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न सड़क है, न पुल, प्रशासन नहीं लेता सुध, तो इन गांववालों ने ही बदली तस्वीर - श्रमदान

कई बार आवेदन देने के बाद भी शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते जिले के माराडबरा गांव के ग्रामीणों ने खुद ही सड़क बना डाली. ग्रामीणों ने सड़क की मरम्मत पत्थर और लकड़ी से की है.

ग्रामीण कर रहे सड़क की मरम्मत
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Published : Sep 20, 2019, 8:30 AM IST

Updated : Sep 20, 2019, 12:47 PM IST

कवर्धा: बार-बार सरकारी नुमाइंदों और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद जब किसी ने नहीं सुनी, तो यहां ग्रामीण खुद ही अपनी किस्मत बदलने में जुट गए. इस गांव को पक्की तो क्या सही सलामत कच्ची सड़क भी नसीब नहीं है, ऐसे में इसे दुरुस्त करने का बीड़ा गांव वालों ने खुद ही उठा लिया.

ग्रामीण कर रहे सड़क की मरम्मत

जिले के बोडला अंतर्गत माराडबरा में लगभग 60 बैगा आदिवासी परिवार रहते हैं. बारिश के दिनों में इस गांव का दूसरे गांवों से संपर्क कट जाता है. पक्की सड़क के अभाव में ग्रामीणों को किचकिचे और पथरिले रास्तों से होकर जाना पड़ता है.

लकड़ी और पत्थर से कर रहे मरम्मत
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बरसात के दिनों में गांव से 7 किलोमीटर तक सड़क कीचड़ से भर जाती है, जिसकी मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन को आवेदन दिया जा चुका है. साथ ही जो भी जनप्रतिनिधि यहां आते हैं, उन्हें भी हम ये समस्या बताते हैं. हालांकि अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. अब थक-हार कर सभी ग्रामीण खुद श्रमदान कर लकड़ी और पत्थरों से सड़क और पुल को ठीक कर रहे हैं.

कई बार शिकायत कर चुके हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने सड़क के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तक अर्जी लगाई, लेकिन इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने खुद ही लकड़ी और पत्थरों की मदद से सड़क और टूटे हुए पुल की मरम्मत कर डाली. ग्रामीण पत्थरों से सड़क पाट रहे हैं ताकि बारिश के दिनों में उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े.

कवर्धा: बार-बार सरकारी नुमाइंदों और प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद जब किसी ने नहीं सुनी, तो यहां ग्रामीण खुद ही अपनी किस्मत बदलने में जुट गए. इस गांव को पक्की तो क्या सही सलामत कच्ची सड़क भी नसीब नहीं है, ऐसे में इसे दुरुस्त करने का बीड़ा गांव वालों ने खुद ही उठा लिया.

ग्रामीण कर रहे सड़क की मरम्मत

जिले के बोडला अंतर्गत माराडबरा में लगभग 60 बैगा आदिवासी परिवार रहते हैं. बारिश के दिनों में इस गांव का दूसरे गांवों से संपर्क कट जाता है. पक्की सड़क के अभाव में ग्रामीणों को किचकिचे और पथरिले रास्तों से होकर जाना पड़ता है.

लकड़ी और पत्थर से कर रहे मरम्मत
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बरसात के दिनों में गांव से 7 किलोमीटर तक सड़क कीचड़ से भर जाती है, जिसकी मरम्मत के लिए कई बार प्रशासन को आवेदन दिया जा चुका है. साथ ही जो भी जनप्रतिनिधि यहां आते हैं, उन्हें भी हम ये समस्या बताते हैं. हालांकि अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. अब थक-हार कर सभी ग्रामीण खुद श्रमदान कर लकड़ी और पत्थरों से सड़क और पुल को ठीक कर रहे हैं.

कई बार शिकायत कर चुके हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने सड़क के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तक अर्जी लगाई, लेकिन इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने खुद ही लकड़ी और पत्थरों की मदद से सड़क और टूटे हुए पुल की मरम्मत कर डाली. ग्रामीण पत्थरों से सड़क पाट रहे हैं ताकि बारिश के दिनों में उन्हें दिक्कत का सामना न करना पड़े.

Intro:कवर्धा-जिले के माराडबरा गाँव के लोगों ने श्रमदान कर बनाया सड़क। ग्रामीणों ने पत्थर व लकड़ी से किया मरम्मत । कई बार आवेदन देने के बाद भी अधिकारी नही दे रहे ध्यान, ग्रामीणों में शासन प्रशासन। तो ग्रामीणों ने खुद ही बना दिया सड़कBody:एंकर - दरअसल कवर्धा जिले के विकासखंड बोडला अंतर्गत वनांचल ग्राम माराडबरा में बसे लगभग 60 बैगा आदिवासी परिवार निवासरत है। वहीं बारिश के दिनों मे इस गाँव का अन्य गाँव से संपर्क टुट ज ता है। ऐसा होने का कारण है, इस गाँव मे पक्की सड़क तो दूर सही ढंग से चलने के लिए कच्ची सड़क भी नही है। माना जाता है की गांवों में विकास की पहचान सड़क से होती है। पर ग्रामीणों को पक्की सड़क के आभाव में किचड़मय व दलदल पथरीली रास्तों से लोगों का आवागमन होता है। ऐसे में आवागमन पक्की सड़क के लिये ग्राम पंचायत से लेकर जिला प्रशासन से जनप्रतिनिधियों तक ग्रामीण अर्जी लगा चुके है,बावजूद किसी ने ध्यान नही दिया।अब ग्रामीण खुद किचड़मय रस्ते व टुटे हुऐ पुल को को श्रमदान कर बनाने के निर्णय ले लिया है। और सड़क पर पत्थरों से पाट कर आवागमन के लिए सड़क बना रहे है। साथ ही साथ लकडी की मदद से पुल को भी मर्माहत कर रहे है। ताकि उन्हें बारिश के दिनों तक आने जाने मे दिक्कत ना हो। Conclusion: ग्रामीण बताते है, हर साल बरसात के दिनों में चार माह गांव से 7 किलोमीटर दूर मेनरोड तक सड़क किचड़मय व ऊबड़खाबड़ हो जाता है जिसकी मरम्मत के लिए कई बार शासन व प्रशासन को आवेदन दिया जा चुका है साथ ही जोभी जनप्रतिनिधि आता है उसे भी अवगत कराया जा चुका है। लेकिन आश्वासन के सिवाह अब तक कुछ मिला नही। अब थक हार के सभी ग्रामीण मिलकर खुद श्रमदान कर लकड़ी व पत्थरों से सड़क व पुल को ठीक कर रहे है। तब कहीँ जाकर लोगो का आनाजाना हो पाता है।“
Last Updated : Sep 20, 2019, 12:47 PM IST
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