जांजगीर: जैजैपुर तहसील के अंतर्गत ग्राम मुक्ता सेमरिया के मध्य सोन नदी पर 10 वर्ष पहले पुल, और सड़क का निर्माण शासन द्वारा कराया गया. जिसमें तीन दर्जन किसानों की कृषि भूमि अधिग्रहित कर ली गई, लेकिन 10 साल बीतने के बाद भी किसानों को इसका मुआवजा नहीं मिल पाया है, जिससे किसान अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
कांग्रेस सरकार के चुनावी घोषणा में सरकार बनने के बाद भू विस्थापितों को शीघ्र ही मुआवजा राशि का भुगतान करने की बात कही गई थी. हालांकि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अधिकांश किसानों को मुआवजा राशि का भुगतान भी किया गया. लेकिन जैजैपुर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत मुक्ता सेमरिया के गरीब किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया.
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2009-10 में पुल और सड़क के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण
दरअसल साल 2009-10 में सोन नदी पर पुल और सड़क के निर्माण के दौरान मुक्ता के 3 दर्जन किसानों की भूमि को शासन द्वारा अधिग्रहित किया गया था. शासन ने निर्माण कार्य तो पूरे करा दिए लेकिन किसानों को मुआवजा देना भूल गई. तब से किसान मुआवजे की राशि के लिए दर-दर भटक ही रहे है, कभी इस ऑफिस तो कभी उस ऑफिस जाकर किसान अपनी अर्जी दे रहे हैं, लेकिन कहीं उनकी सुनवाई नहीं हो रही हैं.
तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन
बार-बार जनप्रतिनिधियों व संबंधित अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी मुआवजा राशि नहीं मिलने से किसान एकजुट होकर तहसीलदार कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपा. तहसीलदार को बताया कि ग्राम पंचायत मुक्ता, पटवारी हल्का नंबर 18 राजस्व निरीक्षक मंडल जय जयपुर तहसील अंतर्गत सोन नदी में लोक निर्माण सेतु निगम द्वारा वर्ष 2009- 10 में पुल, सड़क व एनीकट का निर्माण कराया गया. निर्माण के लिए मुक्ता के तीन दर्जन किसानों की भूमि अधिग्रहित की, लेकिन 10 साल बीतने के बाद किसानों को राशि का भुगतान नहीं हुआ, जिससे किसानों को आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है.
दफ्तरों के चक्कर लगाकर थके किसान
वहीं कुछ किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि जिस जमीन पर वह कृषि कार्य करके अपना भरण पोषण करते थे, उस भूमि के चले जाने से उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है. प्रभावित किसानों तहसील कार्यालय से लेकर अनुविभागीय अधिकारी एवं जिला प्रशासन एवं लोक निर्माण सेतु विभाग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर थक चुके हैं.
साल 2015-16 के किसानों को दिया मुआवजा
दूसरी ओर साल 2015-16 में जैजैपुर तहसील के अंतर्गत दतौद एवं लखाली के मध्य निर्मित पुल और सड़क में प्रभावित किसानों को शासन के द्वारा मुआवजा राशि की भुगतान कर दी गई है. अब यह बात समझ से परे है कि एक ही तहसील में मुआवजा प्रकरण को लेकर दोहरे मापदंड की नीति क्यों अपनाई जा रही है.
मुक्ता के प्रभावित किसानों ने कहा कि अब सब्र की सीमा टूट चुकी है. अब हमारे सामने अनिश्चितकालीन आंदोलन के जरिए शासन के सामने अपनी बात रखने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं बचा है.