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स्कूल है जर्जर, सांसत में रहती है जान, देश के 'भविष्य' का कौन रखेगा ध्यान

कोलेगांव में मिडिल स्कूल की हालत काफी जर्जर है. स्कूल की छत जर्जर होने के साथ ही यहां की दीवारों में मोटी-मोटी दरारें हैं. छात्र-छात्राओं को जान हथेली पर लेकर ज्ञान का पाठ पढ़ना पड़ता है.

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Published : Jul 28, 2019, 9:01 PM IST

Updated : Jul 28, 2019, 10:11 PM IST

देश के 'भविष्य' 'खतरे' में

कवर्धा: स्कूल जा पढ़े बर, जिंदगी ल गढ़े बर के नारे से जहां एक ओर सरकार सूबे के नौनिहालों को उज्जवल भविष्य के सपने दिखा रही है. वहीं दूसरी ओर स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राएं, जिंदगी जोखिम में डालकर ज्ञान की घुट्टी पीने को मजबूर हैं. स्कूल की छत जर्जर होने के साथ ही यहां की दीवारों में मोटी-मोदी दरारें हैं. यहां पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को जान हथेली पर लेकर ज्ञान का पाठ पढ़ना पड़ता है.

देश के 'भविष्य' 'खतरे' में

जर्जर भवन होने के साथ ही स्कूल में पर्याप्त कक्षाएं संचालित करने के लिए क्लासरूम तक नहीं हैं और यही वजह है कि स्कूल की दो कक्षाओं को सेवा सहकारी समिति के भवन में संचालित करना पड़ता है. और तो और स्कूल में शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है, जिसकी वजह से छात्राओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.

खंडहर में तब्दील हुआ स्कूल भवन
प्रशासन ने कोलेगांव में मिडिल स्कूल की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन इसकी मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि भवन धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया.

फंड आने पर होगी मरम्मत
करीब दो साल पहले स्कूल की छत का एक हिस्सा नीचे आ गिरा था. जब हमने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि, स्कूल भवन की हालत जर्जर है और विभाग को इस बारे में अवगत करा दिया गया है. विभाग से फंड आने पर भवन की मरम्मत कराई जाएगी.

खोखले साबित हो रहे सरकारी दावे
एक ओर जहां सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं सिस्टम में बैठे अधिकारियों की बेरुखी और लापरवाही सरकार की इन कोशिशों पर पानी फेर के साथ ही स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़ भी कर रही है.

कवर्धा: स्कूल जा पढ़े बर, जिंदगी ल गढ़े बर के नारे से जहां एक ओर सरकार सूबे के नौनिहालों को उज्जवल भविष्य के सपने दिखा रही है. वहीं दूसरी ओर स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राएं, जिंदगी जोखिम में डालकर ज्ञान की घुट्टी पीने को मजबूर हैं. स्कूल की छत जर्जर होने के साथ ही यहां की दीवारों में मोटी-मोदी दरारें हैं. यहां पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को जान हथेली पर लेकर ज्ञान का पाठ पढ़ना पड़ता है.

देश के 'भविष्य' 'खतरे' में

जर्जर भवन होने के साथ ही स्कूल में पर्याप्त कक्षाएं संचालित करने के लिए क्लासरूम तक नहीं हैं और यही वजह है कि स्कूल की दो कक्षाओं को सेवा सहकारी समिति के भवन में संचालित करना पड़ता है. और तो और स्कूल में शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है, जिसकी वजह से छात्राओं को शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.

खंडहर में तब्दील हुआ स्कूल भवन
प्रशासन ने कोलेगांव में मिडिल स्कूल की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन इसकी मरम्मत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसका नतीजा यह हुआ कि भवन धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गया.

फंड आने पर होगी मरम्मत
करीब दो साल पहले स्कूल की छत का एक हिस्सा नीचे आ गिरा था. जब हमने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि, स्कूल भवन की हालत जर्जर है और विभाग को इस बारे में अवगत करा दिया गया है. विभाग से फंड आने पर भवन की मरम्मत कराई जाएगी.

खोखले साबित हो रहे सरकारी दावे
एक ओर जहां सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रही है, वहीं सिस्टम में बैठे अधिकारियों की बेरुखी और लापरवाही सरकार की इन कोशिशों पर पानी फेर के साथ ही स्टूडेंट्स की जिंदगी से खिलवाड़ भी कर रही है.

Intro:कवर्धा जिले के एक एसा स्कूल जहा जानजोखिम मे डालकर बच्चे पढाने को मजबूर है। स्कूल भवन पुराना व मेंटेनेंस नही होने के कारण जर्जर हो चुका है साथ ही स्कूल मे पढानेवाली बालिकाओं के लिए शौचालय की भी व्यवस्था नही है।


Body:एंकर- कवर्धा जिले मे एक ऐसा भी स्कूल है जहाँ की सभी स्कूल भवन की हालत जर्जर हो चुकी है।और साथ ही पर्याप्त क्लास रुम भी नहीं है । यही कारण है की मिडिल स्कूल को 02 कक्षाओं को सेवा सहकारी समिति के भवन मे संचालित करना पड रहा है।मिडिल स्कूल के बच्चे अपनी जान जोखिम मे डालकर खंडहरनुमा भवन मे पढनें को मजबूर है, जो कभी भी ढह सकती है।


एक तरफ जहा राज्य सरकार और केंद्र सरकार शिक्षा के प्रति करोड़ों रुपयों खर्च कर बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की बात करती है वही कवर्धा जिले के ग्राम कोलेगाँव छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम मे डालकर जर्जर भवन मे पढने को मजबूर है। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोलेगाँव मे शिक्षा प्राप्त करने मिडिल स्कूल की तो व्यवस्था तो कर दी गई है लेकिन यहां बच्चे किस तरहा पढाई करने को मजबूर है ,शायद जिला प्रशासन शिक्षा विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों जानबूझकर इस हालत से अनजान बनकर किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे है।

ग्राम कोलेगाँव के मिडिल स्कूल मे दो वर्ष पूर्व से छत का प्लास्टर गिरने से बच्चे बाल-बाल बचे थे , जिसके बाद भी प्रशासन का आँख नही खुली आपको बता दे की इस स्कूल मे बालक-बालिका कुल 250 बच्चे बढते है जिनमे से 150 बालिकाएं है और उनके लिए यहां शौचालय की भी व्यवस्था नही है । ऐसे मे बालिकाओं को शौच के लिए स्कूल से घर जाना पडता है इससे उन्होंने काफी परेशानियों का सामना करना पडता है बारीस के दिनों मे बच्चीयों को शौच जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है। साथ सी इस स्कूल की छत व दिवार मे मोटी-मोटी दरारें आ चुकी है जो कभी भी बारिस के चलते ढह सकता है।
ऐसे मे इस गाँव के बच्चे अपनी जान को हथेली मे रख कर पढाने को मजबूर है।


Conclusion:इस बारे मे स्कूल के अध्यापक का कहना है स्कूल पुरी तरह जर्जर हालत मे है साथ ही इस स्कूल मे पर्याप्त क्लास रुम भी नही है इसके चलते हमे सुसाईटी के भवन को किराए पर लेना पडा है। और इस स्कूल के छत व दिवार कभी भी ढह सकता है जिससे बडी दुर्घटना हो सकती है इस बारे मे हम शिक्षा विभाग को कई बार अवगत करा चुके है। और मिटींग मे भी जानकारी दी जाती है पर जवाब मे सिर्फ आश्वासन ही आता है पर नवनिर्माण के लिए अब तक कोई पहल नही कि गई है। साथ ही स्कूल मे बालिकाओं के शौच के लिए भी कोई व्यवस्था नही है पुराना शौचालय पुरी तरहा जर्जर और दिवार गिर चुका है । ऐसे मे बच्चीयों को पढहाई छोडकर शौच के लिए अपने घर जाना पडता है। बरीस के दिनों मे बालिकाओं को शौक के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है।

वही जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उनका कहना है मुझे जानकारी नही है और भवन जर्जर हो चुका है तो तो बच्चों को वहा से अन्य जगह मे तुरंत सिप्ट करने को बोला गया है और जो स्कूल मे मेनटेनेंस का काम कराना है उस स्कूल मे राशि जारी हो रही है जल्द ही इसका सुधार कर लिया जाऐगा।

बाईट01 छा्त्रा
बाईट02 सुकीलराम साहू, अध्यापक
बाईट03 केएल महिलांगे, जिला शिक्षा अधिकारी
Last Updated : Jul 28, 2019, 10:11 PM IST
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