जांजगीर चांपा : जिला के शिवरीनारायण में जल क्रीड़ा एकादशी का श्रद्धा भक्ति पूर्वक मनाया (lord Shrigopal played in water on Shivrinarayan ) गया. इस अवसर पर शिवरीनारायण मठ से भव्य शोभायात्रा निकाली गई. मध्य नगरी चौक, हनुमान मंदिर होते हुए महानदी के त्रिवेणी संगम तट तक गई. यहां रामघाट में भगवान श्रीगोपाल जी को जलविहार कराया गया. इस अवसर पर श्री शिवरीनारायण मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज (Mahant Ramsundar Das Maharaj) ने छत्तीसगढ़ वासियों सहित संपूर्ण देशवासियों को जल क्रीड़ा एकादशी की बधाई दी और भगवान से देश की खुशहाली की कामना की.
भगवान श्रीगोपाल की जलक्रीड़ा : आज से 20 दिन पहले जहां महानदी की कल कल करती जल धारा और रौद्र रुप दिखा रही थी. महानदी के किनारे बसे शिवरीनारायण और आस पास के लोग अपनी जान माल की चिंता कर रहे थे.आज उसी जगह पर भगवान के साथ अनूठा पर्व मनाया गया. शिवरीनारायण मठ मंदिर के पीठाधीश और गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राम सुंदर दास की अगुवाई में जल क्रीड़ा एकादशी का आयोजन किया गया. भगवान गोपाल जी की मूर्ति की झांकी में सजाकर गाजे बाजे के साथ शिवरीनारायण नगर का भ्रमण कराया गया.इसके बाद महानदी में जल क्रीड़ा के लिए भगवान को लेकर महंत रामसुंदर दास पहुंचे. इसके लिए नाव को सजाया गया. महंत राम सुंदर दास ने अन्य भक्तों के साथ गोपाल जी को अपने गोद में बैठाकर जलक्रीड़ा कराया.
महानदी भगवान के चरणस्पर्श से होती है शांत : शिवरीनारायण में सावन या भादो में हर साल महानदी का जल स्तर बढ़ता (mahanadi water of Shivrinarayan janjgir champa) है. शबरी पुल में खतरे के निशान से 3 फीट ऊपर पानी बहने लगता है. जल स्तर बढ़ने से शासन प्रशासन की चिंता बढ़ जाती है.लेकिन शिवरीनारायण के लोगों की मान्यता है कि महानदी अपना जल स्तर बढ़ाकर हर साल भगवान नर नारायण की चरण धोने आती है.नर नारायण मंदिर के रोहणी कुंड से भगवान का जल अभिषेक के बाद फिर से महानदी शांत हो जाती है. इसके बाद हर साल जल क्रीड़ा एकादशी के दिन भगवान गोपाल जी नगर की स्थिति को देखने निकलते है और महानदी में जल क्रीड़ा करने पहुंचते है.