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SPECIAL: छत्तीसगढ़ के जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च !

जशपुर में एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी के चर्च को माना जाता है. इस चर्च का नाम रोजरी की महारानी चर्च है.

jashpur church in christmas
एशिया का सबसे बड़ा चर्च
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Published : Dec 25, 2019, 7:50 PM IST

जशपुर: प्रदेश के जशपुर में एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी के चर्च को माना जाता है. इस चर्च का नाम रोजरी की महारानी चर्च है.जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर कुनकुरी में बसा ये चर्च वास्तुकला का अदभुत नमूना है. क्रिसमस आते ही चर्च की रौनक कई गुना बढ़ जाती है. चर्च की कई विशेषताएं हैं जिसमें सबसे खास बात ये है कि यह विशालकाय भवन केवल एक पिलर पर टिका हुआ है.

जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है. इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है. एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्धालु प्रार्थना कर सकते हैं. क्रिसमस में न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंच कर प्रभु इसा मसीह की प्रार्थना करते हैं. ये चर्च धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है.

jashpur church in christmas
कुनकुरी चर्च

17 साल में बन कर तैयार हुआ था महागिरजाघर
इस चर्च की आधारशिला 1962 में रखी गई थी. जिसका एक हिस्सा 1964 में और दूसरा हिस्सा 1979 में पूरा हुआ. जिसका लोकार्पण 1982 में हुआ. 17 साल में बन कर तैयार हुए इस महागिरजाघर को आदिवासी मजदूरों ने बनाया है. इस चर्च की अनूठी वास्तुकला और बनावट बाइबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर बनाई गई है. जिले में इस चर्च के लगभग 2 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं.

jashpur church in christmas
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

दूर-दूर से आते हैं सैलानी
जशपुर के इस चर्च को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं. जिले के कई चर्चों में महीने भर से कैरोल गीत की धुन गूंजा करती है, लेकिन कुनकुरी के चर्च में कैरोल गीत की विशेष धुन मन मोह लेने वाली होती है. यह इस क्षेत्र के इसाई धर्मावलंबियों का मक्का माना जाता है. जहां लाखों की संख्या में लोग चर्च में आते रहते हैं. बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता,भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति के लिए पूरे देश में विख्यात हैं.

jashpur church in christmas
क्रिसमस के लिए बनाई गई चरनी

क्रिसमस पर बनाई जाती है विशेष चरनी
जशपुर धर्म प्रांत के धर्माध्यक्ष (बिशप) एम्मानवेल केरकेट्टा पूरे और विश्व के लोगों के लिए अमन चैन के लिए प्रार्थना करते हैं. बिशप ने बताया कि यहां क्रिसमस का त्यौहार खास होता है क्योंकि यह एशिया का दूसरा बड़ा चर्च है. यहां क्रिसमस पर चरनी बनाई जाती है. जिसमें ईसा मसीह के जीवन को दर्शाया जाता है. यहां हर धर्म और समुदाय के लोग अपनी आस्था से आते हैं.

jashpur church in christmas
प्रभु ईसा मसीह

पढ़ें- Christmas Day Special : जिंगल बेल के गाने के साथ आप भी कहें MERRY CHRISTMAS

'परिवार में हो एकता'
उन्होंने बताया कि, इस साल क्रिसमस को परिवार नवीनीकरण के साल में पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जा रहा है. जिसमें ये संदेश दिया जा रहा है कि परिवार में लोगों के बीच एकता बनी रहे. माता-पिता बच्चों को समझे और बच्चे माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे. जिससे समाज सशक्त होगा.
इसाई समुदाय सहित अन्य धर्म के लोग भी प्रार्थना में इस महागिरजाघर में सम्मिलित हुए और दिनभर एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला चलता रहा.

जशपुर: प्रदेश के जशपुर में एशिया महाद्वीप का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कुनकुरी के चर्च को माना जाता है. इस चर्च का नाम रोजरी की महारानी चर्च है.जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर कुनकुरी में बसा ये चर्च वास्तुकला का अदभुत नमूना है. क्रिसमस आते ही चर्च की रौनक कई गुना बढ़ जाती है. चर्च की कई विशेषताएं हैं जिसमें सबसे खास बात ये है कि यह विशालकाय भवन केवल एक पिलर पर टिका हुआ है.

जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है. इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है. एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्धालु प्रार्थना कर सकते हैं. क्रिसमस में न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंच कर प्रभु इसा मसीह की प्रार्थना करते हैं. ये चर्च धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है.

jashpur church in christmas
कुनकुरी चर्च

17 साल में बन कर तैयार हुआ था महागिरजाघर
इस चर्च की आधारशिला 1962 में रखी गई थी. जिसका एक हिस्सा 1964 में और दूसरा हिस्सा 1979 में पूरा हुआ. जिसका लोकार्पण 1982 में हुआ. 17 साल में बन कर तैयार हुए इस महागिरजाघर को आदिवासी मजदूरों ने बनाया है. इस चर्च की अनूठी वास्तुकला और बनावट बाइबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर बनाई गई है. जिले में इस चर्च के लगभग 2 लाख से ज्यादा अनुयायी हैं.

jashpur church in christmas
एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च

दूर-दूर से आते हैं सैलानी
जशपुर के इस चर्च को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी आते हैं. जिले के कई चर्चों में महीने भर से कैरोल गीत की धुन गूंजा करती है, लेकिन कुनकुरी के चर्च में कैरोल गीत की विशेष धुन मन मोह लेने वाली होती है. यह इस क्षेत्र के इसाई धर्मावलंबियों का मक्का माना जाता है. जहां लाखों की संख्या में लोग चर्च में आते रहते हैं. बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता,भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति के लिए पूरे देश में विख्यात हैं.

jashpur church in christmas
क्रिसमस के लिए बनाई गई चरनी

क्रिसमस पर बनाई जाती है विशेष चरनी
जशपुर धर्म प्रांत के धर्माध्यक्ष (बिशप) एम्मानवेल केरकेट्टा पूरे और विश्व के लोगों के लिए अमन चैन के लिए प्रार्थना करते हैं. बिशप ने बताया कि यहां क्रिसमस का त्यौहार खास होता है क्योंकि यह एशिया का दूसरा बड़ा चर्च है. यहां क्रिसमस पर चरनी बनाई जाती है. जिसमें ईसा मसीह के जीवन को दर्शाया जाता है. यहां हर धर्म और समुदाय के लोग अपनी आस्था से आते हैं.

jashpur church in christmas
प्रभु ईसा मसीह

पढ़ें- Christmas Day Special : जिंगल बेल के गाने के साथ आप भी कहें MERRY CHRISTMAS

'परिवार में हो एकता'
उन्होंने बताया कि, इस साल क्रिसमस को परिवार नवीनीकरण के साल में पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जा रहा है. जिसमें ये संदेश दिया जा रहा है कि परिवार में लोगों के बीच एकता बनी रहे. माता-पिता बच्चों को समझे और बच्चे माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे. जिससे समाज सशक्त होगा.
इसाई समुदाय सहित अन्य धर्म के लोग भी प्रार्थना में इस महागिरजाघर में सम्मिलित हुए और दिनभर एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला चलता रहा.

Intro:जशपुर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुनकुरी का महागिरजाघर एशिया महाद्वीप के दूसरा सब से बड़ा चर्च माना जाता है। यह महागिरजा घर वास्तुकला का अदभुत नमूना है। यह विशालकाय भवन केवल एक बींब में टिका हुआ है। इस भवन में 7 अंक का विशेष महत्व है। इसमें 7 छत और 7 दरवाजे मौजूद है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च कहलाने वाले इस चर्च में एक साथ 10 हजार श्रद्वालु प्रार्थना कर सकते है।क्रिसमस में न केवल देश से ही बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पंहुच कर प्रभु की प्रार्थना करते हैं। महागिरजाघर धार्मिक सौहाद्रता भी प्रतीक है


Body:महागिरजाघर की आधारषिला 1962 में रखी गई थी। जिसका एक हिस्सा 1964 में पूरा हुआ वहीं दूसरा हिस्सा 1979 में पूरा हुआ। इसका लोकार्पण 1982 मेें हुआ। 17 वर्ष मे बन कर तैयार हुवे महागिरजाघर को आदिवासी मजदूरों के द्वारा बनाया गया है। यह चर्च अपनी अनूठी वास्तुकला व बनावट बाईबिल में लिखे तथ्यों के आधार पर बनाया गया है। जिले में इस चर्च से संबंधित लगभग 2 लाख से अधिक अनुयायी हैं।


         एशिया के दूसरे सब से बड़े इस चर्च में लाखों लोग प्रभु यीषु के दर्शन के लिए आते हैं। महागिरजाघर सहित जिले के अनेक चर्चों में महीने भर से कैरोल गीत के धुन गूंजने लगती है लेकिन कुनकुरी के चर्च में इसकी विशेष धुन मन को मोह लेंगे वाली होती है। यह इस क्षेत्र के इसाई धर्मावलंबियों का मक्का माना जाता है। जहां लाखों की संख्या में लोग चर्च में आते रहते हैं। बेजोड़ वास्तुकला, सुंदरता,भव्यता, प्रार्थना और अपनी आकृति के लिए पूरे देश में विख्यात है।

जशपुर धर्म प्रान्त के धर्माध्यक्ष (विशप) एम्मानवेल केरकेट्टा के द्वारा पूरे और विश्व के लोगों के लिए अमन चैन के लिए प्रार्थना की जाती है, विशप ने बताया कि इस बार क्रिसमस का त्यौहार खास होता है क्यों कि यह एशिया का दूसरा बड़ा चर्च है यह क्रिसमस पर चरनी बनाई जाती है जिसमे ईशा मशी के जीवन को दर्शाया जाता है यहाँ हर धर्म समुदाय के लोग अपनी आस्था से यहाँ आते है

उन्होंने बताया कि इस वर्ष क्रिसमस परिवार नवीनीकरण का वर्ष पूरे छत्तीसगढ़ मना रहे है जिसमें संदेश है कि माता पिता अपनी जिमेवारी बच्चों के प्रति समझे गे ओर बच्चे अपने माता पिता की जिम्मेदारी समझे जिससे परिवारी सशक्त रहे गा समाज सशक्त रहेगा और जिससे पूरा देश शशक्त होगा ,

          Conclusion:प्रभु यीषु को चरनी में रखकर आर्षीवाद और प्रार्थना का सिलसिला शुरू होता है। कंपाउंड में स्थित लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं। कडाके की ठंड पडने के बावजूद चर्चो में रौनक देखी जा सकती है इसाई धर्मावलंबियों सहित अन्य धर्म के लोग भी प्रार्थना में इस महागिरजाघर में सम्मिलित हुए और दिनभर एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला चलता रहा।

बाइट फादर शिकन्दर (VG) महागिरजाघर
बाइट एम्मानवेल केरकेट्टा (विशप) महागिरजाघर


तरुण प्रकाश शर्मा
जशपुर
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