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जशपुर: 97 साल की महिला समेत तीन बुजुर्गों ने जीती कोरोना से जंग

जशपुर में 97 साल की बुजुर्ग महिला ने कोरोना को मात दे दी है. उनके साथ 81 और 82 साल की दो बुजुर्ग महिलाएं भी कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हो चुकी है. तीनों बुजुर्ग महिला अब अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुकी हैं.

three old women recovered
तीन बुजुर्गों ने जीती कोरोना से जंग
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Published : Oct 12, 2020, 9:25 PM IST

जशपुर: जिले के कोविड-19 अस्पताल में तीन बुजुर्ग महिलाओं ने कोरोना से जंग जीत ली है. अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौटने वाली सबसे अधिक उम्र की महिला है करमेला लकड़ा जिनकी उम्र 97 साल है. उनके साथ 82 वर्ष की फिलोरा और 81 वर्ष की फिलोमिना कुजूर ने भी कोरोना को मात दे दी है. तीनों बुजुर्ग महिलाओं को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

KARMELA
करमेला लकड़ा (97 साल)

जिले के कुनकुरी विकास खंड के गिनाबहार मिशन संस्था में रहने वाली तीनों ही महिलाएं आत्मविश्वास से भरी हुई हैं. करमेला लकड़ा संस्था के हॉस्टल में ही रहती है. करमेला लकड़ा ने बताया कि कोरोना से ठीक होने में उन्हें कोई विशेष शारीरिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. डॉक्टरों द्वारा बताए गए दवाओं को उन्होंने नियमित लिया. अस्पताल से ठीक होकर वापस जाने की इच्छाशक्ति बेहद अधिक थी.

filora
फिलोरा (82 साल)

पढ़ें- कसडोल कोविड-19 केयर सेंटर में मरीजों को मिल रहा खराब खाना

करमेला ने बताया कि पहले के खानपान और नियमित दिनचर्या की वजह से वह इस उम्र तक स्वस्थ हैं. शुरू से उन्होंने भोजन के समय के साथ कोई समझौता नहीं किया है. सुबह 7 बजे नास्ता, दोपहर 12 बजे लंच और शाम 7 बजे डीनर, यहीं उनके खाने का समय है. आज भी वह इसी समय पर भोजन करती हैं. करमेला ने यह बताया कि उम्र अधिक होने की वजह से उन्हें मोतियाबिंद है और अब वह देख नहीं सकती हैं. लेागों को करमेला ने संदेश दिया है कि कोराेना से डरने की जरूरत नहीं है. सरकार द्वारा बताए गए हर गाइडलाइन का पालन कर संक्रमण से बचा जा सकता है.

filomina kujur
फिलोमिना कुजूर (81साल)

परीक्षा लेने आती है कोई भी बीमारी-बुजुर्ग

81 वर्ष फिलोमिना कुजूर को भी कोविड-19 अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. अधिक उम्र होने के कारण फिलेामिना अब सुन नहीं सकती है. चलने के लिए दोनों हाथों से छड़ी का उपयोग करती हैं. फिलोमिना गिनाबहार मिशन संस्था से जुड़ी हैं और वहीं के हॉस्टल में रहती हैं. फिलोमिना ने कहा कि कोई भी बीमारी सिर्फ परीक्षा लेने के लिए आती है, जिसे हमें पास करना है. वहीं 82 वर्ष फिलोरा भी गिनाबहार मिशन संस्था में ही रहती हैं. फिलोरा का कहना है कि बीमारी को हराना या बीमारी से खुद हार जाना यह आपके मन पर निर्भर करता है. मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. हम एक ही संस्था के तीनों वृद्ध महिलाएं एक साथ कोरोना पॉजिटिव निकली थीं.

जिले में रिकवरी रेट बेहद अच्छी
जशपुर जिले में कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरी दर अच्छा है. जिले में कुल 1297 लोग कोरेाना संक्रमण के शिकार हुए हैं. जिसमें से 996 लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं 293 एक्टिव केस है, जिनमें से 8 लोगों की मौत हुई है.

जशपुर: जिले के कोविड-19 अस्पताल में तीन बुजुर्ग महिलाओं ने कोरोना से जंग जीत ली है. अस्पताल से स्वस्थ होकर घर लौटने वाली सबसे अधिक उम्र की महिला है करमेला लकड़ा जिनकी उम्र 97 साल है. उनके साथ 82 वर्ष की फिलोरा और 81 वर्ष की फिलोमिना कुजूर ने भी कोरोना को मात दे दी है. तीनों बुजुर्ग महिलाओं को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

KARMELA
करमेला लकड़ा (97 साल)

जिले के कुनकुरी विकास खंड के गिनाबहार मिशन संस्था में रहने वाली तीनों ही महिलाएं आत्मविश्वास से भरी हुई हैं. करमेला लकड़ा संस्था के हॉस्टल में ही रहती है. करमेला लकड़ा ने बताया कि कोरोना से ठीक होने में उन्हें कोई विशेष शारीरिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. डॉक्टरों द्वारा बताए गए दवाओं को उन्होंने नियमित लिया. अस्पताल से ठीक होकर वापस जाने की इच्छाशक्ति बेहद अधिक थी.

filora
फिलोरा (82 साल)

पढ़ें- कसडोल कोविड-19 केयर सेंटर में मरीजों को मिल रहा खराब खाना

करमेला ने बताया कि पहले के खानपान और नियमित दिनचर्या की वजह से वह इस उम्र तक स्वस्थ हैं. शुरू से उन्होंने भोजन के समय के साथ कोई समझौता नहीं किया है. सुबह 7 बजे नास्ता, दोपहर 12 बजे लंच और शाम 7 बजे डीनर, यहीं उनके खाने का समय है. आज भी वह इसी समय पर भोजन करती हैं. करमेला ने यह बताया कि उम्र अधिक होने की वजह से उन्हें मोतियाबिंद है और अब वह देख नहीं सकती हैं. लेागों को करमेला ने संदेश दिया है कि कोराेना से डरने की जरूरत नहीं है. सरकार द्वारा बताए गए हर गाइडलाइन का पालन कर संक्रमण से बचा जा सकता है.

filomina kujur
फिलोमिना कुजूर (81साल)

परीक्षा लेने आती है कोई भी बीमारी-बुजुर्ग

81 वर्ष फिलोमिना कुजूर को भी कोविड-19 अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया है. अधिक उम्र होने के कारण फिलेामिना अब सुन नहीं सकती है. चलने के लिए दोनों हाथों से छड़ी का उपयोग करती हैं. फिलोमिना गिनाबहार मिशन संस्था से जुड़ी हैं और वहीं के हॉस्टल में रहती हैं. फिलोमिना ने कहा कि कोई भी बीमारी सिर्फ परीक्षा लेने के लिए आती है, जिसे हमें पास करना है. वहीं 82 वर्ष फिलोरा भी गिनाबहार मिशन संस्था में ही रहती हैं. फिलोरा का कहना है कि बीमारी को हराना या बीमारी से खुद हार जाना यह आपके मन पर निर्भर करता है. मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. हम एक ही संस्था के तीनों वृद्ध महिलाएं एक साथ कोरोना पॉजिटिव निकली थीं.

जिले में रिकवरी रेट बेहद अच्छी
जशपुर जिले में कोरोना से ठीक होने वालों का रिकवरी दर अच्छा है. जिले में कुल 1297 लोग कोरेाना संक्रमण के शिकार हुए हैं. जिसमें से 996 लोग ठीक हो चुके हैं. वहीं 293 एक्टिव केस है, जिनमें से 8 लोगों की मौत हुई है.

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