कांकेर : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार पानी की तरह पैसा बहाकर सड़कें बनवा रही है.ताकि गांवों तक विकास की लहर पहुंचे और नक्सलवाद खत्म हो.लेकिन नक्सल इलाकों में बन रहीं सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहीं हैं.गुणवत्ताहीन काम की वजह से नक्सल इलाकों की सड़कें निर्माण के समय ही जर्जर होने की कगार पर है.घटिया सड़क निर्माण का खुलासा लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने ही किया है.
सड़क की जांच की गई : बस्तर संभाग के अंदरूनी और सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र में निर्माणाधीन सड़कों की गुणवत्ता पर मनमानी हो रही है. इसके कारण संभाग के 4 जिले बस्तर, कोंडागांव, कांकेर और नारायणपुर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क बन रहे हैं. निर्माणाधीन सड़कों के गुणवत्ता जांच करने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने अप्रैल माह में विभाग की चलित प्रयोगशाला वेन लेब तकनीकी टीम के साथ भेजा. जहां क्षेत्र के 16 सड़कों का लोक निर्माण विभाग के चलित प्रयोगशाला वेन से लेब के कर्मचारियों ने जांच के लिए सड़क की कटिंग की.
किन सड़कों में पाई गई खामियां : जांच में 16 सड़कों में से अंतागढ़ से बेड़मा मार्ग में डीबीएम कोर कटिंग पर थिकनेस, अंतागढ़ से कोयलीबेड़ा परतापुर मार्ग, राजनांदगांव बैलाडीला, कांकेर भानुप्रतापपुर-संबलपुर मार्ग में मिटटी कार्य के सीबीआर और चित्रकोट मार्ग में रोलिंग की कमी पाई गई. इस पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने क्षेत्र के कार्यपालन अभियंताओं और संबंधित ठेकेदारों को निर्देश दिया कि गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
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कोयलीबेड़ा-परतापुर सड़क भी गुणवत्ताहीन : आजादी के 75 साल बाद कांकेर में नक्सलियों का रेड कॉरिडोर कहा जाने वाला कोयलीबेड़ा-परतापुर में सड़क निर्माण कराया गया. इस सड़क निर्माण के दौरान 8 जवान शहीद भी हो गए. उन सड़क पर अब दरारें आ गई. साथ ही कई जगहों में ये सड़क धंस चुकी है.