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कवर्धा: करोड़ों खर्च करने के बाद भी जिले में 12 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित

कवर्धा में करोड़ों रुपए खर्च के बाद भी जिले में 12 हजार 824 बच्चे कुपोषित से ग्रस्त हैं. 20 वर्षों से कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है, जिसके लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, इसके बाद भी आज कई बच्चे कुपोषित हैं.

Number of Malnutrition children in Kawardha
कवर्धा में कुपोषण बच्चों की संख्या
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Published : Oct 2, 2020, 2:10 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 8:31 PM IST

कवर्धा: प्रदेश में लगातार कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ते जा रही है. 2019 के वजन त्योहार के आंकड़ों के अनुसार कम वजन की श्रेणी में कुल 14 हजार 486 बच्चे शामिल है. प्रतिशत की बात करें तो 19.56 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. फरवरी महीने 2020 की स्थिति में जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 12 हजार 824 है, अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक कुल 1हजार 665 बच्चों कुपोषित से मुक्त किए गऐ हैं. यह आंकड़ा बेशक सुधार की ओर है, लेकिन मामूली है. जब हर साल 5 से ज्यादा प्रकार की भोजन पर करोड़ों रुपए खर्च की जा रही है तो, इसमें तेजी नहीं आ रही है.

कबीरधाम में मुख्यमंत्री पोषण अभियान की शुरुआत में 2 अक्टूबर 2019 से हुई है, योजना के अंतर्गत 0 से 5 वर्ष के कुपोषित एनीमिक बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार शासन ने वर्तमान में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम मुख्यमंत्री अमृत योजना, बाल संदर्भ योजना, महतारी जतन योजना, सबला योजना अंतर्गत 0 से 6 वर्ष के बच्चों और गर्भवती माताओं शिशुवती माताओं 11 से 14 वर्ष के शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को लाभान्वित किया जा रहा है. इसमें से 3 वर्ष से 6 वर्ष के आंगनबाड़ी केंद्र आने वाले बच्चों और गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी केंद्र में आकर्षित थाली में गर्म भोजन खिलाया जा रहा है. शिशुवती माताओं 6 महीने से 3 वर्ष के बच्चों और 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को टेक होम राशन के रूप में रेडी-टू-ईट का प्रदाय किया जा रहा है.


पढ़ें- ODF प्लस: 65 गांवों के साथ छत्तीसगढ़ को देश में मिला दूसरा स्थान, प्रदेश में सफाई में अव्वल सरगुजा

जिले में कुपोषण मातृ की मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर और एनीमिया को कम करने के लिए वर्तमान में प्रचलित शासकीय योजनाओं के अतिरिक्त अन्य सकारात्मक हस्तक्षेप की आवश्यकता को देखते हुए कलेक्टर ने इस दिशा में कार्य की शुरूआत की है. साथ ही 1 से 3 साल के बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को भी आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए से पौष्टिक आहार गरम पका भोजन दिए जाने की शुरुआत की है. जिसके लिए खनिज न्यास निधि से 49.91 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई. इन योजनाओं को बेहतर रुप से संचालित करने करोड़ों रुपए खर्च तो किऐ जा रहे है, लेकिन रिजल्ट उस तरहा रिजल्ट नहीं आ रहे है. इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि विभाग की ओर से गंभीरता से कार्य नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते परिणाम अब भी संतोषजनक नहीं आ रहे हैं.

कवर्धा: प्रदेश में लगातार कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ते जा रही है. 2019 के वजन त्योहार के आंकड़ों के अनुसार कम वजन की श्रेणी में कुल 14 हजार 486 बच्चे शामिल है. प्रतिशत की बात करें तो 19.56 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. फरवरी महीने 2020 की स्थिति में जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 12 हजार 824 है, अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक कुल 1हजार 665 बच्चों कुपोषित से मुक्त किए गऐ हैं. यह आंकड़ा बेशक सुधार की ओर है, लेकिन मामूली है. जब हर साल 5 से ज्यादा प्रकार की भोजन पर करोड़ों रुपए खर्च की जा रही है तो, इसमें तेजी नहीं आ रही है.

कबीरधाम में मुख्यमंत्री पोषण अभियान की शुरुआत में 2 अक्टूबर 2019 से हुई है, योजना के अंतर्गत 0 से 5 वर्ष के कुपोषित एनीमिक बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त कराने का लक्ष्य रखा गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार शासन ने वर्तमान में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम मुख्यमंत्री अमृत योजना, बाल संदर्भ योजना, महतारी जतन योजना, सबला योजना अंतर्गत 0 से 6 वर्ष के बच्चों और गर्भवती माताओं शिशुवती माताओं 11 से 14 वर्ष के शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को लाभान्वित किया जा रहा है. इसमें से 3 वर्ष से 6 वर्ष के आंगनबाड़ी केंद्र आने वाले बच्चों और गर्भवती माताओं को आंगनबाड़ी केंद्र में आकर्षित थाली में गर्म भोजन खिलाया जा रहा है. शिशुवती माताओं 6 महीने से 3 वर्ष के बच्चों और 11 से 14 वर्ष की शाला त्यागी किशोरी बालिकाओं को टेक होम राशन के रूप में रेडी-टू-ईट का प्रदाय किया जा रहा है.


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जिले में कुपोषण मातृ की मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर और एनीमिया को कम करने के लिए वर्तमान में प्रचलित शासकीय योजनाओं के अतिरिक्त अन्य सकारात्मक हस्तक्षेप की आवश्यकता को देखते हुए कलेक्टर ने इस दिशा में कार्य की शुरूआत की है. साथ ही 1 से 3 साल के बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक महिलाओं को भी आंगनबाड़ी केंद्र के जरिए से पौष्टिक आहार गरम पका भोजन दिए जाने की शुरुआत की है. जिसके लिए खनिज न्यास निधि से 49.91 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई. इन योजनाओं को बेहतर रुप से संचालित करने करोड़ों रुपए खर्च तो किऐ जा रहे है, लेकिन रिजल्ट उस तरहा रिजल्ट नहीं आ रहे है. इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि विभाग की ओर से गंभीरता से कार्य नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते परिणाम अब भी संतोषजनक नहीं आ रहे हैं.

Last Updated : Oct 2, 2020, 8:31 PM IST
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