन का भंडारण एक साथ किया जाता है. जानकारी के मुताबिक जिले के तकरीबन 40 से 45 गांव बारिश के दौरान टापू में तब्दील हो जाते हैं, जिसमें से लगभग 30 गांव तक बारिश से पहले ही राशन और दवाइयां पहुंचाई जा चुकी है. वहीं बाकि बचे गांव में भी समाग्री पहुंचाने का काम जोरों पर है.

राशन सामग्री नहीं पहुंचने की वजह से देरी

खाद्य विभाग का कहना है कि जिले में राशन के भंडारण में देरी की वजह से कुछ गांव तक राशन पहुंचाने में देरी हुई है, हालांकि उनका यह भी कहना है कि अब राशन सामग्री खाद्य विभाग तक पहुंच चुकी है. ऐसे में जल्द ही सभी ऐसे गांव जो बारिश में टापू में तब्दील हो जाते है, वहां समाग्री पहुंचा दी जाएगी.

पढ़ें: बस्तर में बरसात से निपटने की तैयारी, बाढ़ आपदा प्रबंधन ने किया मॉक ड्रिल

अधिकांश गांव नक्सल प्रभावित

बारिश में टापू में तब्दील होने वाले अधिकांश गांव नक्सल प्रभावित हैं. ऐसे में यहां राशन का भंडारण करना भी बड़ी चुनौती का काम होता है. वहीं जिला प्रशासन पुलिस और जवानों की मदद से इन गांवों तक राशन और दवाइयां पहुंचाने में जुटा हुआ है.

कांकेर: दक्षिण बस्तर में गुरुवार को झमाझम बारिश के साथ मानसून ने दस्तक दे दी है, जिसकी वजह से देर शाम जिले में भी तेज बारिश हुई है. इसके साथ ही अब जिला प्रशासन भी मानसून को देखते हुए अलर्ट पर है. जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां बारिश के दौरान नदी-नाले में ऊफान आने के कारण आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है. ऐसी ही गांवों में राशन और जरूरी दवाइयां पहुंचाने का काम प्रशासनिक अमला कर रहा है.

टापू में तब्दील होने वाले गांवों में राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम जारी

बता दें कि जिले के दुर्गुकोंदल, कोयलीबेड़ा और अन्तागढ़ ब्लॉक के कई गांव बारिश के दौरान जिला और ब्लॉक मुख्यालयों से कट जाते हैं, जिसकी वजह से यहां बारिश से 4 महीने पहले ही जून, जुलाई अगस्त और सितंबर का राशन का भंडारण एक साथ किया जाता है. जानकारी के मुताबिक जिले के तकरीबन 40 से 45 गांव बारिश के दौरान टापू में तब्दील हो जाते हैं, जिसमें से लगभग 30 गांव तक बारिश से पहले ही राशन और दवाइयां पहुंचाई जा चुकी है. वहीं बाकि बचे गांव में भी समाग्री पहुंचाने का काम जोरों पर है.

राशन सामग्री नहीं पहुंचने की वजह से देरी

खाद्य विभाग का कहना है कि जिले में राशन के भंडारण में देरी की वजह से कुछ गांव तक राशन पहुंचाने में देरी हुई है, हालांकि उनका यह भी कहना है कि अब राशन सामग्री खाद्य विभाग तक पहुंच चुकी है. ऐसे में जल्द ही सभी ऐसे गांव जो बारिश में टापू में तब्दील हो जाते है, वहां समाग्री पहुंचा दी जाएगी.

पढ़ें: बस्तर में बरसात से निपटने की तैयारी, बाढ़ आपदा प्रबंधन ने किया मॉक ड्रिल

अधिकांश गांव नक्सल प्रभावित

बारिश में टापू में तब्दील होने वाले अधिकांश गांव नक्सल प्रभावित हैं. ऐसे में यहां राशन का भंडारण करना भी बड़ी चुनौती का काम होता है. वहीं जिला प्रशासन पुलिस और जवानों की मदद से इन गांवों तक राशन और दवाइयां पहुंचाने में जुटा हुआ है.

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