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कांकेर: कोषाध्यक्ष को गुमराह कर 8 साल तक निकाली RMSA की राशि - खर्च किए गए रुपयों का फर्जी बिल रोकड़ पुस्तिका में चिपकाता रहा

तत्कालीन प्राचार्य द्वारा राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) की राशि का लगातार आहरण किया जा रहा था. RTI जांच के बाद उच्च अधिकारी को 8 सालों तक राशि के आहरण की जानकारी नहीं मिलने पर सवाल उठ रहे हैं.

RMSA फंड का आहरण
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Published : Nov 9, 2019, 10:05 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 11:58 PM IST

कांकेर: बारदा हाईस्कूल के तत्कालीन प्राचार्य ने 8 साल तक शासन के नियमों को अनदेखा कर स्कूल की राशि का आहरण किया और शासन को नुकसान पहुंचाया. 8 साल से कोषाध्यक्ष के दुर्गकोंदल ब्लॉक में स्थानांतरण होने के बावजूद प्रिंसिपल राशि निकलवाता रहा. साथ ही खर्च किए गए रुपयों का फर्जी बिल रोकड़ पुस्तिका में चिपकाता रहा. तत्कालीन शिक्षक ने RMSA की राशियों का आहरण करता रहा. ऐसे में शिक्षा विभाग पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं. इस मामले का खुलासा RTI से हुआ है.

तत्कालीन प्राचार्य द्वारा RMSA राशि का आहरण

RMSA की राशि से निकाला
इस विषय में जब तत्कालीन कोषाध्यक्ष बारदा शिवलाल कोमरे से बातचीत की गई तो, उन्होंने अपनी गलती को मानते हुए कहा कि मैंने कई बार प्राचार्य को मना किया. चेक में हस्ताक्षर करने से मना करने पर प्राचार्य ने पुरानी राशि बताया. साल 2010 में दुर्गकोंदल पोस्टिंग होने के बाद भी प्राचार्य घर पर आकर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाता था.

पढ़े:रायपुर: मवेशियों को बंधक बनाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज, कराया मुक्त

प्रशासन आहरण से अंजान
RTI से मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ कि उच्च अधिकारी को इसकी जानकारी नहीं थी. इसकी भनक शासन प्रशासन तक को नहीं लगी. अब देखना होगा कि अधिकारी जांच करते हैं या फिर जांच के नाम पर एक दूसरे पर सवाल उठाते हैं. बता दें कि स्कूल कल्याण एवं स्कूली खर्च के लिए जिले से प्रत्येक हाईस्कूलों में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के तहत राशि आबंटित की जाती है.

कांकेर: बारदा हाईस्कूल के तत्कालीन प्राचार्य ने 8 साल तक शासन के नियमों को अनदेखा कर स्कूल की राशि का आहरण किया और शासन को नुकसान पहुंचाया. 8 साल से कोषाध्यक्ष के दुर्गकोंदल ब्लॉक में स्थानांतरण होने के बावजूद प्रिंसिपल राशि निकलवाता रहा. साथ ही खर्च किए गए रुपयों का फर्जी बिल रोकड़ पुस्तिका में चिपकाता रहा. तत्कालीन शिक्षक ने RMSA की राशियों का आहरण करता रहा. ऐसे में शिक्षा विभाग पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं. इस मामले का खुलासा RTI से हुआ है.

तत्कालीन प्राचार्य द्वारा RMSA राशि का आहरण

RMSA की राशि से निकाला
इस विषय में जब तत्कालीन कोषाध्यक्ष बारदा शिवलाल कोमरे से बातचीत की गई तो, उन्होंने अपनी गलती को मानते हुए कहा कि मैंने कई बार प्राचार्य को मना किया. चेक में हस्ताक्षर करने से मना करने पर प्राचार्य ने पुरानी राशि बताया. साल 2010 में दुर्गकोंदल पोस्टिंग होने के बाद भी प्राचार्य घर पर आकर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाता था.

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प्रशासन आहरण से अंजान
RTI से मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ कि उच्च अधिकारी को इसकी जानकारी नहीं थी. इसकी भनक शासन प्रशासन तक को नहीं लगी. अब देखना होगा कि अधिकारी जांच करते हैं या फिर जांच के नाम पर एक दूसरे पर सवाल उठाते हैं. बता दें कि स्कूल कल्याण एवं स्कूली खर्च के लिए जिले से प्रत्येक हाईस्कूलों में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के तहत राशि आबंटित की जाती है.

Intro:एंकर - शासन के नियमो को आठ सालो से शिक्षक दिखा रहा था ठेंगा ! 8 वर्षो से 2010 से 2018 तक आर.एम.एस.ए. {RMSA} की राशी का निरंतर करता रहा बारदा के तत्कालीन शिक्षक अहरण !Body:ज्ञात हो की स्कुल कल्याण एवं स्कूली खर्च के लिए जिले से प्रत्येक हाई स्कुलो में RMSA के तहत राशी आवंटित किया जाता हैं जिसे हाई स्कुल के प्राचार्य एवं उक्त स्कूल में पदस्त अन्य शिक्षक {कोष्ध्यक्ष} के द्वारा अहरण कर स्कुल हित में खर्चा करना रहता हैं इस राशी को जिले से सयुक्त खाते में डाला जाता हैं ताकि खर्च किये गए राशी में पारदर्शिता बनी रहे मगर कोयलिबेडा विकासखंड के बारदा हाइ स्कुल के तत्कालीन प्राचार्य शासन के नियमो को ठेंगा दिखा कर निरंतर 8 वर्षो से अन्य ब्लाक दुर्गकोंदल में 2010 में कोषाध्यक्ष की स्थान्तरण होने के बाबजूद राशी का अहरण करता रहा और फर्जी बील बनाकर खर्च किये गए रुपयों का बील रोकड़ पुस्तिका में चिपकाता गया,आखिर तत्कालीन शिक्षक ने इन 8 वर्षो से RMSA की सयुक्त खाते को अलग करना उचित नहीं समझा और निरंतर राशियों का अहरण करता रहा, ऐसे में शिक्षा विभाग पर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैंConclusion:एक सम्मानीय शिक्षक द्वारा शासन के नियमो को लगातार आठ वर्षो से ठेंगा दिखता रहा और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी ऐसे में पारदर्शिता का प्रश्न ही नहीं बनता इस विषय में जब शिवलाल कोमरे तत्कालीन कोष्ध्यक्ष बारदा से पूछा गया तो उन्होंने अपनी गलती को मानते हुए कहा मैंने कई बार प्राचार्य को माना किया मैं किसी भी चेक में हस्ताक्षर नहीं करूँगा मगर उन्होंने मुझे बतलाया बहुत पुराना पैसा हैं आप उसी में हस्ताक्षर कर दो मैंने कहा अब मैं बारदा स्कुल में नहीं हूँ मेरी पोस्टिंग दुर्गकोंदल 2010 में हो चुकी हैं मैं चेक में हस्ताक्षर नहीं कर सकता मगर जब भी प्राचार्य को कांकेर जाना होता था मेरे घर पे आ कर मुझसे जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाते थे बोलकर की पुराना पैसा हैं कुछ नहीं होगा ! आरटीआई से मांगी गई जानकारी से खुलासा हुआ,इसका जानकारी उच्च अधिकारी को कैसे नही विभाग पर प्रश्न चिन्ह ? शिक्षक अपने फायदे के लिए स्कूल में पदस्थ शिक्षक को RMSA खाते में नही जोड़ा गया 50 km दूर पदस्थ शिक्षक को ही खाते में रखकर लगातार 8 सालो से राशि आहरण करते रहे जिसका भनक शासन प्रशासन तक नही लगी,अब देखना होगा की अधिकारी जांच करते हैं या फिर जांच के नाम पर एक दूसरे पर सवाल उठाते हैं।

01.बाइट-शिवलाल कोमरे-तत्कालीन कोषध्यक्ष बारदा
02.बाइट-गजाधर जैन-वर्तमान प्रिंसिपल
03.बाइट-के.के.यादव-खंड शिक्षा अधिकारी

रिपोर्टर - देबाशीष बिस्वास पखांजूर 7587849010,6266609661
Last Updated : Nov 9, 2019, 11:58 PM IST
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