जशपुर : करीब 9 से 10 महीने स्कूल बंद रहने के बाद प्रदेश में हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल खोल दिए गए है. स्कूल खुलने से जहां स्टूडेंट्स खुश हैं तो वहीं पैरेंट्स परेशान है. बच्चे का कहना है कि स्कूल खुलने के बाद उन्हें पढ़ाई करने में अब आसानी हो रही है, तो इधर पैरेंट्स इस बात से परेशान है कि जिन स्कूलों को कोरोना के कारण इतने महीने बंद किया गया उन्हें कुछ समय तक और बंद रखना चाहिए था. हालांकि टीचर्स और अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में कोरोना गाइडलाइंस का पालन किया जा रहा है.
कोरोना संक्रमण के विश्वव्यापी संक्रमण के दौर में लॉकडाउन की वजह से घरों में सिमटी जिंदगियों के बीच शिक्षा की लौ जलाए रखने की बड़ी चुनौती शिक्षा विभाग के सामने थी. इस बड़ी चुनौती से निपटने के लिए शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन और मोहल्ला क्लास शुरू किया. लेकिन स्कूलों में सहपाठियों के साथ मस्ती के बीच पढ़ाई और शिक्षकों से सीधे संवाद की कमी अखरती रही. तकरीबन एक माह पहले कोरोना के कड़े गाइडलाइन के बीच हाई और हायर सेकेंडरी स्कूल खोल दिए गए. जिससे बच्चे खुश हैं. टीचर्स भी इस बात से संतुष्ट है कि बच्चों को अब पढ़ाई समझने में आसानी हो रही है.
'पढ़ने में हो रही आसानी'
स्कूल में पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं का कहना है कि वह स्कूल में ऑनलाइन क्लास से बेहतर सीख पा रहे हैं. ऑनलाइन क्लास में उन्हें काफी परेशानी होती थी. लेकिन आफ लाइन क्लास के माध्यम से उन्हें कोर्स पूरा करने में भी आसानी हो रही है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि स्कूल में इंट्री से पहले सेनेटाइज किया जाता है. बिना मास्क के उन्हें अंदर नहीं दिया जाता. क्लास रूम में शारीरिक दूरी का पालन भी बखूबी करवाया जा रहा है.
'स्कूल बंदकर ऑनलाइन क्लासेस संचालित हो'
स्कूल खुलने से जहां छात्र-छात्राएं खुश है तो वहीं पैरेंट्स परेशान है. अभिभावकों को कोरोना संक्रमण का खौफ सता रहा है. अभिभावक अमर वर्मा तेजी से पैर पसार रहे कोरोना संक्रमण के बीच सरकार के स्कूल खोलने के फैसले से सहमत नजर नहीं आए. उन्होंने कहा कि जब 9 से 10 महीने स्कूल नहीं खोले गए तो अब भी स्कूल नहीं खोलना था. उन्होंने कहा कि स्कूलों में पूरी तरह की सावधानी नहीं बरती जा रही है. उन्होंने कहा कि जशपुर के आसपास के कई स्कूलों में शिक्षकों सहित छात्र-छात्राओं में कोरोना संक्रमण पाया गया है. जिससे खतरा बना हुआ है. अभिभावकों का मानना है कि जैसे पहले ऑनलाइन क्लासेस चल रही थी, उसी आधार पर स्कूल संचालित किया जाना चाहिए.
अभिभावक अनिल सिंह का कहना है कि जिले में लगातार कोरोना के केस मिल रहे हैं. स्कूलों में भी जाने वाले बच्चे कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. उनका मानना है कि पहले बच्चों को कोरोना का टीका लगना चाहिए था, उसके बाद ही स्कूल का संचालन करना था. कुल मिलाकर देखे तो पैरेंट्स ऑनलाइन क्लास पर ही ज्यादा जोर दे रहे हैं.
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'ऑफलाइन क्लास में बच्चों को पाठ्यक्रम सीखने में आसानी'
शहर के शासकीय आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के प्राचार्य विनोद गुप्ता का कहना है कि स्कूल में कोरोना गाइडलाइन का पूरी गंभीरता से पालन किया जा रहा है. ऑफलाइन क्लास शुरू होने से बच्चों को पाठयक्रम सिखाने में भी सहूलियत हो रही है. शिक्षक भी बच्चों का सही तरीके से आंकलन कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षक और छात्रों के बीच सीधा संवाद स्थापित होने से शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने में मददगार साबित हो रही है.
स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अच्छी
स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि बीते साल कोरोना संक्रमण से पहले स्कूलों में स्टूडेंट्स की जैसी उपस्थिति थी. वैसी ही उपस्थिति अभी है. स्कूल में कोरोना के नियमों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है. स्कूल में प्रवेश करने से पहले बच्चों को सैनिटाइज करने, बिना मास्क के स्कूल में प्रवेश नहीं देने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया जा रहा है.
'कोरोना के नियमों का हो रहा पालन'
जिला शिक्षा अधिकारी एन कुजूर का कहना है कि जिले की सभी स्कूलों में सरकार की तरफ से जारी कोरोना गाइडलाइन्स का पालन किया जा रहा है. कुजूर ने ETV भारत से बताया कि हाल ही में कुछ स्कूलों में कोरोना संक्रमित शिक्षक और बच्चे मिले हैं. ऐहतियातन उन स्कूलों को बंद कर दिया गया है. दसवीं और बारहवीं की प्री बोर्ड परीक्षा चल रही है उसे भी रद्द कर दिया गया है.
एक बार फिर कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं. इन हालातों के बीच स्कूल खुले हुए हैं. अब देखना होगा कि कब तक कोरोना के डर के बीच स्कूल चल पाते हैं.