कवर्धा: कवर्धा: दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल सीट कवर्धा विधानसभा में जबरदस्त मुकाबले के बीच कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कवर्धा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अकबर हार गए हैं. भूपेश सरकार में मंत्री रहे मोहम्मद अकबर को बीजेपी के विजय शर्मा चुनावी मैदान करारी शिकस्त दी है. इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में कुल 76.31 प्रतिशत मतदान हुआ है.
अकबर को बीजेपी से विजय शर्मा ने हराया: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 के लिए कवर्धा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला देखा गया. कांग्रेस ने वर्तमान भूपेश सरकार में मंत्री और कवर्धा विधायक मोहम्मद अकबर को दोबारा यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं भाजपा ने कवर्धा हिंसा के समय चर्चित विजय शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था. लेकिन चुनावी मैदान में मोहम्मद अकबर को बीजेपी के विजय शर्मा चुनावी मैदान करारी शिकस्त दी है.
कवर्धा विधानसभा क्षेत्र को जानें: इस सीट को प्रदेश के वीआईपी सीटों में से एक माना जाता है. कबीरधाम पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह का गृह जनपद है. वर्तमान में कवर्धा छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री मोहम्मद अकबर का विधानसभा क्षेत्र है. इसलिए इस सीट पर पूरे प्रदेश की नजर है. आने वाले चुनाव में विकास मुद्दा बनेगा या जातिवाद, इसे लेकर अभी से कयासों का दौर शुरू हो चुका है. भाजपा कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में जातिगत समीकरण छोड़कर फेमस चेहरे को टिकट दे सकती है.
कवर्धा सीट का जातिगत समीकरण: विधानसभा में कुल 2.98 लाख वोटर हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो आदिवासी समाज (अनु. जनजाति) के 50 हजार, साहू समाज (पिछड़ा वर्ग) के 42 हजार, कुर्मी समाज (पिछड़ा वर्ग) के 38 हजार, अनुसूचित जाति वर्ग के 32 हजार और पटेल समाज (पिछड़ा वर्ग) के 17 हजार मतदाता हैं. यही चुनाव में निर्णायक होते हैं, जिन्हें साधने की कोशिश राजनीतिक दल करते हैं.
क्या है मद्दे और समस्याएं: पिछले कुछ साल से कवर्धा की हर छोटे-बड़े और मामूली विवाद को बड़ा बनाने और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. कानून व्यवस्था की चुनौतियों से साथ ही क्षेत्र में अन्य दूसरी समस्याएं भी हैं. जिला मुख्यालय की सड़क चौड़ी न होने से जाम की समस्या बनी हुई है. अंतरराज्यीय बस स्टैंड का काम अधूरा है तो वहीं रोजगार के साधन नहीं हैं. इसके अलावा सुतियापाट जलाशय निस्तारिकरण, रेल लाइन, लोहारा ब्लॉक में शक्कर कारखाना खोलने से साथ ही उद्योग की मांग क्षेत्र के लोगों की ओर से लगातार की जा रही है, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल सके.
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2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में टोटल 76.35 फीसदी वोटिंग हुई. कवर्धा विधानसभा सीट पर 82.50 फीसदी वोट पड़े. इसमें कांग्रेस को 56.63 फीसदी और भाजपा प्रत्याशी को 32 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद अकबर ने कवर्धा सीट पर जीत हासिल की, जिन्हें 1 लाख 36 हजार 320 वोट मिले. दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी अशोक साहू थे, जिन्हें 77 हजार 36 वोट मिले थे. जीत का अंतर 59 हजार 284 रहा, जो कुल वोट का 24.62 फीसदी है.
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कौन तय करता है जीत और हार: कवर्धा विधानसभा क्षेत्र में 298300 वोटर हैं. यहां 81 से 85 फीसदी तक वोट परसेंटेज रहा है. हालांकि क्षेत्र में सभी समाज के लोग रहते हैं, लेकिन चुनाव का समीकरण बनाने और बिगाड़ने का श्रेय साहू समाज और बैगा आदिवासी समाज को जाता है. दोनों समाज की क्षेत्र में संख्या अधिक है. कवर्धा विधानसभा में साहू समाज की संख्या अधिक है, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों में बंटे हुए है. यही कारण है भाजपा यहां जातिगत समीकरण के अनुसार साहू समाज को ही विधायक का टिकट देते आई है. 2003 में सियाराम साहू और 2008 मे अशोक साहू. 2014 में फिर रिपीट कर अशोक साहू को टिकट दिया गया लेकिन वे हार गए. हालांकि कांग्रेस जातिगत समीकरण को नहीं मानती और चेहरा देख कर टिकट देती है. 2008 से कांग्रेस के मोहम्मद अकबर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि 2013 में मोहम्मद अकबर भाजपा के अशोक साहू से लगभग 10 हजार वोट से हार गए थे लेकिन 2018 में 60 हजार वोट से जीत हासिल कर प्रदेश के मंत्री बने.