जांजगीर-चांपा: जिले में आग बुझाने को लेकर ना ही पर्याप्त संसाधन और ना ही पर्याप्त अमला. 3 साल पहले अग्निशमन विभाग को निकाय क्षेत्रों से अलग कर जिला सेनानी नगर सेना को सौंपा गया था. प्रदेश के सबसे बड़े जिले जांजगीर-चांपा जिला में केवल 4 दमकल वाहन और 20 कर्मचारियों के भरोसे अग्निशमन विभाग संचालित किया जा रहा है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी बड़े हादसे में आखिर कैसे विभाग निपटेगा.
सिर्फ 4 फायर ब्रिगेड और 40 कर्मचारियों के भरोसे विभाग
अग्निशमन विभाग संसाधनों की कमी बनी हुई है. सिर्फ 4 दमकल वाहन अभी चालू हालत में हैं. वहीं 20 कर्मचारियों के भरोसे पूरा विभाग चल रहा है. बस जैसे-तैसे सीमित संसाधनों से काम चलाया जा रहा है. आग बुझाने जब फायर ब्रिगेड की टीम पहुंचती है, तब तक आग अपने गिरफ्त में आए सभी चीजों को खाक कर चुकी होती है.
गर्मी में बढ़ जाती है आग लगने की घटनाएं
गर्मी की शुरुआत की शुरुआत होने जा रही है. आग लगने की घटनाएं सामने आना शुरू हो गई है, लेकिन अग्निशमन विभाग को इतना मजबूत नहीं बनाया गया है, जिससे आग पर काबू पाने के लिए मुस्तैदी से कार्रवाई की जा सके.
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काफी समय से संसाधनों की कमी
अग्निशमन विभाग विभाग में केवल 20 कर्मचारी हैं. वहीं चार वाहनों पर केवल 2 वाहन चालक उपलब्ध हैं. जबकि तीन हेल्पर अग्निशमन दल में है. जो खुद गाड़ी चलाते हैं. बड़ी अग्नि दुर्घटना से निपटने के लिए अग्निशमन विभाग संसाधनों की कमी से जूझ रहा है.
प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है जांजगीर-चांपा
जांजगीर-चांपा प्रदेश का सबसे बड़ा है. यहां जिला मुख्यालय से इतर अलग-अलग स्थानों पर अग्निशमन विभाग की चौकियां स्थापित होनी चाहिए. जिससे आग लगने वाली घटना स्थल तक पहुंच के लिए आसानी हो सके. पूरे जिले की करीब 60 किलोमीटर से 100 किलोमीटर की दूरी तक आग बुझाने के लिए फेरा लगाना पड़ता है. ऐसे में घटनास्थल तक पहुंचने से पहले ही आग मैं काबू पाना मुश्किल हो जाता है. तब तक आग की जद में आए सारा कुछ नुकसान होने तक अग्निशमन दल घटनास्थल तक पहुंच पाता है.