कवर्धा: एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ सरकार मवेशियों को सहेजने के लिए नरवा, गरुवा, घुरुवा अउ बारी जैसी महत्वपूर्ण योजना चला रही है, तो वहीं कवर्धा जिले के पशु चिकित्सा विभाग की लापरवाही से लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सा इकाई सफेद हाथी साबित हो रहा है.
हम बात कर रहे हैं जिले के जोराताल में बने पशु चिकित्सा इकाई की, जो लोकार्पण से पहले देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रही है.
दस लाख में बना था भवन
लगभग दो साल पहले इस भवन का निर्माण करीब दस लाख रुपए की लागत से किया गया था, जिसके निर्माण का उद्देश्य बीमार मवेशियों को भर्ती कर इलाज करना और जरूरी चारा उपलब्ध कराना है.
लेकिन न तो भवन का लोकार्पण कराया गया है और न ही भवन बनने के बाद पशुओं का उपचार किया गया. इतना ही नहीं विभाग की उदासीनता से कोई कर्मचारी भी नियुक्त नहीं किया गया है. इसकी वजह से वहां असामाजिक तत्वों का कब्जा हो गया है.
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इलाज नहीं होने से मवेशी की मौत
हितग्राही अपने मवेशियों का उपचार कराने भटक रहे हैं और उनका कहना है कि, 'यहां इलाज कराने के लिए गाय को लेकर आए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं होने से गाय की तीन दिन में मौत हो गई.'
वहीं पशु चिकित्सालय के उपसंचालक से बात करने पर वो इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हैं.