कवर्धा: बार-बार सरकारी नुमाइंदों और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद जब किसी ने नहीं सुनी, तो यहां ग्रामीण खुद ही अपनी किस्मत बदलने में जुट गए. इस गांव को पक्की तो क्या सही सलामत कच्ची सड़क भी नसीब नहीं है, ऐसे में इसे दुरुस्त करने का बीड़ा गांव वालों ने खुद ही उठा लिया.
जिले के बोडला अंतर्गत माराडबरा में लगभग 60 बैगा आदिवासी परिवार रहते हैं. बारिश के दिनों में इस गांव का दूसरे गांवों से संपर्क कट जाता है. पक्की सड़क के अभाव में ग्रामीणों को किचकिचे और पथरिले रास्तों से होकर जाना पड़ता है.
लकड़ी और पत्थर से कर रहे मरम्मत
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बरसात के दिनों में गांव से 7 किलोमीटर तक सड़क कीचड़ से भर जाती है, जिसकी मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन को आवेदन दिया जा चुका है. साथ ही जो भी जनप्रतिनिधि यहां आते हैं, उन्हें भी हम ये समस्या बताते हैं. हालांकि अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. अब थक-हार कर सभी ग्रामीण खुद श्रमदान कर लकड़ी और पत्थरों से सड़क और पुल को ठीक कर रहे हैं.
कई बार शिकायत कर चुके हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने सड़क के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तक अर्जी लगाई, लेकिन इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने खुद ही लकड़ी और पत्थरों की मदद से सड़क और टूटे हुए पुल की मरम्मत कर डाली. ग्रामीण पत्थरों से सड़क पाट रहे हैं ताकि बारिश के दिनों में उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े.