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अयोध्या में विवादित ढांचा हटने की कहानी, छत्तीसगढ़ के कारसेवक की जुबानी - कारसेवक

Disputed Structure In Ayodhya 22 जनवरी के दिन देश में सबसे बड़ा आयोजन होने जा रहा है.इस दिन अयोध्या के राममंदिर में रामलला 500 वर्ष बाद स्थापित होने जा रहे हैं.प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां अंतिम चरणों में है.लेकिन राममंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा की ये तारीख सही मायनों में काफी संघर्ष और बलिदान के बाद आई है.क्योंकि जिस विवादित ढ़ांचे को गिराकर राममंदिर होने का प्रमाण सामने लाया गया था.22 जनवरी के दिन देश के कई कारसेवक अपना सपना पूरा होते देखेंगे. Carsevak Of Chhattisgarh

Disputed Structure In Ayodhya
अयोध्या में विवादित ढांचा हटने की कहानी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2024, 7:19 PM IST

अयोध्या में विवादित ढांचा हटने की कहानी

जांजगीर चांपा :अयोध्या में दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा कारसेवकों ने हटा दिया था. उसमें शामिल कारसेवकों को तब की मुलायम सरकार की पुलिस की गोली का सामना करना पड़ा था.ना जाने कितने कारसेवक घर नहीं लौटे.कितनों के शवों का पता नहीं चला.उस दौर के कार सेवक छत्तीसगढ़ में भी हैं.जो आज भी उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं.ऐसे ही एक कारसेवक जांजगीर चांपा के भैंसमुड़ी में भी रहते हैं.जिन्होंने राम मंदिर निर्माण में अपने प्राणों की आहूति देने के लिए तैयार हो गए थे.

कैसा था कार सेवकों का संघर्ष ?: अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के हुए संघर्ष को समझना आसान नहीं है.1992 में पूरे देश से कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे.उस दौरान अयोध्या तक पहुंचने के संसाधन सीमित थे.फिर भी लोग वहां पहुंचे और वो कर दिया.जिसे कर पाना आसान नहीं था.उस समय को बयां करते वक्त जांजगीर निवासी कार सेवक विजय सिंह की आंखों में आज भी पानी आ जाता है.विजय सिंह की माने तो तब की मुलायम सरकार ने कार सेवकों के साथ जो बर्ताव किया,वो कभी नहीं भुलाया जा सकता.


गांव के 4 कार सेवक गए थे अयोध्या : विजय सिंह ने बताया कि नवागढ़ ब्लॉक से 300 के करीब कार सेवक गए थे. जिसमें 4 भैसमुड़ी गांव से थे.जिसमें से 2 कार सेवकों का स्वर्गवास हो गया. विजय सिंह के मुताबिक कारसेवक नैला रेलवे स्टेशन पहुंचे तो मंत्री बलिहारी सिंह ने खाना खिलाकर ट्रेन से रवाना किया. इलाहबाद में कार सेवको को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात थी. गंगा पुल में दोनों ओर से कार सेवकों को रोक कर पुलिस ने काफिले को रोक दिया.जिसके बाद इलाहाबाद में कार सेवकों और पुलिस के बीच झड़प हुई. माहौल बिगड़ता देख शंकराचार्य ने अपनी गिरफ्तारी दी और कार सेवको को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की.

कार सेवक पैदल ही निकले अयोध्या : शंकराचार्य की गिरफ्तारी के बाद कार सेवक पैदल ही अयोध्या के लिए रवाना हुए. कई जगहों में सड़कों पर पुलिस का पहरा लगा था. लेकिन सड़क से जाने के बजाए कार सेवक खेतों के रास्ते से गए.इस दौरान जो भी कार सेवक खेतों से गए उन्हें किसी ने ना रोका और ना ही टोका.जिस गांव में कार सेवकों का हुजूम पहुंचता वहां पर खाने पीने का इंतजाम हो जाता.इस तरह पैदल ही कार सेवक अयोध्या पहुंच गए. जिस दिन विवादित ढांचा गिरा.उस समय भारी संख्या में लोग वहां मौजूद थे.पुलिस ने चारों तरफ से घेरकर भीड़ पर आंसू गैस चलाया.हर तरफ धुंआ-धुंआ हो गया.जब धुंआ छटा तो पता चला कि विवादित जगह में एक ईंट भी नहीं बची है.


राम मंदिर बनने को लेकर कार सेवक प्रसन्न : कार सेवक के रूप में गांव के तीन अन्य लोग भी शामिल थे. जो हमेशा राम मंदिर बनने की प्रतीक्षा करते रहे. जिसमें से दो लोग जीवन के दिन पूरे कर राम में लीन हो गए. अयोध्या में राम मंदिर बनेगा इसका विश्वास सभी को था. लेकिन उन्हें देखने को मिलेगा कि नहीं संशय हमेशा बनी रहती थी. अब 22 जनवरी को रामलला मंदिर में प्रवेश करेंगे. इस पल को देखने के लिए विजय सिंह भी आतुर हैं. 22 जनवरी का निमंत्रण नहीं मिलने में बाद भी अयोध्या जाने को तैयार हैं.

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जांजगीर चांपा :अयोध्या में दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा कारसेवकों ने हटा दिया था. उसमें शामिल कारसेवकों को तब की मुलायम सरकार की पुलिस की गोली का सामना करना पड़ा था.ना जाने कितने कारसेवक घर नहीं लौटे.कितनों के शवों का पता नहीं चला.उस दौर के कार सेवक छत्तीसगढ़ में भी हैं.जो आज भी उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं.ऐसे ही एक कारसेवक जांजगीर चांपा के भैंसमुड़ी में भी रहते हैं.जिन्होंने राम मंदिर निर्माण में अपने प्राणों की आहूति देने के लिए तैयार हो गए थे.

कैसा था कार सेवकों का संघर्ष ?: अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के हुए संघर्ष को समझना आसान नहीं है.1992 में पूरे देश से कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे.उस दौरान अयोध्या तक पहुंचने के संसाधन सीमित थे.फिर भी लोग वहां पहुंचे और वो कर दिया.जिसे कर पाना आसान नहीं था.उस समय को बयां करते वक्त जांजगीर निवासी कार सेवक विजय सिंह की आंखों में आज भी पानी आ जाता है.विजय सिंह की माने तो तब की मुलायम सरकार ने कार सेवकों के साथ जो बर्ताव किया,वो कभी नहीं भुलाया जा सकता.


गांव के 4 कार सेवक गए थे अयोध्या : विजय सिंह ने बताया कि नवागढ़ ब्लॉक से 300 के करीब कार सेवक गए थे. जिसमें 4 भैसमुड़ी गांव से थे.जिसमें से 2 कार सेवकों का स्वर्गवास हो गया. विजय सिंह के मुताबिक कारसेवक नैला रेलवे स्टेशन पहुंचे तो मंत्री बलिहारी सिंह ने खाना खिलाकर ट्रेन से रवाना किया. इलाहबाद में कार सेवको को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात थी. गंगा पुल में दोनों ओर से कार सेवकों को रोक कर पुलिस ने काफिले को रोक दिया.जिसके बाद इलाहाबाद में कार सेवकों और पुलिस के बीच झड़प हुई. माहौल बिगड़ता देख शंकराचार्य ने अपनी गिरफ्तारी दी और कार सेवको को नुकसान नहीं पहुंचाने की अपील की.

कार सेवक पैदल ही निकले अयोध्या : शंकराचार्य की गिरफ्तारी के बाद कार सेवक पैदल ही अयोध्या के लिए रवाना हुए. कई जगहों में सड़कों पर पुलिस का पहरा लगा था. लेकिन सड़क से जाने के बजाए कार सेवक खेतों के रास्ते से गए.इस दौरान जो भी कार सेवक खेतों से गए उन्हें किसी ने ना रोका और ना ही टोका.जिस गांव में कार सेवकों का हुजूम पहुंचता वहां पर खाने पीने का इंतजाम हो जाता.इस तरह पैदल ही कार सेवक अयोध्या पहुंच गए. जिस दिन विवादित ढांचा गिरा.उस समय भारी संख्या में लोग वहां मौजूद थे.पुलिस ने चारों तरफ से घेरकर भीड़ पर आंसू गैस चलाया.हर तरफ धुंआ-धुंआ हो गया.जब धुंआ छटा तो पता चला कि विवादित जगह में एक ईंट भी नहीं बची है.


राम मंदिर बनने को लेकर कार सेवक प्रसन्न : कार सेवक के रूप में गांव के तीन अन्य लोग भी शामिल थे. जो हमेशा राम मंदिर बनने की प्रतीक्षा करते रहे. जिसमें से दो लोग जीवन के दिन पूरे कर राम में लीन हो गए. अयोध्या में राम मंदिर बनेगा इसका विश्वास सभी को था. लेकिन उन्हें देखने को मिलेगा कि नहीं संशय हमेशा बनी रहती थी. अब 22 जनवरी को रामलला मंदिर में प्रवेश करेंगे. इस पल को देखने के लिए विजय सिंह भी आतुर हैं. 22 जनवरी का निमंत्रण नहीं मिलने में बाद भी अयोध्या जाने को तैयार हैं.

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