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रात भर बारिश में गुजरी रात, दिवाली से पहले निर्दयी प्रशासन ने उजाड़ा आशियाना

कांकेर प्रशासन ने 30 ग्रामीणों का मकान तोड़ दिया, जिससे ग्रामीणों को रात बारिश में गुजारनी पड़ी. ग्रामीणों ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी, लेकिन प्रशासन की जांच टीम अभी तक नहीं पहुंची है, इससे ग्रामीणों को चिंता सता रही है.

निर्दई प्रशासन ने ग्रामीणों का उजाड़ा आशियाना
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Published : Oct 19, 2019, 6:48 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 7:04 PM IST

कांकेर: एक ओर राज्य और केंद्र सरकार गरीबों को घर बनाकर देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी ओर कांकेर नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में 30 साल से काबिज ग्रामीणों के मकान को प्रशासन ने अवैध कब्जा बताकर तोड़ दिया, इससे 25 से 30 परिवार बेघर हो गए हैं.

प्रशासन ने ग्रामीणों का उजाड़ा आशियाना

मामले को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है, इसके बाद कलेक्टर ने ग्रामीणों से जांच टीम भेजने की बात कही थी, लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी जांच टीम गांव में नहीं पहुंची है, इससे कारण ग्रामीणों की चिंता अब और बढ़ने लगी है.

छोटे-छोटे बच्चों को खाने-सोने की परेशानी
ग्रामीणों का आशियाना उजड़ने के बाद बारिश के बीच बाजार में बने शेड के नीचे सभी को रात गुजारनी पड़ी. इस दौरान छोटे-छोटे बच्चों के साथ ग्रामीणों ने जैसे-तैसे रात तो बकाट लिया, लेकिन प्रशासन से एक उम्मीद थी कि प्रशासन की टीम पहुंचेगी, तो मामला सुलझ जाएगा, लेकिन प्रशासन की टीम नहीं पहुंचने से अब ग्रामीण और चिंतित हो रहे हैं. लोगों को बच्चों के खाने-सोने की चिंता सता रही है.

ETV भारत की टीम से सुनाई दर्द
जब ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची तो ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि रात में कुछ लोग बाजार में बने शेड के नीचे सोये थे, तो कुछ लोग दूसरों के घरों के आंगन में पनाह लिए हुए थे.

30 साल से रह रहे तो अवैध कब्जा कैसे ?
ग्रामीणों का कहना है कि यह जगह उनके परिजनों ने काबिज की थी और उनका बचपन यहां बीता है. ऐसे में यह अवैध कब्जा कैसे हो सकता है. वहीं ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत पर गलत तरह से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.

कांकेर: एक ओर राज्य और केंद्र सरकार गरीबों को घर बनाकर देने की बात करती है, तो वहीं दूसरी ओर कांकेर नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में 30 साल से काबिज ग्रामीणों के मकान को प्रशासन ने अवैध कब्जा बताकर तोड़ दिया, इससे 25 से 30 परिवार बेघर हो गए हैं.

प्रशासन ने ग्रामीणों का उजाड़ा आशियाना

मामले को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है, इसके बाद कलेक्टर ने ग्रामीणों से जांच टीम भेजने की बात कही थी, लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी जांच टीम गांव में नहीं पहुंची है, इससे कारण ग्रामीणों की चिंता अब और बढ़ने लगी है.

छोटे-छोटे बच्चों को खाने-सोने की परेशानी
ग्रामीणों का आशियाना उजड़ने के बाद बारिश के बीच बाजार में बने शेड के नीचे सभी को रात गुजारनी पड़ी. इस दौरान छोटे-छोटे बच्चों के साथ ग्रामीणों ने जैसे-तैसे रात तो बकाट लिया, लेकिन प्रशासन से एक उम्मीद थी कि प्रशासन की टीम पहुंचेगी, तो मामला सुलझ जाएगा, लेकिन प्रशासन की टीम नहीं पहुंचने से अब ग्रामीण और चिंतित हो रहे हैं. लोगों को बच्चों के खाने-सोने की चिंता सता रही है.

ETV भारत की टीम से सुनाई दर्द
जब ETV भारत की टीम मौके पर पहुंची तो ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि रात में कुछ लोग बाजार में बने शेड के नीचे सोये थे, तो कुछ लोग दूसरों के घरों के आंगन में पनाह लिए हुए थे.

30 साल से रह रहे तो अवैध कब्जा कैसे ?
ग्रामीणों का कहना है कि यह जगह उनके परिजनों ने काबिज की थी और उनका बचपन यहां बीता है. ऐसे में यह अवैध कब्जा कैसे हो सकता है. वहीं ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत पर गलत तरह से कार्रवाई करने का आरोप लगाया है.

Intro:कांकेर - नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में 30 साल से काबिज ग्रामीणों को कल ग्राम पंचायत की शिकायत पर प्रशासन के द्वारा अवैध कब्जा बताकर मकानों को तोड़ दिया, जिससे 25 से 30 परिवार बेघर हो गए है । अपनी व्यथा लेकर कल देर शाम ग्रामीण कलेक्टर बंगला पहुच गए थे जिसके बाद उन्हें आश्वसन दिया गया था कि आज जिला मुख्यालय से जांच टीम जामगांव भेजी जाएगी, लेकिन आधा दिन बीतने के बाद भी अब तक प्रशासन की कोई टीम यहां नही पहुची है ।


Body:आशियाना उजड़ने के बाद ग्रामीण रात में बारिश के बीच बाज़ार में बनी लाड़ी पर रात बिताने मजबूर हो गए थे, छोटे छोटे बच्चो के साथ ग्रामीणों ने जैसे तैसे रात तो बिता ली जिसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि आज सुबह प्रशासन की टीम पहुचेगी तो मामला सुलझ जाएगा लेकिन दोपहर तक प्रशासन की टीम नही पहुचने से ग्रामीणों की चिंता एक बार फिर बढ़ गई है, ग्रामीण अपने टूटे हुए आशियनो के सामने प्रशासन की टीम का इंतज़ार करते हुए बैठे है । ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि रात में कुछ लोग बाज़ार की लाड़ी में सोए थे तो कुछ लोग दूसरों के घरों के आंगन में पनाह लिए हुए थे , अब तक प्रशासन की टीम तो नही पहुची है लेकिन उन्हें अभी भी उम्मीद है कि जल्द ही प्रशासन की टीम आएगी और उन्हें रहने के लिए जगह मिल सकेगी ।

30 सालो से रह रहे तो अवैध कब्जा कैसे ?
ग्रामीणों का कहना है कि यह जगह उनके परिजनों ने काबिज की थी और उनका बचपन यहां बिता है ऐसे में इसे अवैध कब्जा कैसे कहा जा सकता है । ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत पर गलत तरह से कार्यवाही का आरोप लगाया है ।


Conclusion:अब कलेक्टर बंगला गए तो हटेंगे नही
ग्रामीणों का कहना है की यदि आज प्रशासन के द्वारा इस मसले का हल नही निकाला गया तो वो पूरे सामान के साथ कलेक्टर बंगाल जाएंगे और वहां से हटेंगे नही जब तक उनके रहने की व्यवस्था नही कर दी जाती ।

बाइट- ग्रामीण महिला

राम सिंह सुरोजिया ग्रामीण

पीटीसी
Last Updated : Oct 19, 2019, 7:04 PM IST
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