कवर्धा: कहते हैं कि जहां चाह वहां राह... शिक्षा में सुधार के लिए सरकार कई तरह से प्रयास कर रही है. विद्यालयों में शिक्षण सत्र भी शुरू हो गया है. हालांकि कवर्धा के जर्जर शासकीय स्कूल भवनों की मरम्मत अब तर अधूरी है. ऐसे में बच्चे धूप और बारिश से बचने को तिरपाल लगाकर पढ़ाई करने को (Children studying under tarpaulin in Kawardha) मजबूर हैं.
जिले में दर्जनों जर्जर स्कूल: दरअसल, हम बात कर रहें हैं जिले के शासकीय प्राथमिक शाला सारंगपुर खुर्द की. यहां 51 बच्चे पढ़ रहे हैं. भवन इतना जर्जर हो चुका है कि बच्चों के ऊपर छत का प्लास्टर और बारिश का पानी गिरने लगा था. फिर भी पढ़ाई के प्रति बच्चों की ललक कम नहीं हुई. हालांकि बच्चों में जान का डर सता रहा था. इस समस्या को बच्चों ने अपने अभिभावकों को बताया. जिसके बाद चंदा लेकर तिरपाल खरीद सांस्कृतिक मंच को स्कूल के रुप में तैयार किया गया. बारिश से बचने के लिए सांस्कृतिक मंच में तिरपाल लगाया गया है. इसके नीचे ही प्राथमिक स्कूल के कक्षा पहली से पांचवीं तक के 51 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. हालांकि यहां अन्य स्कूलों की तरह पंखे और टेबल कुर्सी नहीं है. लेकिन इस तिरपाल के नीचे बच्चों की जान सुरक्षित है.
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जानकारी के बाद भी कवायद नहीं: ऐसा नही है कि शासन-प्रशासन को यहां के जर्जर स्कूल भवन की जानकारी नहीं है. शिक्षक और ग्रामीणों ने मंत्री से लेकर अफसरों तक वस्तुस्थिति से हर साल लगातर अवगत कराया. हालात को सुधारने के लिए निवेदन किया लेकिन किसी ने नहीं सुनी और न कोई उचित कदम उठाया.
ग्रामीणों ने चंदे के पैसे से खरीदा तिरपाल: इस वर्ष भी भवन की हालात बद से बदतर होने के बाद ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर तिरपाल लिया. मंच में ही कक्षायें शुरू की गई. जब तक तिरपाल के नीचे कक्षाएं चल रही है, तब तक चलेगी उसके बाद स्कूल में ताला लगाने की चेतावनी दी जा रही है.
मामले से पल्ला झाड़ रहे अधिकारी: वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रही है. अधिकारी सारा दोष सर्वशिक्षा अभियान के सर मढ़ रहे हैं. नए भवन और पुराने जर्जर भवन की मरम्मत सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से होती है. मांग पत्र शासन को भेजा गया है या नहीं इसकी कोई जानकारी नहीं होने की बात अधिकारी कह रहे हैं.