कवर्धा: एक तरफ सरकार दावा करती है कि प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य इलाकों का चहुंमुखी विकास हुआ है, लेकिन पंडरिया ब्लॉक के तेलियापानी ग्राम पंचायत का माराडबरा गांव उन विकास के दावों की पोल खोल रहा है. यहां के ग्रामीण आज भी झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे इस गांव में न तो सड़क है, न बिजली और न ही किसी तरह की कोई स्वास्थ्य सुविधा. यहां रहने वाले ग्रामीण भगवान भरोसे अपना जीवन गुजार रहे हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने से लेकर आज तक इस गांव में कोई जनप्रतिनिधि या नेता-मंत्री झांकने भी नहीं आया. विकास की चिड़िया सिर्फ दस्तावेजों तक सीमित रही. पंडरिया ब्लॉक से लगभग 70 किमी दूर तेलियापानी गांव आज भी विकास से कोसो दूर है. यहां के ग्रामीणों को पीने का साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है. ये लोग पहाड़ों पर बने झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की माने तो ये अपने दादा-परदादाओं के जमाने से झिरिया का पानी ही पी रहे हैं.
ग्रामीण बरसों से पी रहे झिरिया का पानी
ग्रामीण बताते हैं कि सबसे ज्यादा दिक्कत उन्हें बारिश के समय होती है. बारिश के समय पहाड़ों से बहकर गंदा पानी झिरिया में भर जाता है, जिसके बाद उनके पास साफ पानी लेने का कोई दूसरा स्त्रोत नहीं रह जाता है. तेलियापानी के आश्रित ग्राम माराडबरा गांव में करीब 20-25 परिवार रहते हैं. इन परिवार में करीब 100 लोग होंगे, जो बरसों से झिरिया का पानी पी रहे हैं. गंदा पानी पीने की वजह से उन्हें कई बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है. वहीं बिजली की कमी से भी लोग परेशान रहते हैं. बैगा आदिवासी आज भी बदहाली में जीवन यापन कर रहे हैं. इन ग्रामीणों को अब सरकार से मदद की आस है.
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छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक बीजेपी की सरकार रही, जिन्होंने इस गांव की परेशानियों की कभी सुध नहीं ली. कांग्रेस सरकार को सत्ता में आए करीब डेढ़ साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन उन्होंने भी अबतक इस तरफ ध्यान नहीं दिया है. योजनाएं कई आती हैं, लेकिन जमीनी स्तर तक और क्षेत्र के आखिरी व्यक्ति तक ये योजनाएं शायद पहुंच नहीं पाती. सरकारें भी आती हैं और जाती हैं, लेकिन सुदूर ग्रामीण अंचलों के लोग युंही सुविधाओं के अभाव में जिंदगी बीता रहे हैं. इन ग्रामीणों को अब सरकार से मदद की आस है.