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धुर नक्सल क्षेत्र का वो सरकारी स्कूल, जिसने बनाया फेल न होने का रिकॉर्ड

कांकेर के चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्थित सरकारी स्कूल बीते 2 सालों में पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस स्कूल में साल 2012 से अब तक 10वीं कक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ और हर साल नतीजे शत-प्रतिशत रहते हैं.

कांकेर के चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्थित सरकारी स्कूल
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Published : May 14, 2019, 12:07 AM IST

Updated : May 14, 2019, 12:02 PM IST

कांकेर: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले यही ख्याल आता है कि यहां अच्छी पढ़ाई नहीं होती. बच्चे का करियर खराब हो जाएगा. बड़ा आदमी नहीं बन पाएगा. यहां पढ़ने वाले बच्चे साहब नहीं बन पाएंगे. फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं बोल सकेंगे. डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस नहीं बन पाएंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में जर्जर सरकारी भवन में बौद्धिक विकास रुक जाएगा.

धूर नक्सल क्षेत्र का वो सरकारी स्कूल, जिसने बनाया फेल न होने का रिकॉर्ड

लेकिन घबराइए मत, इन सारे मिथकों को दूर किया है प्रदेश के धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक ऐसा सरकारी स्कूल ने जहां के बच्चों का भविष्य संवर रहा है. उनका चहुंमुखी विकास हो रहा है. बच्चे सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. कीर्तिमान रच रहे हैं. इस सरकारी स्कूल में साल 2012 से अब तक 10वीं बोर्ड परीक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ है.

चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्कूल सरकारी स्कूल ने सही साबित किया

आपको सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन चौंकिए मत, यह सौ प्रतिशत सच है. ऐसा कर दिखाया है कांकेर के चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्थित सरकारी स्कूल ने. इस विद्यालय ने तमाम मिथक को सही साबित कर दिखाया है.
10वीं में शत-प्रतिशत नतीजे
बीते 2 सालों में यह स्कूल पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस स्कूल में साल 2012 से अब तक 10वीं कक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ और हर साल नतीजे शत-प्रतिशत रहते हैं. इस स्कूल की सफलता की ख्याति ऐसी फैली कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह भी स्कूल की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके थे.

बता दें कि साल 2012 से जितने भी बच्चों ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा दी, सभी पास हुए. साल 2016-17 में स्कूल के 36 बच्चों ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी और सभी 36 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए. यही नहीं 2 बच्चों ने मेरिट सूची में भी स्थान बनाया था. इस वर्ष स्कूल में 12वीं की कक्षाएं शुरू की गई और इसमें भी स्कूल के छात्र ने मेरिट में स्थान बनाकर स्कूल का सम्मान बढ़ाया.


स्कूल प्राचार्य से ईटीवी भारत की खास बातचीत
स्कूल के प्राचार्य नासिर खान ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 2012 से अब तक यहां के नतीजे शत-प्रतिशत रहे हैं. पढ़ाई के दौरान बच्चे बोर ना हो, इसके लिए पढ़ाई के नए-नए तरीके अपनाए जाते हैं. गेस्ट फैकल्टी की तर्ज पर हफ्ते में एक दिन आस-पास के स्कूलों से शिक्षकों बुलाया जाता है. कंप्यूटर शिक्षा के साथ बच्चों को डिजिटल युग से जोड़े रखने के लिए इंटरनेट के जरिए उनके सारे सवालों के हल बताए जाते हैं.

संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी
तय समय से रोजाना डेढ़ घंटे पहले बोर्ड कक्षा के बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं. हर दिन एक विषय की एक्सट्रा क्लास लगाई जाती है. यहां तक कि दिवाली-दशहरा की जिन छुट्टियों का बच्चे बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, उनमें भी स्कूल में शिक्षक और बच्चे पढ़ाई के लिए संघर्ष करते हैं. आज इस स्कूल ने जो शानदार मुकाम बनाया है, वो इसी कठिन संघर्ष का परिणाम है.

काश, प्रदेश और देश के सभी सरकारी स्कूल गिरहोला के सरकारी स्कूल की तरह हो जाएं, तो सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर लगा यह मिथक दूर हो जाएगा और बच्चों का भविष्य संवर जाएगा. लोग अपने बच्चों के सरकारी स्कूल में भेजने से नहीं हिचकेंगे.

कांकेर: सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले यही ख्याल आता है कि यहां अच्छी पढ़ाई नहीं होती. बच्चे का करियर खराब हो जाएगा. बड़ा आदमी नहीं बन पाएगा. यहां पढ़ने वाले बच्चे साहब नहीं बन पाएंगे. फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं बोल सकेंगे. डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस नहीं बन पाएंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में जर्जर सरकारी भवन में बौद्धिक विकास रुक जाएगा.

धूर नक्सल क्षेत्र का वो सरकारी स्कूल, जिसने बनाया फेल न होने का रिकॉर्ड

लेकिन घबराइए मत, इन सारे मिथकों को दूर किया है प्रदेश के धूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक ऐसा सरकारी स्कूल ने जहां के बच्चों का भविष्य संवर रहा है. उनका चहुंमुखी विकास हो रहा है. बच्चे सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. कीर्तिमान रच रहे हैं. इस सरकारी स्कूल में साल 2012 से अब तक 10वीं बोर्ड परीक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ है.

चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्कूल सरकारी स्कूल ने सही साबित किया

आपको सुनकर ताज्जुब होगा, लेकिन चौंकिए मत, यह सौ प्रतिशत सच है. ऐसा कर दिखाया है कांकेर के चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्थित सरकारी स्कूल ने. इस विद्यालय ने तमाम मिथक को सही साबित कर दिखाया है.
10वीं में शत-प्रतिशत नतीजे
बीते 2 सालों में यह स्कूल पूरे प्रदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. इस स्कूल में साल 2012 से अब तक 10वीं कक्षा में कोई भी छात्र फेल नहीं हुआ और हर साल नतीजे शत-प्रतिशत रहते हैं. इस स्कूल की सफलता की ख्याति ऐसी फैली कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह भी स्कूल की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके थे.

बता दें कि साल 2012 से जितने भी बच्चों ने 10वीं बोर्ड की परीक्षा दी, सभी पास हुए. साल 2016-17 में स्कूल के 36 बच्चों ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा दी और सभी 36 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए. यही नहीं 2 बच्चों ने मेरिट सूची में भी स्थान बनाया था. इस वर्ष स्कूल में 12वीं की कक्षाएं शुरू की गई और इसमें भी स्कूल के छात्र ने मेरिट में स्थान बनाकर स्कूल का सम्मान बढ़ाया.


स्कूल प्राचार्य से ईटीवी भारत की खास बातचीत
स्कूल के प्राचार्य नासिर खान ने ETV भारत से खास बातचीत में बताया कि साल 2012 से अब तक यहां के नतीजे शत-प्रतिशत रहे हैं. पढ़ाई के दौरान बच्चे बोर ना हो, इसके लिए पढ़ाई के नए-नए तरीके अपनाए जाते हैं. गेस्ट फैकल्टी की तर्ज पर हफ्ते में एक दिन आस-पास के स्कूलों से शिक्षकों बुलाया जाता है. कंप्यूटर शिक्षा के साथ बच्चों को डिजिटल युग से जोड़े रखने के लिए इंटरनेट के जरिए उनके सारे सवालों के हल बताए जाते हैं.

संघर्ष जितना कठिन होगा, सफलता उतनी ही शानदार होगी
तय समय से रोजाना डेढ़ घंटे पहले बोर्ड कक्षा के बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं. हर दिन एक विषय की एक्सट्रा क्लास लगाई जाती है. यहां तक कि दिवाली-दशहरा की जिन छुट्टियों का बच्चे बेसब्री से इंतज़ार करते हैं, उनमें भी स्कूल में शिक्षक और बच्चे पढ़ाई के लिए संघर्ष करते हैं. आज इस स्कूल ने जो शानदार मुकाम बनाया है, वो इसी कठिन संघर्ष का परिणाम है.

काश, प्रदेश और देश के सभी सरकारी स्कूल गिरहोला के सरकारी स्कूल की तरह हो जाएं, तो सरकारी स्कूलों की शिक्षा पर लगा यह मिथक दूर हो जाएगा और बच्चों का भविष्य संवर जाएगा. लोग अपने बच्चों के सरकारी स्कूल में भेजने से नहीं हिचकेंगे.

Intro:कांकेर - जब बात शासकीय स्कूलों की होती है तो लोगो के मन मे यह धारणा आती है कि यहां पढ़ने वाले बच्चे पढाई में औसत दर्जे के होते है, लेकिन जिले के चारामा ब्लॉक के गिरहोला स्कूल के बारे में जानने के बाद लोगो की यह धारणा बदल सकती है । गिरहोला स्कूल के दसवीं बोर्ड और बारहवीं बोर्ड के नतीजे शासकीय स्कूल के प्रति लोगो की सोच बदलने काफी है ,इस स्कूल में 2012 से दसवीं कक्षा में कोई छात्र फेल नही हुआ , हर साल यहां के नतीजे शत प्रतिशत रहते है । वही इस वर्ष इस स्कूल में बारहवीं की कक्षा खुली थी और यहां के छात्र ने मेरिट में स्थान बनाकर स्कूल का मान सम्मान और बढा दिया है


Body:गिरहोला चारामा से 2 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव जिसे आज से 2 साल पहले तक कोई जानता नही था लेकिन बीते 2 सालों में यह स्कूल प्रदेश में चर्चा का केंद्र बना हुआ है और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह भी गत वर्ष इस स्कूल के बोर्ड के नतीजे जानने के बाद इसकी तारीफ करने से खुद को नही रोक सके थे। इस स्कूल की खास बात यह है कि यहां 2012 से जितने भी बच्चे बोर्ड की परीक्षा में बैठे सभी पास हुए । 2016-17 में इस स्कूल में दसवीं में 36 बच्चो ने परीक्षा दी थी और सभी 36 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए । जिसमे से 2 बच्चो ने मेरिट सूची में भी स्थान बनाया था।

स्कूल के प्राचार्य से ईटीवी भारत की खास बातचीत
गिरहोला स्कूल के प्राचार्य नासिर खान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि 2016 में एक बच्ची की तबियत बिगड़ने के कारण वह परीक्षा में नही बैठ सकी थी , लेकिन इसके अलावा 2012 से अब तक यहां के नतीजे शत प्रतिशत रहे है , मतलब जो भी परीक्षा में बैठा वो पास जरूर हुआ वो भी अच्छे नंबरों से ।
नासिर खान ने बताया कि पढाई के दौरान बच्चे बोर ना हो इसके लिए वो अलग अलग तरीके से बच्चो की पढ़ाई करवाते है , एक ही शिक्षक से पढ़ पढ़कर कभी कभी बच्चे ऊब जाते है जिसके चलते वो आस पास के स्कूल के शिक्षकों से मदद मांगते है और उन्हें हफ्ते में एक दिन स्कूल में बुला लेते है नए शिक्षक नए तरह से छात्रों में ऊर्जा भरते है और बच्चे भी मज़े से पढाई करते है ,स्कूल में कंप्यूटर दिए गए है। बच्चो को जो चीज़े किताब के समझ नही आती उसके लिए इंटरनेट के माध्यम से उन्हें जानकारी दी जाती है ताकि उनकी समस्या का समाधान हो सके ।

दीवाली दशहरा की छुट्टी में भी यहां 2 घण्टे रोज़ होती है पढाई
अधिकतर देखा जाता है कि दीवाली दशहरा जैसी लम्बी छुट्टी का बच्चे इंतज़ार करते है लेकिन गिरहोला स्कूल में शिक्षक के साथ साथ बच्चे भी पढाई को लेकर इतने आतुर है कि दीवाली दशहरा की छुट्टी में भी रोजाना 2 घण्टे यहां पढाई होती है , शिक्षक छुट्टी के दिन भी रोज़ यहां पहुचते है तो वही बच्चे भी पढाई को महत्व देते हुए छुट्टी भूल पढाई करने आते है ।

रोजाना एक विषय की एक्स्ट्रा क्लास
इस स्कूल में रोजाना स्कूल के तय समय से डेढ़ घण्टे पहले बोर्ड कक्षा के बच्चे स्कूल पहुच जाते है और यहां रोजाना एक एक विषय की एक्सट्रा क्लास लगाई जाती है ताकि बोर्ड के छात्रों की हर समस्या का हल निकाला जा सके ।

दूसरे गांव के बच्चो के परिजन आते है एडमिशन करवाने
इस स्कूल की पढ़ाई किसी से छुपी नही है , इसका ही नतीजा है कि दूर दूर के गांव से परिजन इस स्कूल में अपने बच्चों का एडमिशन करवाने आते है लेकिन सीट कम होने के चलते कम ही बच्चो को एडमिशन मिल पाता है। आस पास के सभी गांव में स्कूल है लेकिन इस स्कूल की पढाई के बारे में सुन परिजन भी यही सोचते है कि इस स्कूल में अगर दाखिला मिल गया तो बच्चो का भविष्य सवरना तय है ।




Conclusion:इस वर्ष भी अधिकतर बच्चो ने प्रथम श्रेणी में पास की परीक्षा
गिरहोला स्कूल में इस वर्ष दसवीं बोर्ड में 49 बच्चो ने परीक्षा दी थी जिसमे से 43 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए है वही बारहवीं में 27 बच्चो ने परीक्षा दी थी जिसमे से 24 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए है । 2016 - 17 में दसवीं में 36 बच्चो ने परीक्षा दी थी जिसमे सभी 36 बच्चे प्रथम श्रेणी में पास हुए थे और दो बच्चे टिकेश्वर देवांगन 96. 67प्रतिशत प्रदेश में सातवां स्थान और उदित देवांगन 96.17 प्रतिशत प्रदेश में दसवा स्थान ने मेरिट सूची में भी स्थान बनाया था , बता दे कि उदित ने इस वर्ष बारहवीं में भी मेरिट में स्थान बनाया है और प्रदेश में पांचवा स्थान प्राप्त किया है ।

1 2 1 नासिर खान गिरहोला स्कूल प्राचार्य
Last Updated : May 14, 2019, 12:02 PM IST
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