जांजगीर चांपा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सूर्यांश शिक्षा महा महोत्सव Suryansh Shiksha Mahotsav में शामिल हो कर समाज द्वारा किये गए आत्मीय स्वागत की तारीफ की. सीएम बघेल ने कहा कि "पहले भी 2016 शिक्षा महोत्सव में शामिल होने का मौका मिला. फिर हाल ही में भेंट मुलाकात के दौरान इसी परिसर में आना हुआ और तीसरी बार शिक्षा महोत्सव में सिवनी गांव आने का मौका मिला. यहां अपनापन का अनुभव मिलता है, स्वागत के लिए धन्यवाद
समाज के पंच गुरुओं को किया याद: उन्होंने सूर्यवंशी समाज के लोगों को बधाई दी और पूर्वजों को याद रख कर समाज का उत्थान करने के लिए ऐसे आयोजन की तारीफ की. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सूर्यवंशी समाज ने शिक्षा के महत्त्व को समझा है और अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए साल भर समाज के युवाओं को शिक्षित करने की पहल की है.
व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर: वहीं सरकार ने अब शिक्षा को मजबूत करने के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा किया है. नक्सल क्षेत्र के स्कूलों को भी संचालित करने के साथ साथ आत्मानंद स्कूलों को भी अच्छा प्रतिसाद मिलने की बात कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि "डॉक्टर भीम राव आम्बेडकर ने समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा को मूल मंत्र बताया और बौद्ध धर्म का प्रचार करते हुए करुणा, प्रेम मैत्री को समाज की उन्नति का मार्ग बताया. छत्तीसगढ़ में 1,000 करोड़ स्कूलों को व्यवस्थित करने के लिए रखा गया है. नक्सल क्षेत्र के बंद स्कूलों की फिर शुरु किया जा रहा है. आत्मानद स्कूलों की मांग बढ़ती जा रही है.
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जांजगीर में खुलेगा मेडिकल कॉलेज: मुख्यमंत्री ने कहा कि "छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में 4 मेडिकल कॉलेज खुले हैं. अब जांजगीर में मेडिकल कॉलेज खुलेगा. उन्होंने कहा 12 सौ करोड़ रुपये आईटीआई के लिए स्वीकृत किया गया है."
जांजगीर में धान खरीदी: सीएम ने कहा कि वहीं किसानों से धान खरीदी को सफलता पूर्वक संपन्न कराते हुए अबतक 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई है. 1 करोड़ 10 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा रही है. अगले साल 28 सौ रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदी की जा सकती है.
शिक्षा पर सरकार का ध्यान: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि "सरकार का ध्यान शिक्षा पर का फोकस है. शासकीय भवन प्राकृतिक रंग सें पोताई होगा. गोबर से रंग बनेगा. समूह के द्वारा उत्पादन किया जायेगा. लाभ मिलेगा. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति को प्राथमिकता दी जा रही है. छत्तीसगढ़ की पहचान बदल रही है. पहले नक्सलवाद के नाम से प्रदेश को जाना जाता था, लेकिन अब संस्कृति के नाम से जाना जा रहा है. शिक्षा का मशाल गांव गांव तक पहुंचने का काम कर रहे हैं."