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ODF गांव में भी खुले में शौच को मजबूर हैं ग्रामीण, शौचालय का हाल है बेहाल - ओडीएफ

दो अक्टूबर 2014 ये वह तारीख थी, जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन का आगाज किया था और इसी दिन से मुल्क को स्वच्छ बनाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू हुआ था.

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Published : May 3, 2019, 11:52 PM IST

दुर्गकोंदल: स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने का ऐलान क्या हुआ. मानो पूरे देश में क्रांति सी आ गई. जगह-जगह शौचालय बनाने का काम शुरू हुआ. ऐसा लगा कि मानो सदियों से चली आ रही समस्या जल्द छू मंतर हो जाएगी, अब न खेत का रास्ता नापना पड़ेगा और न ही महिलाओं की इज्जत पर आंच आएगी.

स्टोरी पैकेज

शौचालय की हालत है खराब
बड़ी उम्मीदों के साथ छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुर्गकोंदल में भी शौचालय का निर्माण शुरू हुआ. जल्द ही इलाके को ओडिएफ (खुले में शौच के मुक्त) भी घोषित कर दिया, लेकिन यहां के असल हालात क्या है यह आप खुद ही सुन लीजिए.


खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण
दुर्गकोंदल ब्लॉक के अधिकतर पंचायतों के ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. ग्राम पंचायतों की ओर से शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन आलम यह है कि किसी में छत नहीं है, तो किसी में टंकी ढूढ़ने से भी नहीं मिलती. किसी शौचालय सीट गायब है तो कहीं दरवाजे का नामों निशान नहीं है और तो और कई जगह से तो यह भी शिकायत आई कि जिन ग्रामीणों ने अपने खर्चे से शौचालय का निर्माण कराया था, उन्हें भुगतान तक नहीं किया गया है.


प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
एक ओर जहां केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में स्वच्छता लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन सरकार की योजनाओं के साथ-साथ टैक्स के तौर पर मिल रही जनता की गाढ़ी कमाई को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

दुर्गकोंदल: स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने का ऐलान क्या हुआ. मानो पूरे देश में क्रांति सी आ गई. जगह-जगह शौचालय बनाने का काम शुरू हुआ. ऐसा लगा कि मानो सदियों से चली आ रही समस्या जल्द छू मंतर हो जाएगी, अब न खेत का रास्ता नापना पड़ेगा और न ही महिलाओं की इज्जत पर आंच आएगी.

स्टोरी पैकेज

शौचालय की हालत है खराब
बड़ी उम्मीदों के साथ छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुर्गकोंदल में भी शौचालय का निर्माण शुरू हुआ. जल्द ही इलाके को ओडिएफ (खुले में शौच के मुक्त) भी घोषित कर दिया, लेकिन यहां के असल हालात क्या है यह आप खुद ही सुन लीजिए.


खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण
दुर्गकोंदल ब्लॉक के अधिकतर पंचायतों के ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. ग्राम पंचायतों की ओर से शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन आलम यह है कि किसी में छत नहीं है, तो किसी में टंकी ढूढ़ने से भी नहीं मिलती. किसी शौचालय सीट गायब है तो कहीं दरवाजे का नामों निशान नहीं है और तो और कई जगह से तो यह भी शिकायत आई कि जिन ग्रामीणों ने अपने खर्चे से शौचालय का निर्माण कराया था, उन्हें भुगतान तक नहीं किया गया है.


प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान
एक ओर जहां केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में स्वच्छता लाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन सरकार की योजनाओं के साथ-साथ टैक्स के तौर पर मिल रही जनता की गाढ़ी कमाई को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

Intro:Body:शौचमुक्त ग्राम सिर्फ पन्नों पर ही सिमट कर रह गई है।

जी हां आज भी खुले में शौच करने के लिए मजबूर है वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण खुले में शौच करने के लिए क्यों मजबूर है ग्रामीण हम बताएंगे आपको।

जी हां हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के दुर्गुकोंदल तहसील की

दुर्गुकोंदल तहसील कई वर्ष पूर्व ओडीएफ घोषित तहसील है परंतु यह सिर्फ पन्नों में ही सिमट कर रह गई है जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है आज भी दुर्गुकोंदल ब्लॉक के अधिकतर पंचायतों के ग्रामीण खुले में शौच करते देखे जाते हैं आखिर क्यों क्या है इन ग्रामीणों की मजबूरी जिससे ये खुले शौच करने को मजबूर है, हम बताएंगे आपको।

ग्राम पंचायतों द्वारा शौचालय तो बना दिया गया परंतु किसी की छत नहीं तो किसी की टंकी नहीं तो किसी शौचालय में शौच करने के लिए सीट वहीं ग्रामीणों से चर्चा करने पर ग्रामीणों ने जानकारी दी शौचालय में काम किया गया जिसका मजदूरी भुगतान आज तक नहीं दिया गया है नहीं शौचालय में लगे सामग्री का भी भुगतान नहीं किया गया है ग्रामीणों द्वारा कई बार आवेदन देने के बाद भी पंचायत द्वारा सिर्फ और सिर्फ आश्वासन देकर टाल दिया जाता है।

एक तरफ केंद्र सरकार के दावे खोखले नजर आ रहे हैं देश के प्रधानमंत्री अपनी कई आम सभा में बार-बार इस बात को जाहिर करते हैं कि हमने शौचालय बनवाएं शौच मुक्त किया लेकिन यह दावे सिर्फ शहरी क्षेत्रों में नजर आते हैं वनांचल क्षेत्रों में आज भी यह दावे खोखले नजर आते हैं।

अब देखना यह है कि प्रशासन शौच मुक्त के लिए क्या-क्या हथकंडे अपनाती है।

कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर ब्लॉक से जावेद खान ईटीवी भारत भानुप्रतापपुर
बाइट ग्रामीणConclusion:
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