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ना रिश्ते, ना नाते, फिर भी अंतिम संस्कार का फर्ज निभाते हैं अजय

कांकेर शहर के अजय मोटवानी पिछले 17 सालों से लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है. अजय ने अपने 10 से 12 साथियों के साथ मिलकर जनसेवा सामाजिक संगठन बनाया है. पिछले 17 सालों में 113 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं.

लावारिस शवों का अंतिम संस्कार
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Published : Apr 1, 2021, 8:09 PM IST

कांकेर: शहर में काम कर रही जनसेवा सामाजिक संगठन की सबसे अलग दास्तां हैं. जिन सड़ी-गली लावारिस लाशों को कोई छूने तक को तैयार नहीं होता, उनका यह संस्था विधि विधान से अंतिम संस्कार करवाती है. पिछले 17 सालों में संस्था अब तक 113 लाशों को मुक्ति दे चुकी है. ETV भारत को संस्था के प्रमुख अजय मोटवानी ने बताया कि पिछले 17 सालों से उनकी टीम लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार रीति-रिवाजों के साथ करते आ रहे हैं. इस काम के लिए वे किसी से कोई पैसा नहीं लेते हैं. निःस्वार्थ भाव से यह काम करते हैं.

लावारिस लाशों को मुखाग्नि देती है जनसेवा सामाजिक संगठन

17 साल पहले मिली प्रेरणा

लावारिस लाशों का सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कराने की सोच और इसके पीछे प्रेरणा अजय मोटवानी को 17 साल पहले मिली. अजय मोटवानी बताते हैं कि कांकेर जिला अस्पताल में एक बुजुर्ग अपने बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल आए थे. लेकिन इसी दौरान बुजुर्ग पिता की ही मौत हो गई. बेटे के पास घर तक जाने के लिए पैसे नहीं थे. तब अस्पताल के एक डॉक्टर ने उन्हें इस घटना की जानकारी दी. इसके बाद अजय मोटवानी अपनी गाड़ी से मृतक बुजुर्ग का शव गांव तक भेजवाया. उस घटना के बाद से उन्हें लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली. बस यहीं से दिल ऐसा पसीजा कि लावारिस लाशों का सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कराने की ठान ली.

अब रायपुर नगर निगम उठाएगा अंतिम संस्कार का खर्च

नक्सलियों का भी कर चुके हैं अंतिम संस्कार

अजय मोटवानी बताते हैं कि पुलिस का भी उन्हें इस काम में पूरा सहयोग मिलता है. पुलिस उन्हें लावारिस डेड बॉडी देती है. जिसका वे अंतिम संस्कार करवाते हैं. कभी-कभी उन्हें नक्सलियों की भी लाशें अंतिम संस्कार के लिए सौंपी जाती है. मानवता के नाते उसका भी विधिवत अंतिम संस्कार करते हैं.

पुलिस विभाग ने की पहल की सराहना

पुलिस विभाग के आरक्षक भागवत चालकी ने बताया कि जिन लावारिस लाशों के बारे में काफी खोजबीन करने के बाद भी उनके परिजनों का पता नहीं चलता. तब ऐसे में जनसेवा सामाजिक संगठन के प्रमुख अजय मोटवानी से संपर्क करते हैं. कानूनी प्रक्रिया के बाद अंतिम संस्कार करवाया जाता है. अजय मोटवानी की इस पहल को पुलिस वाले भी सराहना करते हैं

नि:स्वार्थ भाव से कर रही काम

करीब 113 लाशों को मुक्ति देने वाली यह संस्था और भी कई भलाई के काम कर रही है. जरूरतमंदों को मुफ्त में दवाई भी उपलब्ध करवाते हैं. वहीं गंभीर मरीज जिसे रायपुर या अन्य कहीं रेफर किया जाता है. उसे भेजवाने की व्यवस्था भी वे करते हैं. अजय मोटवानी ने बताया कि पिछले 17 सालो में अब तक 113 लावरिस लाशो का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं. आगे भी निःस्वार्थ होकर वे यह काम करते रहेंगे

कांकेर: शहर में काम कर रही जनसेवा सामाजिक संगठन की सबसे अलग दास्तां हैं. जिन सड़ी-गली लावारिस लाशों को कोई छूने तक को तैयार नहीं होता, उनका यह संस्था विधि विधान से अंतिम संस्कार करवाती है. पिछले 17 सालों में संस्था अब तक 113 लाशों को मुक्ति दे चुकी है. ETV भारत को संस्था के प्रमुख अजय मोटवानी ने बताया कि पिछले 17 सालों से उनकी टीम लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार रीति-रिवाजों के साथ करते आ रहे हैं. इस काम के लिए वे किसी से कोई पैसा नहीं लेते हैं. निःस्वार्थ भाव से यह काम करते हैं.

लावारिस लाशों को मुखाग्नि देती है जनसेवा सामाजिक संगठन

17 साल पहले मिली प्रेरणा

लावारिस लाशों का सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कराने की सोच और इसके पीछे प्रेरणा अजय मोटवानी को 17 साल पहले मिली. अजय मोटवानी बताते हैं कि कांकेर जिला अस्पताल में एक बुजुर्ग अपने बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल आए थे. लेकिन इसी दौरान बुजुर्ग पिता की ही मौत हो गई. बेटे के पास घर तक जाने के लिए पैसे नहीं थे. तब अस्पताल के एक डॉक्टर ने उन्हें इस घटना की जानकारी दी. इसके बाद अजय मोटवानी अपनी गाड़ी से मृतक बुजुर्ग का शव गांव तक भेजवाया. उस घटना के बाद से उन्हें लोगों की मदद करने की प्रेरणा मिली. बस यहीं से दिल ऐसा पसीजा कि लावारिस लाशों का सम्‍मान के साथ अंतिम संस्‍कार कराने की ठान ली.

अब रायपुर नगर निगम उठाएगा अंतिम संस्कार का खर्च

नक्सलियों का भी कर चुके हैं अंतिम संस्कार

अजय मोटवानी बताते हैं कि पुलिस का भी उन्हें इस काम में पूरा सहयोग मिलता है. पुलिस उन्हें लावारिस डेड बॉडी देती है. जिसका वे अंतिम संस्कार करवाते हैं. कभी-कभी उन्हें नक्सलियों की भी लाशें अंतिम संस्कार के लिए सौंपी जाती है. मानवता के नाते उसका भी विधिवत अंतिम संस्कार करते हैं.

पुलिस विभाग ने की पहल की सराहना

पुलिस विभाग के आरक्षक भागवत चालकी ने बताया कि जिन लावारिस लाशों के बारे में काफी खोजबीन करने के बाद भी उनके परिजनों का पता नहीं चलता. तब ऐसे में जनसेवा सामाजिक संगठन के प्रमुख अजय मोटवानी से संपर्क करते हैं. कानूनी प्रक्रिया के बाद अंतिम संस्कार करवाया जाता है. अजय मोटवानी की इस पहल को पुलिस वाले भी सराहना करते हैं

नि:स्वार्थ भाव से कर रही काम

करीब 113 लाशों को मुक्ति देने वाली यह संस्था और भी कई भलाई के काम कर रही है. जरूरतमंदों को मुफ्त में दवाई भी उपलब्ध करवाते हैं. वहीं गंभीर मरीज जिसे रायपुर या अन्य कहीं रेफर किया जाता है. उसे भेजवाने की व्यवस्था भी वे करते हैं. अजय मोटवानी ने बताया कि पिछले 17 सालो में अब तक 113 लावरिस लाशो का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं. आगे भी निःस्वार्थ होकर वे यह काम करते रहेंगे

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