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VIDEO: परंपरा दर्शाती हैं, दिल खुश कर जाती हैं, भक्ति का अलग रूप दिखाती हैं ये तस्वीरें

जिले में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी जनजातीय समाज की ओर से सरहुल सरना पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया है.

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Published : Apr 7, 2019, 2:49 PM IST

जशपुर: जिले में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी जनजातीय समाज की ओर से सरहुल सरना पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया है. इस दौरान आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट होकर पारंपरिक वेशभूषा में ढोल और मांदर की थाप के साथ पारंपरिक नृत्य गान कर शोभायात्रा निकाली और शिव-पार्वती की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया.


पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आसपास के गांव के बैगा और आदिवासी जनजातीय समाज के लोग दीपू बगीचा में एकजुट हुए. जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता और प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है. जिले में गांव-गांव के बेगा आदिवासी समाज के लोग सरहुल सरना पूजा मनाते है. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव ने संसार की रचना की थी और इसी के आधार पर हम माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं.


उन्होंने बताया कि सरहुल पूजा में बेगा समाज के लोग 12 महीने में तीन ऋतुओं के आधार पर पूजा करते है ताकि अच्छे से बारिश हो और किसी तरह का कोई रोग न हो. इसके साथ ही अच्छा और खुशहाल जीवन मिलने की प्रार्थना करते हैं. उसी तरह खेती के बाद बैल पूजा और प्रकृति की पूजा भी की जाती है जिससे फसलें और प्रकृति अच्छी रहे और फल-फूल अनाज मिलती रहें.

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जशपुर: जिले में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आदिवासी जनजातीय समाज की ओर से सरहुल सरना पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया है. इस दौरान आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट होकर पारंपरिक वेशभूषा में ढोल और मांदर की थाप के साथ पारंपरिक नृत्य गान कर शोभायात्रा निकाली और शिव-पार्वती की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया.


पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आसपास के गांव के बैगा और आदिवासी जनजातीय समाज के लोग दीपू बगीचा में एकजुट हुए. जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता और प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है. जिले में गांव-गांव के बेगा आदिवासी समाज के लोग सरहुल सरना पूजा मनाते है. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव ने संसार की रचना की थी और इसी के आधार पर हम माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं.


उन्होंने बताया कि सरहुल पूजा में बेगा समाज के लोग 12 महीने में तीन ऋतुओं के आधार पर पूजा करते है ताकि अच्छे से बारिश हो और किसी तरह का कोई रोग न हो. इसके साथ ही अच्छा और खुशहाल जीवन मिलने की प्रार्थना करते हैं. उसी तरह खेती के बाद बैल पूजा और प्रकृति की पूजा भी की जाती है जिससे फसलें और प्रकृति अच्छी रहे और फल-फूल अनाज मिलती रहें.

Intro:जशपुर चैत्र नवरात्रि के वर्ष प्रतिपदा पर आदिवासी जनजातीय समाज द्वारा सरहुल सरना पूजा महोत्सव मनाया गया कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित सरहुल सरना पूजा में आदिवासी समाज के हजारों श्रद्धालु एकजुट हुए एवं शोभायात्रा पारंपरिक वेशभूषा में सजे हुए जनजातीय समाज के लोग ढोल और मांदर की थाप पर पारंपरिक नृत्य गान कर दीपू बगीचा पहुंचे जहां रैली में शामिल लोगों ने सरई के फूल से भगवान शिव माता पार्वती और देवी चला की पूजा अर्चना कर बेगा से आशीर्वाद लिया।
पारंपरिक सरहुल सरना पूजा मनाने के लिए आसपास के गांव के बैगा एवं आदिवासी जनजातीय समाज के लोगो दीपू बगीचा में एकजुट हुए।
समाज के जगेश्वर राम भगत ने बताया कि धरती माता व प्रकृति की पूजा हिंदू धर्म की प्राचीन परंपरा रही है, जिले के गाँव गाँव के बेगा आदिवासी समाज सरहुल सरना पूजा मनाता है , उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों का कहना है कि इसी दिन भगवान शिव ने श्रष्टी की रचना कीथी।उसी के आधार पर हम माता पार्वती ओर शिव चला आयो की पूजा करते है , सरहुल पूजा में हमारे बेगा 12 माह में तीन ऋतुवो के आधार पर पूजा करते है , । ताकि अच्छे से वर्षा हो किसी प्रकार का कोई रोग ना हो अच्छा से खुशहाल जीवन जिये ,इस प्रकार हमारे बेगा पूजा करते है , उसी तरह जब खेती हो जाती है उसके बाद बेल पूजा करते है ताकि हमारी फसल अच्छी रहे, इसके साथ ही हम प्रकृति की भी पूजा करते हैं क्योंकि प्रकृति से ही हमें फल-फूल अनाज सभी मिलता है इसके लिए भी हमारे बेगा पूजा करते हैं, । हमें पूजा खेती बारी अच्छी हो परिवार अच्छा रहे धन्य धान्य से पूर्ण रहे ।
सरहुल सरना पूजा में परमपरिक नाच गाना के साथ हम सब मानते है ।

बाइट जागेश्वर राम भगत ( पूर्व विधायक जशपुर एवं आदिवासी समाज के नेता

तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर


Body:सरहुल


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