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कांकेर: आपदा में खुद की जान बचाने के लिए नहीं है संसाधन, दूसरों को कैसे बचाएंगे ये नगर सैनिक - disaster management

जिले में आपदा की स्थिति बनने पर नगर सेना के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जाता है, लेकिन जिन संसाधनों के भरोसे रेस्क्यू किया जाता है वो संसाधन ही कंडम हो चुके हैं. ऐसे में नगर सैनिकों के लिए खुदकी जान की रक्षा करना भी मुश्किल होता है.

कंडम लाइफ जैकेट
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Published : Jul 10, 2019, 3:14 PM IST

कांकेर: जिले में दर्जनभर से ज्यादा नदियां हैं, जो बारिश के मौसम में उफान पर आ जाती हैं. इस बार भी जिले में अच्छी बारिश हो रही है, ऐसे में आपदा की स्थिति से निपटने के लिए नगर सेना के जवानों को अलर्ट कर दिया गया है, लेकिन आपदा से निपटने के लिए जो साजो-समान नगर सेना के पास हैं वो न सिर्फ नाकाफी हैं, बल्कि उपयोग करने लायक भी नहीं हैं.

आपदा में खुदकी जान बचाने के लिए नहीं हैं संसाधन

जिले में बाढ़ आपदा से निपटने की जिम्मेदारी नगर सेना की होती है और जिले में कहीं भी रेस्क्यू की आवश्यकता हो तो नगर सेना के जवानों को तत्काल मौके पर पहुंचना होता है. बाढ़ आपदा से निपटने 25 जवानों की एक टीम भी तैयार की गई है, लेकिन बाढ़ आपदा से निपटने के लिए नगर सेना को दिए गए संसाधनों की जिसकी तरफ प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है. नगर सेना की बाढ़ आपदा टीम के पास 4 रबड़ बोट थीं, जिनमें से 3 पहले ही खराब हो चुकी थीं.

4 रबड़ बोट हो चुकी हैं कंडम
एक मात्र बोट के सहारे बीते साल जवानों ने बाढ़ में फंसी कई जिंदगियां बचाई थीं, लेकिन अब ये बोट भी कंडम हो चुकी है और इसे जब मरम्मत के लिए रायपुर भेजा गया तो उसे ये कहकर लौटा दिया गया कि अब इसकी मरम्मत भी नहीं हो सकती है, ऐसे में अचानक कहीं बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित होती है तो रेस्क्यू टीम के पास बोट भी नहीं है, जिससे रेस्क्यू किया जा सके. एक एल्युमिनियम की बोट है भी तो उसे हर जगह ले जाया नहीं जा सकता, ये सिर्फ मैदानी इलाकों में काम आती है.

40 में से 35 इस्तेमाल के लायक नहीं
नगर सेना के जवानों के पास 40 लाइफ जैकेट थीं, जिनमें से 35 खराब हो चुकी हैं, जबकि अभी 5 नए जैकेट उन्हें नगर सेना मुख्यालय रायपुर से मिले हैं, ऐसे में जवानों के पास मात्र 10 लाइफ जैकेट हैं, जबकि उनकी खुद की संख्या 25 है. रेस्क्यू के दौरान अपनी टीम के अलावा जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है उनके लिए भी लाइफ जैकेट की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां तो टीम के सदस्यों के लिए ही पर्याप्त जैकेट नहीं हैं.

बीते साल बचाई थी 19 लोगों की जान
नगर सेना की रेस्क्यू टीम ने पिछले साल नदियों के उफान में फंसे 19 लोगों की जान बचाई थी. 12 अगस्त को संबलपुर के चंबेला नदी उफान में आ गई थी, जिसमें 5 ग्रामीण फंस गए थे, जिन्हें नगर सेना के जवानों ने बचाया था. 13 अगस्त को पुसवाड़ा की नदी में 8 बच्चे फंस गए थे, जिन्हें रेस्क्यू किया गया था. 13 अगस्त को ही चारामा के टाहकापर में रातभर रेस्क्यू कर नदी में फंसे 3 ग्रामीणों को बचाया गया था. 15 अगस्त को खण्डी नदी में सेल्फी लेने गए तीन युवक युवती अचानक नदी में पानी बढ़ने से फंस गए थे, जिन्हें रात में 11 बजे रेस्क्यू किया गया था. संसाधनों के अभाव के बाद भी नगर सेना के जवान पूरी ताकत लोगों की जान बचाने में झोंक देते है, उसके बाद भी प्रशासन का ध्यान उन्हें सुविधा मुहैया करवाने की ओर नहीं गया है.

कई बार दिया गया आवेदन
नगर सेना प्रभारी के के श्रीवास्तव ने बताया कि, 'बोट और लाइफ जैकेट की मांग को लेकर कई बार प्रशासन को आवेदन दिया गया है, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिल सकी है'. उन्होंने बताया कि, 'फिलहाल रबड़ बोट और लाइफ जैकेट की जरूरत है इसके बिना रेस्क्यू करने में काफी दिक्कतें आएंगी'.

कांकेर: जिले में दर्जनभर से ज्यादा नदियां हैं, जो बारिश के मौसम में उफान पर आ जाती हैं. इस बार भी जिले में अच्छी बारिश हो रही है, ऐसे में आपदा की स्थिति से निपटने के लिए नगर सेना के जवानों को अलर्ट कर दिया गया है, लेकिन आपदा से निपटने के लिए जो साजो-समान नगर सेना के पास हैं वो न सिर्फ नाकाफी हैं, बल्कि उपयोग करने लायक भी नहीं हैं.

आपदा में खुदकी जान बचाने के लिए नहीं हैं संसाधन

जिले में बाढ़ आपदा से निपटने की जिम्मेदारी नगर सेना की होती है और जिले में कहीं भी रेस्क्यू की आवश्यकता हो तो नगर सेना के जवानों को तत्काल मौके पर पहुंचना होता है. बाढ़ आपदा से निपटने 25 जवानों की एक टीम भी तैयार की गई है, लेकिन बाढ़ आपदा से निपटने के लिए नगर सेना को दिए गए संसाधनों की जिसकी तरफ प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है. नगर सेना की बाढ़ आपदा टीम के पास 4 रबड़ बोट थीं, जिनमें से 3 पहले ही खराब हो चुकी थीं.

4 रबड़ बोट हो चुकी हैं कंडम
एक मात्र बोट के सहारे बीते साल जवानों ने बाढ़ में फंसी कई जिंदगियां बचाई थीं, लेकिन अब ये बोट भी कंडम हो चुकी है और इसे जब मरम्मत के लिए रायपुर भेजा गया तो उसे ये कहकर लौटा दिया गया कि अब इसकी मरम्मत भी नहीं हो सकती है, ऐसे में अचानक कहीं बाढ़ जैसी स्थिति निर्मित होती है तो रेस्क्यू टीम के पास बोट भी नहीं है, जिससे रेस्क्यू किया जा सके. एक एल्युमिनियम की बोट है भी तो उसे हर जगह ले जाया नहीं जा सकता, ये सिर्फ मैदानी इलाकों में काम आती है.

40 में से 35 इस्तेमाल के लायक नहीं
नगर सेना के जवानों के पास 40 लाइफ जैकेट थीं, जिनमें से 35 खराब हो चुकी हैं, जबकि अभी 5 नए जैकेट उन्हें नगर सेना मुख्यालय रायपुर से मिले हैं, ऐसे में जवानों के पास मात्र 10 लाइफ जैकेट हैं, जबकि उनकी खुद की संख्या 25 है. रेस्क्यू के दौरान अपनी टीम के अलावा जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है उनके लिए भी लाइफ जैकेट की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां तो टीम के सदस्यों के लिए ही पर्याप्त जैकेट नहीं हैं.

बीते साल बचाई थी 19 लोगों की जान
नगर सेना की रेस्क्यू टीम ने पिछले साल नदियों के उफान में फंसे 19 लोगों की जान बचाई थी. 12 अगस्त को संबलपुर के चंबेला नदी उफान में आ गई थी, जिसमें 5 ग्रामीण फंस गए थे, जिन्हें नगर सेना के जवानों ने बचाया था. 13 अगस्त को पुसवाड़ा की नदी में 8 बच्चे फंस गए थे, जिन्हें रेस्क्यू किया गया था. 13 अगस्त को ही चारामा के टाहकापर में रातभर रेस्क्यू कर नदी में फंसे 3 ग्रामीणों को बचाया गया था. 15 अगस्त को खण्डी नदी में सेल्फी लेने गए तीन युवक युवती अचानक नदी में पानी बढ़ने से फंस गए थे, जिन्हें रात में 11 बजे रेस्क्यू किया गया था. संसाधनों के अभाव के बाद भी नगर सेना के जवान पूरी ताकत लोगों की जान बचाने में झोंक देते है, उसके बाद भी प्रशासन का ध्यान उन्हें सुविधा मुहैया करवाने की ओर नहीं गया है.

कई बार दिया गया आवेदन
नगर सेना प्रभारी के के श्रीवास्तव ने बताया कि, 'बोट और लाइफ जैकेट की मांग को लेकर कई बार प्रशासन को आवेदन दिया गया है, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिल सकी है'. उन्होंने बताया कि, 'फिलहाल रबड़ बोट और लाइफ जैकेट की जरूरत है इसके बिना रेस्क्यू करने में काफी दिक्कतें आएंगी'.

Intro:कांकेर - बारिश का मौसम चल रहा है और जिले में पिछले 4 दिनों से अच्छी बारिश हो रही है , ऐसे में दर्जन भर नदियों से घिरे इस जिले में कभी भी कोई भी नदी उफान में आ सकती है और आपदा की स्तिथि निर्मित हो सकती है , जिससे निपटने नगर सेना के जवानों को तैयार रहने कह दिया गया है और नगर सेना ने 25 प्रशिक्षित जवानों की टुकड़ी भी इसके लिए तैयार कर रखी है , लेकिन इस बीच आज जब हमने नगर सेना के बाढ़ आपदा की तैयारियों का जायजा लिया तो स्तिथि बेहद ही गम्भीर नज़र आई।
नगर सेना को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए दिए गए सभी चारो रबड़ बोट कंडम हो चुके है वही उनके पास मौजूद 40 में से 35 लाइफ जैकेट अब इस्तेमाल के लायक नही है।


Body:जिले में बाढ़ आपदा से निपटने की जिम्मेदारी नगर सेना की होती है , और जिले में कही भी रेस्क्यू की आवश्यकता हो तो नगर सेना के जवानों को तत्काल मौके पर पहुचना होता है , बाढ़ आपदा से निपटने 25 जवानों की एक टीम भी तैयार की गई है , लेकिन अब बात आती है संसाधनों की जिसकी तरफ प्रशासन का ध्यान बिल्कुल भी नही है। नगर सेना की बाढ़ आपदा टीम के पास 4 रबड़ बोट थे जिसमें से 3 पहले ही खराब हो चुके थे , एक मात्र बोट के सहारे बीते साल जवानों ने बाढ़ में फंसी कई जिंदगियां बचाई थी , लेकिन अब ये बोट भी कंडम हो चुकी है और इसे जब मरम्मत के लिए रायपुर भेजा गया तो उसे यह कहकर लौटा दिया गया कि अब इसकी मरम्मत भी नही हो सकती है , ऐसे मे अचानक कही बाढ़ जैसी स्तिथि निर्मित हो जाती है तो रेस्क्यू टीम के पास बोट भी नही है जिससे रेस्क्यू किया जा सके। एक एल्युमिनियम की बोट है भी तो उसे हर जगह ले जाया नही जा सकता , यह सिर्फ मैदानी इलाकों में काम आती है ।

40 लाइफ जैकेट में 35 इस्तेमाल के लायक नही
नगर सेना के जवानों के पास 40 लाइफ जैकेट थी जिसमे से 35 खराब हो चुकी है , जबकि अभी 5 नए जैकेट उन्हें नगर सेना मुख्यालय रायपुर से मिले है , ऐसे में जवानों के पास मात्र 10 लाइफ जैकेट है। जबकि उनकी खुद की संख्या 25 है । रेस्क्यू के दौरान अपनी टीम के अलावा जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है उनके लिए भी लाइफ जैकेट की जरूरत पड़ती है लेकिन यहां तो टीम के सदस्यों के लिए ही पर्याप्त जैकेट नही है ।

बीते साल बचाई थी 19 लोगो की जान
नगर सेना की रेस्क्यू टीम ने पिछले साल नदियों के उफान में फंसे 19 लोगों की जान बचाई थी , 12 अगस्त को संबलपुर के चंबेला नदी उफान में आ गई थी जिसमे 5 ग्रामीण फंस गए थे ,जिन्हें नगर सेना के जवानों ने बचाया था इसके बाद 13 अगस्त को पुसवाड़ा के नदी में 8 बच्चे फंस गए थे जिन्हें रेस्क्यू किया गया था ,13 अगस्त को ही चारामा के टाहकापर में रात भर रेस्क्यू कर नदी में फंसे 3 ग्रामीणों को बचाया गया था । 15 अगस्त को खण्डी नदी में सेल्फी लेने गए तीन युवक युवती अचानक नदी में पानी बढ़ने से फंस गए थे जिन्हें रात में 11 बजे रेस्क्यू किया गया था । संसाधनों के अभाव के बाद भी नगर सेना के जवान पूरी ताकत लोगों की जान बचाने में झोंक देते है उसके बाद भी प्रशासन का ध्यान उन्हें सुविधा मुहैया करवाने की ओर नही गया है।


Conclusion:कई बार दिया गया आवेदन
नगर सेना प्रभारी के के श्रीवास्तव ने बताया कि बोट और लाइफ जैकेट की मांग को लेकर कई बार प्रशासन को कई बार आवेदन दिया गया है लेकिन अब तक कोई मदद नही मिल सकी है ।उन्होने बताया कि फिलहाल रबड़ बोट और लाइफ जैकेट की जरूरत है , इसके बिना रेस्क्यू करने में काफी दिक्कते आएगी।

बाइट- के के श्रीवास्तव प्रभारी नगर सेना
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