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सड़क निर्माण कार्य किसानों के लिए बना मुसीबत, दो साल से नहीं मिला सिंचाई के लिए पानी

पखांजूर में PWD विभाग हरिहरपुर से ढोरकट्टा तक करीब 10 किलोमीटर तक की पक्की सड़क बना रहा है. पुलिया बनाने के लिए गड्ढे भी खोद दिए गए, फिर बाद में इसमें मिट्टी डाल दिया गया. जिसकी वजह से किसानों को दो साल तक सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि बहुत जल्द संबंधित विभाग का घेराव किया जाएगा.

farmers of pakhanjur did not get water for irrigation
सड़क निर्माण कार्य किसानों के लिए बना मुसीबत
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Published : Oct 18, 2020, 5:21 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 6:58 PM IST

कांकेर: जिले के पखांजूर में PWD विभाग हरिहरपुर से ढोरकट्टा तक करीब 10 किलोमीटर तक की पक्की सड़क बना रहा है. जानकारी के मुताबिक सड़क निर्माण का ठेकेदार शिरोमणि माथुर है, जो बालोद के दल्ली राजहरा का रहने वाला है. ठेकेदार ने 10 किलोमीटर तक की सड़क के दोनों तरफ एक साथ खोदाई कर डाली है. सड़क बनाने के नाम से कई पुलिया को भी तोड़ दिया गया है. सड़क से लगे हुए रामकृष्णपुर स्थित जलाशय के मुख्य गेट पर पुलिया बनाने के लिए गड्ढा खोदा गया, जिसकी वजह से जलाशय के मुख्य गेट को बंद किया गया था. सालभर बीत जाने के बाद भी यहां निर्माण कार्य नहीं हुआ और यही वजह है कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल सका.

सड़क निर्माण कार्य किसानों के लिए बना मुसीबत

आवाजाही के लिए परेशान ग्रामीणों की शिकायत पर ठेकेदार ने जलाशय के गेट पर पुलिया निर्माण के लिए खोदे गए गड्ढे को मिट्टी से बंद कर दिया. आने-जाने के लिए तो सुविधा हो गई, लेकिन जलाशय गेट से सिंचाई के लिए पानी जाना बंद हो गया.

farmers of pakhanjur did not get water for irrigation
दो साल से नहीं मिला सिंचाई के लिए पानी

सैकड़ों एकड़ खेत में फसल नहीं उगा पाए किसान

रामकृष्णपुर गांव का जलाशय 73 हेक्टेयर(182.5 एकड़ ) जमीन पर बना हुआ है. इस जलाशय से सिंचाई के लिए दो गेट बनाए गए हैं. यहां के पानी से सैकड़ों एकड़ जमीन पर किसानों को सिंचाई करने की सुविधा मिलती है. आरोप है कि बीते दो साल से PWD विभाग की उदासीनता और ठेकेदार की मनमानी की वजह से इस क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ जमीन पर किसान फसल नहीं उगा पाए.

बीते दो साल से सिंचाई के लिए नहीं मिला पानी

किसानों ने बताया कि दो साल बीत गए हैं और अबतक उन्हें सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिला है. वर्तमान में किसानों ने मक्के की फसल लगाई है. जलाशय से पानी नहीं मिलने की वजह से किसानों को मजबूरी में डीजल इंजन पंप चलाकर खेतों में पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है. पंप की मदद से किसानों के मक्के और धान की फसलों को पानी मिल पा रहा है.

दो साल में प्रत्येक किसान को खर्च हुए करीब 48 हजार

किसानों ने बताया कि नहर से खेती करने के लिए मुफ्त में पानी मिलता था, लेकिन अब पानी नहीं मिलने की वजह से वह अपने जेब से 80 से 85 रुपए की डीजल खरीदकर पंप से पानी की व्यवस्था करने को मजबूर हैं. इसके कारण किसानों के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि सालभर में उन्हें करीब 250 से 300 लीटर डीजल खरीदना पड़ता है. एक साल में एक किसान को करीब 24 हजार रुपए का डीजल खरीदना पड़ रहा है. यानी बीते दो साल में प्रत्येक किसान ने 48 हजार रुपए खर्च किए हैं.

पढ़ें-

क्षेत्र के जनपद सदस्य और जनपद उपाध्यक्ष किशोर मंडल ने बताया कि ठेकेदार को नहर के ऊपर पुलिया का निर्माण जल्द किए जाने की बात कई बार कही गई. पुलिया बनाने के लिए गड्ढे भी खोद दिए गए, फिर बाद में इसमें मिट्टी डाल दिया गया. जिसकी वजह से किसानों को दो साल तक सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि बहुत जल्द संबंधित विभाग का घेराव किया जाएगा.

कांकेर: जिले के पखांजूर में PWD विभाग हरिहरपुर से ढोरकट्टा तक करीब 10 किलोमीटर तक की पक्की सड़क बना रहा है. जानकारी के मुताबिक सड़क निर्माण का ठेकेदार शिरोमणि माथुर है, जो बालोद के दल्ली राजहरा का रहने वाला है. ठेकेदार ने 10 किलोमीटर तक की सड़क के दोनों तरफ एक साथ खोदाई कर डाली है. सड़क बनाने के नाम से कई पुलिया को भी तोड़ दिया गया है. सड़क से लगे हुए रामकृष्णपुर स्थित जलाशय के मुख्य गेट पर पुलिया बनाने के लिए गड्ढा खोदा गया, जिसकी वजह से जलाशय के मुख्य गेट को बंद किया गया था. सालभर बीत जाने के बाद भी यहां निर्माण कार्य नहीं हुआ और यही वजह है कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल सका.

सड़क निर्माण कार्य किसानों के लिए बना मुसीबत

आवाजाही के लिए परेशान ग्रामीणों की शिकायत पर ठेकेदार ने जलाशय के गेट पर पुलिया निर्माण के लिए खोदे गए गड्ढे को मिट्टी से बंद कर दिया. आने-जाने के लिए तो सुविधा हो गई, लेकिन जलाशय गेट से सिंचाई के लिए पानी जाना बंद हो गया.

farmers of pakhanjur did not get water for irrigation
दो साल से नहीं मिला सिंचाई के लिए पानी

सैकड़ों एकड़ खेत में फसल नहीं उगा पाए किसान

रामकृष्णपुर गांव का जलाशय 73 हेक्टेयर(182.5 एकड़ ) जमीन पर बना हुआ है. इस जलाशय से सिंचाई के लिए दो गेट बनाए गए हैं. यहां के पानी से सैकड़ों एकड़ जमीन पर किसानों को सिंचाई करने की सुविधा मिलती है. आरोप है कि बीते दो साल से PWD विभाग की उदासीनता और ठेकेदार की मनमानी की वजह से इस क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ जमीन पर किसान फसल नहीं उगा पाए.

बीते दो साल से सिंचाई के लिए नहीं मिला पानी

किसानों ने बताया कि दो साल बीत गए हैं और अबतक उन्हें सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिला है. वर्तमान में किसानों ने मक्के की फसल लगाई है. जलाशय से पानी नहीं मिलने की वजह से किसानों को मजबूरी में डीजल इंजन पंप चलाकर खेतों में पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है. पंप की मदद से किसानों के मक्के और धान की फसलों को पानी मिल पा रहा है.

दो साल में प्रत्येक किसान को खर्च हुए करीब 48 हजार

किसानों ने बताया कि नहर से खेती करने के लिए मुफ्त में पानी मिलता था, लेकिन अब पानी नहीं मिलने की वजह से वह अपने जेब से 80 से 85 रुपए की डीजल खरीदकर पंप से पानी की व्यवस्था करने को मजबूर हैं. इसके कारण किसानों के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. उन्होंने बताया कि सालभर में उन्हें करीब 250 से 300 लीटर डीजल खरीदना पड़ता है. एक साल में एक किसान को करीब 24 हजार रुपए का डीजल खरीदना पड़ रहा है. यानी बीते दो साल में प्रत्येक किसान ने 48 हजार रुपए खर्च किए हैं.

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क्षेत्र के जनपद सदस्य और जनपद उपाध्यक्ष किशोर मंडल ने बताया कि ठेकेदार को नहर के ऊपर पुलिया का निर्माण जल्द किए जाने की बात कई बार कही गई. पुलिया बनाने के लिए गड्ढे भी खोद दिए गए, फिर बाद में इसमें मिट्टी डाल दिया गया. जिसकी वजह से किसानों को दो साल तक सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना है कि बहुत जल्द संबंधित विभाग का घेराव किया जाएगा.

Last Updated : Oct 18, 2020, 6:58 PM IST
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