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कांकेर की निरूपा सलाम और मंजुलता सोरी कैसे बनीं धाकड़ गर्ल ! - ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस

कांकेर की निरूपा सलाम और मंजुलता सोरी ने वेट लिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग में अपना लोहा मनवाया है. इन दोनों महिलाओं ने अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है. कैसे छोटे से शहर से निकलकर इन्होंने अपना सफर तय किया. जानिए ETV भारत की इस रिपोर्ट में

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निरूपा सलाम और मंजुलता सोरी की कहानी
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Published : Mar 8, 2021, 6:25 PM IST

कांकेर: 8 मार्च को विश्वभर में महिलाओं के सम्मान के लिए महिला दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को समाज में योगदान, बलिदान और संघर्ष को याद किया जाता है. यह महिलाओं के लिए प्रशंसा का दिन है. महिलाओं ने हर सेक्टर में अपना लोहा मनवाया है. ऐसी ही दो युवतियों से ETV भारत आपकी पहचान करा रहा है. इन युवतियों ने साबित किया है कि सपनों को कभी भी पूरा किया जा सकता है. समाज के ताने भी इन्हें मंजिल पाने से नहीं रोक सके. सरकारी नौकरी में रहते हुए युवतियों ने खेल के क्षेत्र में खुद को साबित किया है.

निरूपा सलाम और मंजुलता शोरी

तानों की परवाह किए बगैर बनाया मुकाम

इन्हें समाज के ताने भी सहने पड़े लेकिन इन सब तानों से इनका इरादा और मजबूत हुआ. कांकेर में वन विभाग में वनरक्षक के पद में कार्यरत मंजुलता सोरी और निरूपा सलाम में ऐसा जुनून था कि पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग में स्टेट से लेकर नेशनल तक इन्होंने गोल्ड मेडल जीता. और इन्होंने समाज की सोच को गलत साबित किया. निरूपा सलाम ने बताया कि मैं एक लड़की हूं. जब मैं खेल के क्षेत्र में आई, तो मुझे मेरे लुक और आवाज को लेकर बहुत कुछ फेस करना पड़ा. मुझे बहुत सारे निगेटिव कमेंट मिले. लेकिन इससे मुझ सीख मिली. मुझे कोई फर्क भी नहीं पड़ा. इस छोटी सोच और छोटी मानसिकता को मैने समस्या नहीं बनने दिया.

Nirupa Salam won medal
जब जीतकर लौटे तो हुआ स्वागत

अपनी कमियों को हथियार बनाया, राष्ट्रीय महिला उपलब्धि पुरस्कार से हुईं सम्मानित

'आज मैं कामयाब हूं'

उन्होंने बताया कि मुझे हमेशा कहा जाता था कि लड़के जैसा दिखती है, लड़की हो पर लड़के जैसी रहती हो. ये सब मैंने बहुत अधिक फेस किया है. लेकिन मेरा एक ही लक्ष्य था. अपने काम और काबिलियत में ज्यादा विश्वास करें. लोगों के कमेंट और दूसरी चीजों को मैने नजरअंदाज किया. मुझे अपने काम से काम रहा. और आज मैं कामयाब भी हूं. निरूपा कहती हैं कि शुरू से मेरा रुझान खेल को लेकर रहा है. वेटलिफ्टिंग में नहीं था. एथेलेटिक्स में था. स्पोर्ट्स बचपन से मेरा शौक था. मेरे पापा भी स्पोर्ट्स मैन थे.

Nirupa Salam won medal
निरूपा सलाम ने जीता मेडल

यहां से शुरू हुआ सफर

निरूपा ने 14 जनवरी 2013 को सीधी भर्ती के माध्यम से वन संरक्षक का पद हासिल किया. साल 2015 में पहली बार बेंगलुरु में वेट लिफ्टिंग में शामिल हुई और 63 केजी के लिए कांस्य पदक जीता.उसके बाद 2017 में हैदराबाद में गोल्ड मेडल जीता. वो अब तक 7 बार नेशनल खेल चुकी हैं. 7 नेशनल में मैंने 5 गोल्ड मेडल जीते हैं. 1 ब्राउंज मेडल और 1 सिल्वर मेडल भी जीता है. उन्होंने ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस भी खेला है. उसमे भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

Nirupa Salam won medal
निरूपा सलाम ने जीता मेडल
Passion is in nirupa salaam
निरूपा सलाम में है जुनून

महिला दिवस पर आइएनएस विक्रमादित्य और शक्ति पर 'शक्ति' की तैनाती

ETV भारत ने कांकेर में पदस्थ एक और महिला वनरक्षक से बात की. वनरक्षक के पद में कार्यरत मंजुलता सोरी की कहानी भी निरूपा सलाम की तरह ही है. मंजुलता सोरी कहती हैं कि उन्हें आगे बढ़ना है. इंटरनेशनल खेल में उन्हें गोल्ड जीतना है. पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग को लेकर उनके अंदर अलग ही जुनून है. जब वो किसी को बताती थी कि उन्हें पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग में खेलना है तो उनका मजाक बनाया जाता था. लेकिन आज उन्होंने उन लोगों को गलत साबित कर दिया है.

Employed as a forest guard
वन रक्षक के रूप में कार्यरत
Manjulata Shorey received honor
मंजुलता सोरी को मिला सम्मान

नेशनल में जीता गोल्ड

मंजुलता सोरी ने पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग में नेशनल खेल में 2 गोल्ड, 2 सिल्वर और राज्य में 2 गोल्ड जीता है. उनकी मंजिल अभी उन्हें नहीं मिली है.

कांकेर: 8 मार्च को विश्वभर में महिलाओं के सम्मान के लिए महिला दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को समाज में योगदान, बलिदान और संघर्ष को याद किया जाता है. यह महिलाओं के लिए प्रशंसा का दिन है. महिलाओं ने हर सेक्टर में अपना लोहा मनवाया है. ऐसी ही दो युवतियों से ETV भारत आपकी पहचान करा रहा है. इन युवतियों ने साबित किया है कि सपनों को कभी भी पूरा किया जा सकता है. समाज के ताने भी इन्हें मंजिल पाने से नहीं रोक सके. सरकारी नौकरी में रहते हुए युवतियों ने खेल के क्षेत्र में खुद को साबित किया है.

निरूपा सलाम और मंजुलता शोरी

तानों की परवाह किए बगैर बनाया मुकाम

इन्हें समाज के ताने भी सहने पड़े लेकिन इन सब तानों से इनका इरादा और मजबूत हुआ. कांकेर में वन विभाग में वनरक्षक के पद में कार्यरत मंजुलता सोरी और निरूपा सलाम में ऐसा जुनून था कि पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग में स्टेट से लेकर नेशनल तक इन्होंने गोल्ड मेडल जीता. और इन्होंने समाज की सोच को गलत साबित किया. निरूपा सलाम ने बताया कि मैं एक लड़की हूं. जब मैं खेल के क्षेत्र में आई, तो मुझे मेरे लुक और आवाज को लेकर बहुत कुछ फेस करना पड़ा. मुझे बहुत सारे निगेटिव कमेंट मिले. लेकिन इससे मुझ सीख मिली. मुझे कोई फर्क भी नहीं पड़ा. इस छोटी सोच और छोटी मानसिकता को मैने समस्या नहीं बनने दिया.

Nirupa Salam won medal
जब जीतकर लौटे तो हुआ स्वागत

अपनी कमियों को हथियार बनाया, राष्ट्रीय महिला उपलब्धि पुरस्कार से हुईं सम्मानित

'आज मैं कामयाब हूं'

उन्होंने बताया कि मुझे हमेशा कहा जाता था कि लड़के जैसा दिखती है, लड़की हो पर लड़के जैसी रहती हो. ये सब मैंने बहुत अधिक फेस किया है. लेकिन मेरा एक ही लक्ष्य था. अपने काम और काबिलियत में ज्यादा विश्वास करें. लोगों के कमेंट और दूसरी चीजों को मैने नजरअंदाज किया. मुझे अपने काम से काम रहा. और आज मैं कामयाब भी हूं. निरूपा कहती हैं कि शुरू से मेरा रुझान खेल को लेकर रहा है. वेटलिफ्टिंग में नहीं था. एथेलेटिक्स में था. स्पोर्ट्स बचपन से मेरा शौक था. मेरे पापा भी स्पोर्ट्स मैन थे.

Nirupa Salam won medal
निरूपा सलाम ने जीता मेडल

यहां से शुरू हुआ सफर

निरूपा ने 14 जनवरी 2013 को सीधी भर्ती के माध्यम से वन संरक्षक का पद हासिल किया. साल 2015 में पहली बार बेंगलुरु में वेट लिफ्टिंग में शामिल हुई और 63 केजी के लिए कांस्य पदक जीता.उसके बाद 2017 में हैदराबाद में गोल्ड मेडल जीता. वो अब तक 7 बार नेशनल खेल चुकी हैं. 7 नेशनल में मैंने 5 गोल्ड मेडल जीते हैं. 1 ब्राउंज मेडल और 1 सिल्वर मेडल भी जीता है. उन्होंने ऑल इंडिया सिविल सर्विसेस भी खेला है. उसमे भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

Nirupa Salam won medal
निरूपा सलाम ने जीता मेडल
Passion is in nirupa salaam
निरूपा सलाम में है जुनून

महिला दिवस पर आइएनएस विक्रमादित्य और शक्ति पर 'शक्ति' की तैनाती

ETV भारत ने कांकेर में पदस्थ एक और महिला वनरक्षक से बात की. वनरक्षक के पद में कार्यरत मंजुलता सोरी की कहानी भी निरूपा सलाम की तरह ही है. मंजुलता सोरी कहती हैं कि उन्हें आगे बढ़ना है. इंटरनेशनल खेल में उन्हें गोल्ड जीतना है. पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग को लेकर उनके अंदर अलग ही जुनून है. जब वो किसी को बताती थी कि उन्हें पावर लिफ्टिंग और वेट लिफ्टिंग में खेलना है तो उनका मजाक बनाया जाता था. लेकिन आज उन्होंने उन लोगों को गलत साबित कर दिया है.

Employed as a forest guard
वन रक्षक के रूप में कार्यरत
Manjulata Shorey received honor
मंजुलता सोरी को मिला सम्मान

नेशनल में जीता गोल्ड

मंजुलता सोरी ने पावर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग में नेशनल खेल में 2 गोल्ड, 2 सिल्वर और राज्य में 2 गोल्ड जीता है. उनकी मंजिल अभी उन्हें नहीं मिली है.

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