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कवर्धा: जोराताल पशु चिकित्सा इकाई बना सफेद हाथी, नहीं हैं डॉक्टर

कवर्धा जिले में दस लाख रुपयों से बना पशु चिकित्सा इकाई खंडहर बन चुका है. यहां पशु चिकित्सक नहीं होने  से मवेशियों का इलाज नहीं हो पा रहा है और हितग्राही परेशान हैं.

जोराताल पशु चिकित्सा इकाई
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Published : Sep 15, 2019, 9:52 PM IST

कवर्धा: एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ सरकार मवेशियों को सहेजने के लिए नरवा, गरुवा, घुरुवा अउ बारी जैसी महत्वपूर्ण योजना चला रही है, तो वहीं कवर्धा जिले के पशु चिकित्सा विभाग की लापरवाही से लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सा इकाई सफेद हाथी साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सा इकाई बना खंडहर

हम बात कर रहे हैं जिले के जोराताल में बने पशु चिकित्सा इकाई की, जो लोकार्पण से पहले देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रही है.

दस लाख में बना था भवन
लगभग दो साल पहले इस भवन का निर्माण करीब दस लाख रुपए की लागत से किया गया था, जिसके निर्माण का उद्देश्य बीमार मवेशियों को भर्ती कर इलाज करना और जरूरी चारा उपलब्ध कराना है.
लेकिन न तो भवन का लोकार्पण कराया गया है और न ही भवन बनने के बाद पशुओं का उपचार किया गया. इतना ही नहीं विभाग की उदासीनता से कोई कर्मचारी भी नियुक्त नहीं किया गया है. इसकी वजह से वहां असामाजिक तत्वों का कब्जा हो गया है.

पढ़ें-SPECIAL: मंदी को मात देता छत्तीसगढ़ में ऑटोमोबाइल सेक्टर, देखें ये रिपोर्ट

इलाज नहीं होने से मवेशी की मौत
हितग्राही अपने मवेशियों का उपचार कराने भटक रहे हैं और उनका कहना है कि, 'यहां इलाज कराने के लिए गाय को लेकर आए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं होने से गाय की तीन दिन में मौत हो गई.'
वहीं पशु चिकित्सालय के उपसंचालक से बात करने पर वो इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हैं.

कवर्धा: एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ सरकार मवेशियों को सहेजने के लिए नरवा, गरुवा, घुरुवा अउ बारी जैसी महत्वपूर्ण योजना चला रही है, तो वहीं कवर्धा जिले के पशु चिकित्सा विभाग की लापरवाही से लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सा इकाई सफेद हाथी साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सा इकाई बना खंडहर

हम बात कर रहे हैं जिले के जोराताल में बने पशु चिकित्सा इकाई की, जो लोकार्पण से पहले देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रही है.

दस लाख में बना था भवन
लगभग दो साल पहले इस भवन का निर्माण करीब दस लाख रुपए की लागत से किया गया था, जिसके निर्माण का उद्देश्य बीमार मवेशियों को भर्ती कर इलाज करना और जरूरी चारा उपलब्ध कराना है.
लेकिन न तो भवन का लोकार्पण कराया गया है और न ही भवन बनने के बाद पशुओं का उपचार किया गया. इतना ही नहीं विभाग की उदासीनता से कोई कर्मचारी भी नियुक्त नहीं किया गया है. इसकी वजह से वहां असामाजिक तत्वों का कब्जा हो गया है.

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इलाज नहीं होने से मवेशी की मौत
हितग्राही अपने मवेशियों का उपचार कराने भटक रहे हैं और उनका कहना है कि, 'यहां इलाज कराने के लिए गाय को लेकर आए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं होने से गाय की तीन दिन में मौत हो गई.'
वहीं पशु चिकित्सालय के उपसंचालक से बात करने पर वो इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हैं.

Intro:कवर्धा-एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ सरकार मवेशियों को सहेजने के लिए नरवा,गरवा,घुरूवा,बारी जैसे महत्वपूर्ण योजना संचालित कर रही है तो वही कवर्धा जिले के पशु चिकित्सा विभाग के गैरजिम्मेदाराना रवैया के कारण लाखों की लागत से बने पशु चिकित्सा इकाई सफेद हाथी साबित हो रहा है।Body:हम बात कर रहें हैं कवर्धा जिला मुख्यालय अंतर्गत जोराताल में बने पशु चिकित्सा इकाई की,जो लोकार्पण से पहले देखरेख के अभाव में खण्डर में तब्दील हो रही है। जी हां दरअसल लगभग दो वर्ष पूर्व इस भवन का निर्माण करीब दस लाख रुपयों की लागत से हुआ था,और इसको निर्माण कराने का उद्देश्य बीमार मवेशियों को भर्ती कर ईलाज करने के अलावा जरूरी चारा उपलब्ध मुहैया कराना। लेकिन न तो इस इस पशु चिकित्सा ईकाई भवन का लोकार्पण कराया गया है और न ही भवन बनने के बाद दो पशुओं का उपचार किया गया। इतना ही नही विभाग की उदासीनता के चलते भवन की देखरेख के लिए किसी प्रकार से कोई कर्मचारी भी नियुक्त नही किया गया है जिसके कारण असमाजिक तत्वों का कब्जा हो गया है। वही हितग्राही अपने मवेशियों का उपचार कराने भटक रहे हैंConclusion:जबकि पशु चिकित्सालय के उपसंचालक इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहें हैं।
बाईट-01-जलेश साहू,हितग्राही
बाईट-02-एनपी मिश्रा,डिप्टी डायरेक्टर कवर्धा
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