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यहां धूल फांक रहा है 'इतिहास', न कोई देखने वाला और न कोई सुनने वाला

कवर्धा जिले के बोडला ब्लॉक में जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर जिला प्रशासन ने 12 साल पहले खुदाई कराई थी. लेकिन आज इन बेशकीमती मूर्तियों की रखवाली की जिम्मेदारी एक चौकीदार के कंधे पर है.

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Published : Jun 10, 2019, 2:13 PM IST

Updated : Jun 10, 2019, 7:52 PM IST

यहां धूल फांक रहा है 'इतिहास'

कवर्धा: इतिहास बताने वाली विरासतों को संजोना चाहिए क्योंकि उन्हीं के जरिए हमें पता चलता है कि हमारे पूर्वज कैसे थे और किस तरह से हमारा विकास हुआ है. लेकिन यहां रख-रखाव और सुरक्षा के अभाव में ऐतिहासिक बेशकीमती मूर्तियां धूल फांक रही हैं. एक चौकीदार के भरोसे जिम्मेदारों ने यहां अनमोल प्रतिमाओं को छोड़ रखा है.

यहां धूल फांक रहा है 'इतिहास'

कवर्धा जिले के बोडला ब्लॉक में जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर जिला प्रशासन ने 12 साल पहले खुदाई कराई थी. प्रशासन को यहां जमीन के नीचे मूर्तियां दबे होने की जानकारी मिली थी. पुरातत्व विभाग ने उस क्षेत्र की 84 एकड़ पर अपना कब्जा कर खुदाई का कार्य कराया था. इस कार्य में वहां से 1500 वर्ष पुराने मंदिर और प्राचीन मूर्तियां मिली थीं. साथ ही सोने के सिक्के भी मिले थे.

  • इतिहास कर्ताओं ने बताया कि यह 1500 साल पुराने कलचुरी राजाओं के जमाने का मंदिर और मूर्तियां हैं.
  • साथ ही बहुत से बर्तन और राजाओं द्वारा इस्तमाल की चीजें भी मिलीं थीं.
  • खुदाई के दौरान देश-विदेश से इतिहासकार भी यहा पहुंचे थे लेकिन कुछ महीने बाद पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई बंद कर दी और जो मूर्तियों मिलीं उन्हें वहीं म्यूजियम बनाकर रख दिया गया.
  • हालत ये है कि मूर्तियों के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता है. न तो जिला प्रशासन का कोई अधिकारी और न ही कोई जिम्मेदार यहां झांकने आता है.
  • बेशकीमती मूर्तियों की रखवाली की जिम्मेदारी एक चौकीदारे के कंधे पर है.
  • खुदाई के बाद शुरुआत में यहां पर्यटकों का आना-जाना हुआ लेकिन बाद में सुविधाओं के अभाव में पर्यटकों ने भी यहां आना-जाना बंद कर दिया.
  • चौकीदार ने बताया कि पहले पर्यटक आया करते थे घूमने लेकिन खाने-पीने और ठहरने की सुविधा न होने की वजह से अब यहां कोई नहीं आता. पर्यटकों के रुकने के लिए जो भवन बनवाया गया है, वो भी जर्जर हो चुका है.

कलेक्टर ने क्या कहा ?
इस संबंध में जब ETV भारत ने कलेक्टर से बात की तो उन्होंने भी सिर्फ अंदाजा लगाते हुए कहा कि उनकी जानकारी में यहां चौकीदार तो है. कलेक्टर ने कहा कि वो यहां सुविधाओं की व्यवस्था करेंगे.

कवर्धा: इतिहास बताने वाली विरासतों को संजोना चाहिए क्योंकि उन्हीं के जरिए हमें पता चलता है कि हमारे पूर्वज कैसे थे और किस तरह से हमारा विकास हुआ है. लेकिन यहां रख-रखाव और सुरक्षा के अभाव में ऐतिहासिक बेशकीमती मूर्तियां धूल फांक रही हैं. एक चौकीदार के भरोसे जिम्मेदारों ने यहां अनमोल प्रतिमाओं को छोड़ रखा है.

यहां धूल फांक रहा है 'इतिहास'

कवर्धा जिले के बोडला ब्लॉक में जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर जिला प्रशासन ने 12 साल पहले खुदाई कराई थी. प्रशासन को यहां जमीन के नीचे मूर्तियां दबे होने की जानकारी मिली थी. पुरातत्व विभाग ने उस क्षेत्र की 84 एकड़ पर अपना कब्जा कर खुदाई का कार्य कराया था. इस कार्य में वहां से 1500 वर्ष पुराने मंदिर और प्राचीन मूर्तियां मिली थीं. साथ ही सोने के सिक्के भी मिले थे.

  • इतिहास कर्ताओं ने बताया कि यह 1500 साल पुराने कलचुरी राजाओं के जमाने का मंदिर और मूर्तियां हैं.
  • साथ ही बहुत से बर्तन और राजाओं द्वारा इस्तमाल की चीजें भी मिलीं थीं.
  • खुदाई के दौरान देश-विदेश से इतिहासकार भी यहा पहुंचे थे लेकिन कुछ महीने बाद पुरातत्व विभाग ने यहां खुदाई बंद कर दी और जो मूर्तियों मिलीं उन्हें वहीं म्यूजियम बनाकर रख दिया गया.
  • हालत ये है कि मूर्तियों के रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जाता है. न तो जिला प्रशासन का कोई अधिकारी और न ही कोई जिम्मेदार यहां झांकने आता है.
  • बेशकीमती मूर्तियों की रखवाली की जिम्मेदारी एक चौकीदारे के कंधे पर है.
  • खुदाई के बाद शुरुआत में यहां पर्यटकों का आना-जाना हुआ लेकिन बाद में सुविधाओं के अभाव में पर्यटकों ने भी यहां आना-जाना बंद कर दिया.
  • चौकीदार ने बताया कि पहले पर्यटक आया करते थे घूमने लेकिन खाने-पीने और ठहरने की सुविधा न होने की वजह से अब यहां कोई नहीं आता. पर्यटकों के रुकने के लिए जो भवन बनवाया गया है, वो भी जर्जर हो चुका है.

कलेक्टर ने क्या कहा ?
इस संबंध में जब ETV भारत ने कलेक्टर से बात की तो उन्होंने भी सिर्फ अंदाजा लगाते हुए कहा कि उनकी जानकारी में यहां चौकीदार तो है. कलेक्टर ने कहा कि वो यहां सुविधाओं की व्यवस्था करेंगे.

Intro:एक चौकीदार के भरोसे इतिहासिक बेशकीमती
प्रचिन मुर्तियों की कैसे होगी सुरक्षा , शासन प्रशासन भी नही दे रहे ध्यान , पर्यटकों को भी नही मिल रहा सुविधा।


Body:बहबुब खान, कवर्धा स्पेशल स्टोरी


एकंर- कवर्धा जिले के इतिहास कुछ आज भी जमिन मे दफन है तो कुछ को बहार निकाला जा चुका है। और जिन इतिहासिक बेश किमती मुर्तियों को निकाला गया है वो आज भी असुरक्षित तरिके से रखी हुई है। उनमे से एक है सिली पचराही , अब आलम यह हो गया है, उन प्रचिन मुर्तियों को पर्यटक भी देखने जाना नही चाहते । पर्यटकों का ना जाना इसके पीछे एक बडा कारण है लोगों को सुविधा नही मिलती।

एकंर- दरसल कवर्धा जिले के बोडला ब्लॉक मे स्तिथ जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूरी पर आज से लगभग 12 वर्ष पहले जिला प्रशासन को पता चला था कि वहा के जमीन पर प्रचिन मुर्तिया और इतिहास के कुछ राज दफन है पुरातत्व विभाग ने उस क्षेत्र कि 84 एकड़ पर अपना कब्जा कर खोदाई कार्य सुरु किया तो वहा 1500 वर्ष पुराने मंदिर व प्रचिन मुर्तिया मिली साथ ही सोने के सिक्के व इतिहास कर्ताओं ने बताया कि यह 1500 साल पुराने कलचुरी राजाओं के जमाने का मंदिर व मुर्तिया है साथ ही बहुत से बरतन व राजाओं द्वारा इस्तमाल के वस्तु भी मिले थे, खोदाई के दौरान देश विदेश से इतिहासकार भी यहा पहुंचे थे पर कुछ महिने बाद पुरातत्व विभाग ने यहा खोदाई बंद कर दी और जिन मुर्तियों को खोदाई मे निकाला गया था उसे वही मियूजियाम बनाकर रख दिया गया।

अब स्थिति एसी बन गई है की बेशकिमती मुर्तियों के रख रखाओ पर भी ध्यान नही दिया जा रहा है ना तो कोई जिला प्रशासन का कोई अधिकारी वहा निहारने जाता ना कोई जनप्रतिनिधि बेशकीमती मूर्तियों की रखवाली मे एक निहथा चौकीदार रहता है जो की सुरक्षा के लिए काफी नही है , अगर कोई चोर वहा चोरी करने आऐ तो चौकीदार अकेला कुछ नही कर पाऐगा साथ ही जंगल के बिच होने के कारण मदद भी नही मिल सकता आसपास गाँव भी नही है। खोदाई के बाद सुरवाती दौर मे पर्यटकों का आना जाना काफी लगा रहता था मगर आने वाले पर्यटकों को ना तो वहा पानी मिलता है ना ही रुकने या बैठने की कोई व्यवस्था है साथ ही सिली पचराही जाने के मार्ग भी खस्तहाल होने के कारण अब वहा पर्यटक भी जाना पसंद नही करते है। वहा के चौकीदार ने बताया कि पहले पर्यटक आया करते थे घुमने मगर इतने दुर आने के बाद लोगों को ठहरने खाने पीने की सुविधा नही मिलने के कारण अब यहा कोई नही आया ,पर्यटक तो दुर की बात है अब यहा प्रशासन का कोई अमला भी यहा नही आता , पर्यटकों के ठहरने के लिए भवन तो बनवाया गया जरुर है मगर बनने के बाद कभी खुला ही नही अब भवन भी जर्जर होने लगा है।
इस संबंध मे जब हमने कलेक्टर से बात कि तो उन्होंने भी अंदाजा लगते हुऐ कहा कि मेरी जानकारी मे चौकीदार है और भवन का भी निर्माण किया गया था और खाने पीने की व्यवस्था देखते है जो बन सके करते है , बोल कर अपना पल्ला झाड दिऐ
अब देखना होगा कि बेशकीमती प्रचिन मुर्तियों कि सुरक्षा मे जिला प्रशासन कि आँख खुलती है या नही।

बाईट01 शिवकुमार यादव ,चौकीदार
बाईट02 अवनीश कुमार शरण , कलेक्टर


Conclusion:
Last Updated : Jun 10, 2019, 7:52 PM IST
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