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जांजगीर-चांपा: अतिक्रमण मुक्त जमीन पर छाई हरियाली, भविष्य में फूड प्रोसेसिंग पार्क बनाने की योजना

जांजगीर-चांपा के सेमरा गांव में कई सालों से अतिक्रमित की गई जमीन को अतिक्रमण मुक्त करा कर यहां एक साल पहले 9 हजार फलदार पौधे लगाए गए थे, जो अब फल-फूल रहे हैं. इन पेड़-पौधों का ख्याल रखने के लिए यहां पानी और सोलर पंप की व्यवस्था भी गई है. भविष्य में इस जगह पर फूड प्रोसेसिंग पार्क बनाने की योजना है.

plantation in janjgir champa
जांजगीर-चांपा के सेमरा गांव में पौधरोपण
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Published : Jul 15, 2020, 5:29 PM IST

जांजगीर-चांपा: जिले के नवागढ़ ब्लॉक के सेमरा गांव में अतिक्रमण मुक्त जमीन पर ना केवल हरियाली छाई है, बल्कि फलदार पेड़ लगाने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. गांव के लोग अब फूड प्रोसेसिंग पार्क लगाने को लेकर भविष्य की कल्पना कर रहे हैं. जिले में इन दिनों ज्यादातर ग्राम पंचायतों में अतिक्रमण को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही है और स्थिति यह है कि शासकीय योजनाओं को फलीभूत करने के लिए उनके पास भूमि नहीं है. ऐसी स्थिति में जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ ब्लॉक के सेमरा गांव में जो स्थिति सामने आई है वह तारीफ के काबिल है. ETV भारत स्थानीय लोगों से बात की तो पाया कि क्षेत्र के लोगों में खुशी है.

जांजगीर-चांपा के सेमरा गांव में पौधरोपण

यहां लगभग 100 एकड़ जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है. 45 एकड़ में फलदार पौधे लगाए गए हैं. इसके अलावा 22 एकड़ खाली जगह बची हैं, उसके लिए भी प्लानिंग की जा रही है. दूसरी जगह जिसे अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, वह गौठान है. इसके अलावा कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है.

एक साल पहले लगाए गए 9 हजार फलदार पौधे

स्थानीय लोगों ने बताया कि किस तरह से सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया था, जिसे मुक्त करा लिया गया है. एक साल पहले यहां करीब 9 हजार फलदार पौधे लगाए गए थे, जो अब बढ़ गए हैं. कई खाली जगहों में भी प्लांटेशन और दूसरे जरूरी प्रक्रिया को लेकर प्लानिंग की जा रही है. गांव वाले आने वाले दिनों में फूड पार्क बनाने की कल्पना में लगे हुए हैं.

अतिक्रमण हटाने के बाद मवेशियों को मिली चराने की जगह

स्थानीय ने बताया कि 100 प्रतिशत जमीन अतिक्रमित था. गांव के ही कुछ लोगों ने कब्जा किया था. दो साल पहले लोगों के पास मवेशियों को चराने तक की जगह नहीं मिलती थी. मवेशी इधर-उधर भटकते रहते थे. इसे देखते हुए धीरे-धीरे लोग इकट्ठे हुए और अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाया. अतिक्रमण हटाने के बाद मवेशियों को चराने की जगह मिली. साथ ही इस जगह आम, जाम, जामुन और कटहल जैसे फलदार पौधे लगाए गए.

पढ़ें- SPECIAL: 'हरियर छत्तीसगढ़' के तहत 7 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य, जमीनी हकीकत पर नेता-मंत्री चुप

इस जगह दो चौकीदार भी रखे गए हैं, जो यहां की रखवाली करते हैं. वहीं पेड़-पौधों को पानी देने के लिए दो बोर की व्यवस्था की गई है. मनरेगा के तहत यहां पर दो तालाब भी खोदे गए हैं. सोलर पंप भी लगाया गया है. जब फलदार पौधे पेड़ का रूप ले लेंगे और फल देन लगेंगे, तो यहां पर फुड प्रोसेसिंग पार्क बनाने की तैयारी भी की जाएगी.

जांजगीर-चांपा: जिले के नवागढ़ ब्लॉक के सेमरा गांव में अतिक्रमण मुक्त जमीन पर ना केवल हरियाली छाई है, बल्कि फलदार पेड़ लगाने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. गांव के लोग अब फूड प्रोसेसिंग पार्क लगाने को लेकर भविष्य की कल्पना कर रहे हैं. जिले में इन दिनों ज्यादातर ग्राम पंचायतों में अतिक्रमण को लेकर कई समस्याएं सामने आ रही है और स्थिति यह है कि शासकीय योजनाओं को फलीभूत करने के लिए उनके पास भूमि नहीं है. ऐसी स्थिति में जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ ब्लॉक के सेमरा गांव में जो स्थिति सामने आई है वह तारीफ के काबिल है. ETV भारत स्थानीय लोगों से बात की तो पाया कि क्षेत्र के लोगों में खुशी है.

जांजगीर-चांपा के सेमरा गांव में पौधरोपण

यहां लगभग 100 एकड़ जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है. 45 एकड़ में फलदार पौधे लगाए गए हैं. इसके अलावा 22 एकड़ खाली जगह बची हैं, उसके लिए भी प्लानिंग की जा रही है. दूसरी जगह जिसे अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है, वह गौठान है. इसके अलावा कई योजनाओं पर काम किया जा रहा है.

एक साल पहले लगाए गए 9 हजार फलदार पौधे

स्थानीय लोगों ने बताया कि किस तरह से सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया था, जिसे मुक्त करा लिया गया है. एक साल पहले यहां करीब 9 हजार फलदार पौधे लगाए गए थे, जो अब बढ़ गए हैं. कई खाली जगहों में भी प्लांटेशन और दूसरे जरूरी प्रक्रिया को लेकर प्लानिंग की जा रही है. गांव वाले आने वाले दिनों में फूड पार्क बनाने की कल्पना में लगे हुए हैं.

अतिक्रमण हटाने के बाद मवेशियों को मिली चराने की जगह

स्थानीय ने बताया कि 100 प्रतिशत जमीन अतिक्रमित था. गांव के ही कुछ लोगों ने कब्जा किया था. दो साल पहले लोगों के पास मवेशियों को चराने तक की जगह नहीं मिलती थी. मवेशी इधर-उधर भटकते रहते थे. इसे देखते हुए धीरे-धीरे लोग इकट्ठे हुए और अतिक्रमण हटाने का प्लान बनाया. अतिक्रमण हटाने के बाद मवेशियों को चराने की जगह मिली. साथ ही इस जगह आम, जाम, जामुन और कटहल जैसे फलदार पौधे लगाए गए.

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इस जगह दो चौकीदार भी रखे गए हैं, जो यहां की रखवाली करते हैं. वहीं पेड़-पौधों को पानी देने के लिए दो बोर की व्यवस्था की गई है. मनरेगा के तहत यहां पर दो तालाब भी खोदे गए हैं. सोलर पंप भी लगाया गया है. जब फलदार पौधे पेड़ का रूप ले लेंगे और फल देन लगेंगे, तो यहां पर फुड प्रोसेसिंग पार्क बनाने की तैयारी भी की जाएगी.

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