कांकेर: जिले के ग्रामीण अंचल के लोगों के व्यवसाय का महत्वपूर्ण साधन 'हरा सोना' कहे जाने वाले 'तेंदूपत्ता' की तोड़ाई का काम शुरू हो गया है. जिससे ग्रामीण इलाके के लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. 'वो कहते हैं न पेट पालना है, तो मेहनत से क्यों डरना'. कुछ इसी तरह ग्रामीण अजीविका के लिए आग उगलती गर्मी में भी तेंदूपत्ता तोड़ाई के कार्य में जुटे हुए हैं.
सरकार ने बढ़ाया संग्रहण मूल्य
बता दें कि प्रदेश के नवनिर्वाचित सरकार ने इस बार तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि बढ़ाकर 400 रुपये प्रति सैकड़ा कर दी है. इसी के साथ तेंदूपत्ता के मानक बोरे पर भी मूल्य बढ़ाकर 4 हजार रुपये प्रति बोरे के दर से खरीदी करने वाली है. इससे ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है, ग्रामीणों का कहना है कि इस बार तेंदूपत्ता भी अच्छा हुआ है और संग्रहण मूल्य बढ़ाए जाने से उन्हें काफी आर्थिक लाभ होगा.
बारिश न बिगाड़ दे खेल, बेमौशम बारिश से ग्रामीणों में डर
तेंदूपत्ता तोड़ाई का कार्य समितियों के माध्यम से करवाया जा रहा है. ग्रामीण तेंदूपत्ता का संग्रहण कर उसे खुले आसमान के नीचे सुखा रहे हैं, लेकिन इस बार मौसम बेईमान बना हुआ है, पिछले कुछ दिनों से रोजाना शाम को बादल छाए रहते हैं. जिससे ग्रामीणों में डर बना हुआ है कि कहीं बेमौसम बारिश उनके मेहनत पर पानी ना फेर दे.