ETV Bharat / state

जशपुर: बुजुर्ग मां को कावड़ पर बैठाकर 4 किमी चले बेटे, फिर भी नहीं मिली पेंशन - बुजु्र्ग को कंधे पर ढोते बेटे

पुकलीबाई के दो बेटे हैं बैसाखू और जंगलु, इन दोनों ने मां पुकलीबाई को अपने कंधे पर चार किलोमीटर का सफर तय किया. जब ये दोनों बैंक पहुंचे तो इन्हें पता लगा कि बैंक में पुकलीबाई की पेंशन ही नहीं है.

बुजुर्ग मां को कंधे पर उठाकर बैंक पहुंचे बेटे
author img

By

Published : Oct 30, 2019, 11:55 PM IST

Updated : Oct 31, 2019, 8:18 PM IST

जशपुर: प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों के लिए वृद्धापेंशन योजना की शुरुआत की ताकी बुजुर्गों को इससे सहारा मिल सके, लेकिन अब यही योजना इन बुजुर्गों के लिए मुसीबत बनती जा रही है. जिले के रौनी गांव में एक पहाड़ी कोरवा जनजाति की बुजुर्ग पुकलीबाई को कंधे पर ढोकर पेंशन लेने के लिए बैंक लाया गया, लेकिन बैंक जाने के बावजुद भी बुजुर्ग को पेंशन की रकम नहीं मिली.

बुजुर्ग मां को कावड़ पर बैठाकर 4 किमी चले बेटे, फिर भी नहीं मिली पेंशन

पुकलीबाई के दो बेटे हैं बैसाखू और जंगलु, इन दोनों ने मां पुकलीबाई को अपने कंधे पर चार किलोमीटर का सफर तय किया. जब ये दोनों बैंक पहुंचे तो इन्हें पता लगा कि बैंक में पुकलीबाई की पेंशन ही नहीं है.

इसके बाद दोनों बेटे निराशा के साथ अपनी मां को वापस कंधे पर ढोकर घर की तरफ लौट गए. इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शासन-प्रशासन की योजनाएं धरातल पर कितनी मजबूत हैं.

चार महीने से नहीं मिला पेंशन
दरअसल चार महीने से पुकलीबाई को पेंशन नहीं मिली है, जिसे लेने ही वह अपने बेटों के साथ बैंक पहुंची थी. पुकलीबाई चल नहीं सकती, बीमार रहती है और कुछ पैसे उसकी परेशानी में काम आ जाएं इसकी आस लिए उसके दोनों बेटे पैदल अपने कंधे पर मां को ढोकर पेंशन लेने की जद्दोजहद करते हैं.

पंचायत के जरिए मिलती थी पेंशन राशि
बता दें कि कुछ साल पहले पेंशनधारियों को ग्राम पंचायत के जरिए ही पेंशन भुगतान किया जाता था, लेकिन अब खाते के माध्यम से पेंशन की राशि भुगतान होने से पेंशनधारियों की परेशानी बढ़ गयी है.

पेंशन लेने के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है और बैंक पहुंचने पर भी पेंशनधारियों को भुगतान नहीं हो पाता और बुजुर्गों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें- सुपेबेड़ा के बाद अब देवभोग में पहुंची किडनी की बीमारी, एक की मौत

अधिकारी-कर्मचारी कई बार करते हैं धांधली
कई बार या तो हितग्राहियों के खाते में पेंशन की रकम ही नहीं आती और कई बार कियोस्क बैंक संचालकों की ओर से इन गरीब पेंशनधारियों की राशि मे हेरफेर कर कम रुपये उन्हें पकड़ा दिया जाता है. अब स्थानीय लोगों ने पूर्व की तरह पंचायत के माध्यम से नकद भुगतान की मांग की है. तो वहीं आला अधिकारी निशक्त पेंशनधारियों को घर तक पेंशन पहुंचाने की योजना पर विचार कर रहे हैं.

जिले के सुदूर पाट क्षेत्र से आई विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा महिला की यह तस्वीर मानवता को शर्मसार करने को काफी है, आज के युग में भी इंसान को कंधे पर ढोकर लाना कहीं न कहीं नेताओं के वादों और सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत बयां करने को काफी है.

जशपुर: प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों के लिए वृद्धापेंशन योजना की शुरुआत की ताकी बुजुर्गों को इससे सहारा मिल सके, लेकिन अब यही योजना इन बुजुर्गों के लिए मुसीबत बनती जा रही है. जिले के रौनी गांव में एक पहाड़ी कोरवा जनजाति की बुजुर्ग पुकलीबाई को कंधे पर ढोकर पेंशन लेने के लिए बैंक लाया गया, लेकिन बैंक जाने के बावजुद भी बुजुर्ग को पेंशन की रकम नहीं मिली.

बुजुर्ग मां को कावड़ पर बैठाकर 4 किमी चले बेटे, फिर भी नहीं मिली पेंशन

पुकलीबाई के दो बेटे हैं बैसाखू और जंगलु, इन दोनों ने मां पुकलीबाई को अपने कंधे पर चार किलोमीटर का सफर तय किया. जब ये दोनों बैंक पहुंचे तो इन्हें पता लगा कि बैंक में पुकलीबाई की पेंशन ही नहीं है.

इसके बाद दोनों बेटे निराशा के साथ अपनी मां को वापस कंधे पर ढोकर घर की तरफ लौट गए. इन तस्वीरों को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शासन-प्रशासन की योजनाएं धरातल पर कितनी मजबूत हैं.

चार महीने से नहीं मिला पेंशन
दरअसल चार महीने से पुकलीबाई को पेंशन नहीं मिली है, जिसे लेने ही वह अपने बेटों के साथ बैंक पहुंची थी. पुकलीबाई चल नहीं सकती, बीमार रहती है और कुछ पैसे उसकी परेशानी में काम आ जाएं इसकी आस लिए उसके दोनों बेटे पैदल अपने कंधे पर मां को ढोकर पेंशन लेने की जद्दोजहद करते हैं.

पंचायत के जरिए मिलती थी पेंशन राशि
बता दें कि कुछ साल पहले पेंशनधारियों को ग्राम पंचायत के जरिए ही पेंशन भुगतान किया जाता था, लेकिन अब खाते के माध्यम से पेंशन की राशि भुगतान होने से पेंशनधारियों की परेशानी बढ़ गयी है.

पेंशन लेने के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है और बैंक पहुंचने पर भी पेंशनधारियों को भुगतान नहीं हो पाता और बुजुर्गों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

पढ़ें- सुपेबेड़ा के बाद अब देवभोग में पहुंची किडनी की बीमारी, एक की मौत

अधिकारी-कर्मचारी कई बार करते हैं धांधली
कई बार या तो हितग्राहियों के खाते में पेंशन की रकम ही नहीं आती और कई बार कियोस्क बैंक संचालकों की ओर से इन गरीब पेंशनधारियों की राशि मे हेरफेर कर कम रुपये उन्हें पकड़ा दिया जाता है. अब स्थानीय लोगों ने पूर्व की तरह पंचायत के माध्यम से नकद भुगतान की मांग की है. तो वहीं आला अधिकारी निशक्त पेंशनधारियों को घर तक पेंशन पहुंचाने की योजना पर विचार कर रहे हैं.

जिले के सुदूर पाट क्षेत्र से आई विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा महिला की यह तस्वीर मानवता को शर्मसार करने को काफी है, आज के युग में भी इंसान को कंधे पर ढोकर लाना कहीं न कहीं नेताओं के वादों और सरकार की योजनाओं की जमीनी हकीकत बयां करने को काफी है.

Intro:जशपुर जिले से एक बेहद शर्मनाक तस्वीर सामने आई है जो शतताके नेताओं से लेकर शासन में बैठे आला अधिकारियों को शर्मशार करने को काफी है। जी हाँ शासन द्वारा बुजुर्गों हितग्राहियों को आर्थिक सहायता देने के उदेश्य चालू गई गई वृद्धापेंशन योजना अब बुजुर्ग हितग्राहियों ओर उनके परिवार जानो के लिए मुसीबत साबित हो रही है, बुजुर्ग हितग्राहियों को पेंशन दिलवाने के लिए भार में ढोकर बैंक ले जाने को मजबूर है, इतना करने के बाद भी, बुजुर्गों को पेंशन नही मिल पाती है, जिससे पेंशनधारी एवं उनके परिजन खासे परेशान हैं।

Body:ऐसा ही एक मामला जशपुर जिले के ग्राम रौनी से आया है, जहाँ एक बुजुर्ग पहाड़ी कोरवा महिला को भार में ढोकर बैंक लाया गया इसके बावजूद उन्हें पैसा नही मिल पाया।


दरअसल कंधे के भार में बैठी बुजुर्ग महिला पुकली बाई है जो अत्यंत पिछड़ी एवं विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय से आती है, महिला को पिछले चार महीनों से पेंशन नही मिला है। क्यों की बुजुर्ग महिला ज्यादा चल फिर नही सकती तो उसके दो बेटों बैसाखू और जंगलु ने काँधे पर भार में ढोकर चार किलोमीटर पैदल चलकर रौनी लाया लेकिन यहां आने पर उन्हें पता चला कि उनके खाते में पेंशन की राशि नही आ पाई है। महिला के दोनो बेटे अपनी माँ को वापिस चार किलोमीटर कंधे पर ढोकर घर ले गए। पहाड़ी कोरवा महिला के परिजन आठ किलोमीटर पैदल कंधे पर अपनी माँ को ढ़ोकर पेंशन के जद्दोजहद करते रहे।लेकिन पेंशन नही ले पाए



आप को बता दे कुछ साल पूर्व पेंशनधारियों को ग्राम पंचायत के माध्यम से ही पेंशन भुगतान किया जाता था लेकिन अब खाते के माध्यम से पेंशन की राशि भुगतान होने से पेंशनधारियों की परेशानी बढ़ गयी है।पेंशन लेने ग्रामीणों को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है और बैंक पहुंचने पर भी पेंशनधारियों को भुगतान नही हो पाता।कई बार या तो हितग्राहियों के खाते में पैसे ही नही आते और कई बार कियोस्क बैंक संचालको के द्वारा इन गरीब पेंशनधारियों की राशि मे हेरफेर कर कम रुपये उन्हें पकड़ा दिया जाता है।अब स्थानीय लोगो ने पूर्व की तरह पंचायत के माध्यम से नकद भुगतान की माँग की है। तो वही आला अधिकारी निशक्त पेंशनधारियों को घर तक पेंशन पहुंचाने की योजना पर विचार कर रहे हैं।



Conclusion:बहरहाल जिले के सुदूर पाठ क्षेत्र से आई विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा महिला की यह तस्वीर मानवता को शर्मसार करने को काफी है, आज के युग में भी इन्शान को कंघे पर धोकर लाना कहि न कही नेताओं के वादों सरकार को योजनाओं की जमीनी हकीकत बयाँ करने को काफी है।

बाईट - महिला के परिजन
बाईट - वरुण कुमार (स्थानीय निवासी)
बाईट - प्रकाश जैन (स्थानीय निवासी)
बाईट - विनोद सिंह (सीईओ जनपद पंचायत बगीचा)

तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
Last Updated : Oct 31, 2019, 8:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.