कोरबा: कोरबा जिला मध्य भारत का इकलौता ऐसा क्षेत्र है, जहां किंग कोबरा जैसे दुर्लभ और शानदार सांप का एक बड़ा रहवास है. वन विभाग इसे लेकर कई तरह के रिसर्च कर रहा है. अब विभाग ने किंग कोबरा के डीएनए अध्ययन का प्लान बनाया है. इसके लिए गैर सरकारी क्षेत्र के विशेषज्ञों को भी दायित्व सौंपा गया है.
दरअसल अब तक ऐसा माना जा रहा था कि दुनिया में किंग कोबरा की केवल एक प्रजाति का अस्तित्व है. लेकिन वैश्विक स्तर पर हाल ही में हुए अध्ययनों से यह पता चला है कि किंग कोबरा की 1 नहीं बल्कि 4 अलग-अलग प्रजातियां पूरी दुनिया में मौजूद हैं.
कोरबा जिले में डीएनए अध्ययन कर यह पता लगाया जाएगा कि जिन 4 प्रजातियों का पता चला है, उनमें से कोरबा में पाया जाने वाला किंग कोबरा किस प्रजाति से ताल्लुक रखता है? यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या कोरबा में पाया जाने वाला किंग कोबरा दुनिया भर की चार प्रजातियों से कोई अलग, पांचवी प्रजाति का है? यदि ऐसा होता है तो यह न सिर्फ कोरबा और छत्तीसगढ़ बल्कि दुनिया भर के लिए एक बड़ी खोज होगी.
वैश्विक रिसर्च में कोरबा जिले के किंग कोबरा का कोई जिक्र नहीं: वन विभाग के साथ मिलकर रिसर्च करने वाले नोवा नेचर संस्था के अध्यक्ष एम सूरज का कहना है कि पूरे मध्य भारत में कोरबा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां किंग कोबरा मौजूद हैं. यहां इस विशालकाय और शानदार सांप के लिए बेहद अनुकूल वातावरण है. विश्व स्तर पर अभी हाल ही में एक अध्ययन हुआ है. इस अध्ययन में किंग कोबरा को 1 स्पीशीज न बताकर कर 4 अलग-अलग स्पीशीज में वर्गीकृत किया गया है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय संघ ने किंग कोबरा के अध्ययन में जो बात बताई है, उसमें मध्य भारत के कोरबा में पाए जाने वाले किंग कोबरा का कोई जिक्र नहीं है.
यदि हम इस इलाके में किंग कोबरा के करीबी पापुलेशन की बात करें तो आसपास कहीं भी किंग कोबरा नहीं है. यह या तो काफी दूर ओडिशा में पाया जाता है, या बस्तर क्षेत्र के पूर्वी घाट में मिलता है. इसका मतलब यह हुआ कि हमारे यहां जो किंग कोबरा मिल रहा है, यह निश्चय ही एक ऐसी प्रजाति है, जिस पर और भी अध्ययन करने की जरूरत है. ज्यादा से ज्यादा जानकारी इकट्ठा करने की जरूरत है. -एम सूरज, अध्यक्ष, नोवा नेचर संस्था
नोवा नेचर संस्था के अध्यक्ष एम सूरज ने बताया कि आनुवांशिक अध्ययन का किसी प्रजाति के अध्ययन में काफी बड़ा रोल रहा है. वैश्विक स्तर पर भी जो अध्ययन सामने आए हैं. उसमें डीएनए एनालिसिस का बड़ा योगदान है. इसलिए अब हम इसी टूल का उपयोग करके मध्य भारत के कोरबा में जो किंग कोबरा मिल रहा है, वह कौन सी प्रजाति से ताल्लुक रखता है, या जो चार प्रजातियां विश्व स्तर पर सामने आई हैं, उसमें से यह और भी किसी नई प्रजाति का है. यह पता लगाने का हम प्रयास करेंगे. इस अध्ययन के बाद नई जानकारियां सामने आएंगी. यह कोरबा और पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक बहुत बड़ी बात होगी.
जल्द ही शुरू करेंगे डीएनए एनालिसिस का काम: कोरबा वन मंडल के डीएफओ अरविंद पीएम ने बताया कि किंग कोबरा को लेकर हम कई तरह के रिसर्च और सर्वे का काम कर रहे हैं. इसके रहवास को विकसित किया जा रहा है. अब हम किंग कोबरा के एनालिसिस का काम शुरू करने जा रहे हैं ताकि इसके विषय में हमें और जानकारी मिल जाए.
हमने क्षेत्र की पहचान कर ली है. कौन से वह इलाके हैं, जहां किंग कोबरा मिलते हैं. उसे हमने पहचान लिया है. हमने लोगों को जागरुक भी किया है ताकि लोग किंग कोबरा के अंडे को ना तोड़ें और यदि कोई किंग कोबरा उनके रास्ते में आ जाता है, उन्हें मिलता है तो वह उसे डिस्टर्ब ना करें-अरविंद पीएम, डीएफओ, कोरबा वन मंडल
22 फीट का किंग कोबरा: बीते कुछ साल के दौरान अलग-अलग समय में कोरबा में 12 से 18 फीट के किंग कोबरा पाए गए हैं. कोरबा जिले में लगभग 22 फीट लंबा किंग कोबरा भी मिला था. जिसे रिहायशी इलाके से रेस्क्यू कर जंगल में आजाद किया गया था. कोरबा विकासखंड में ही और आसपास के जंगल में किंग कोबरा की मौजूदगी है. स्थानीय निवासी इसे लंबे समय से देखते आ रहे हैं. कोबरा को ग्रामीण पहाड़ चित्ती सांप के नाम से पुकारते हैं.
कोबरा की संख्या तब और भी बढ़ी जब ये शहर के आसपास के इलाकों में प्रवेश करने लगे. तब सांपों का रेस्क्यू करने वाले सर्प मित्र और दूसरे जानकारों ने इस बात की पुष्टि की. वन विभाग ने रिसर्च शुरू किया. रहवास के क्षेत्र का दायरा तलाशने के लिए सर्वे हुआ. तब लोगों को ये पता चला कि किंग कोबरा की बड़े पैमाने में जिले के अंदर मौजूदगी है.
किंग कोबरा जैसे दुर्लभ सांप पूरे देश में गिने-चुने स्थानों पर ही पाए जाते हैं. सर्वे शुरू होने के पहले हम सोच रहे थे कि कोरबा वनमंडल के कुछ गांव तक ही इसका आवास सीमित है. जब सर्वे का काम आगे बढ़ा तब पता चला कि पूरे कोरबा वनमंडल में कोबरा का निवास है. इतना ही नहीं कोरबा वन मंडल से लेकर सूरजपुर के बॉर्डर तक किंग कोबरा के रहवास के निशान मिले हैं. फिलहाल वन विभाग किंग कोबरा के संरक्षण की योजना पर भी काम कर रहा है. एक सीमित क्षेत्र को किंग कोबरा के रहवास के तौर पर विकसित किया जा रहा है ताकि ये सांप बेहतर तरीके से यहां जीवन यापन कर सकें-जितेंद्र सारथी,सर्प मित्र और सर्वे दल के सदस्य
अपेक्स स्पीशीज में है किंग कोबरा : किंग कोबरा को बायोडायवर्सिटी के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जीव माना जाता है. यह हमारे फूड चेन में एक अपेक्स स्पीशीज यानी शीर्ष शिकारी होता है. किंग कोबरा के विषय में ऐसा माना जाता है कि इससे अन्य सांपों की प्रजातियां भी नियंत्रित होती है. किंग कोबरा ऐसा दुर्लभ सांप है, जो अन्य सांपों को भी अपना आहार बनाता है. इसलिए किंग कोबरा का पर्यावरण में मौजूद रहना बेहद आवश्यक है. इससे हमारे फूड चैन का संतुलन बना रहता है.
अब तक माना जा रहा था "ऑफियोफेगस हैना" ही किंग कोबरा की एकमात्र प्रजाति है. किंग कोबरा भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं. पूर्वी एशिया के दक्षिणी क्षेत्र, बांग्लादेश, भूटान, बर्मा कंबोडिया, चीन, भारत इंडोनेशिया लाओस, नेपाल चीन, थाईलैंड, सिंगापुर जैसे देशों में किंग कोबरा पाए जाते हैं. इन्हें दुर्लभ भी माना जाता है. किंग कोबरा कई स्थानों में विलुप्ति के कगार पर भी हैं. इनके जहर के कारण तस्करी और शिकार के मामले सामने आते हैं.
![DNA ANALYSIS OF KING COBRA](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13-01-2025/23303419_cobra-info-gfx_info.jpg)
किंग कोबरा का जहर बेहद खतरनाक, आस्था से भी जुड़ा है नाता: किंग कोबरा दुनिया के सबसे अधिक जहरीले सांप होते हैं. देखने में भी उतने ही आकर्षक होते हैं. किंग कोबरा का 1 मिलीग्राम जहर भी किसी भी व्यक्ति की जान लेने के लिए पर्याप्त है. किसी को काटते वक्त यदि किंग कोबरा ने ज्यादा जहर शरीर में पहुंचा दिया तो मौत निश्चित है.
जहरीला होने के बावजूद किंग कोबरा कोल्ड ब्लडेड होते हैं. जब इन्हें कोई खतरा महसूस होता है, तभी यह किसी पर हमला करते हैं. पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जी के गले में जो सांप लिपटा है, वो किंग कोबरा ही है. इसलिए किंग कोबरा को नागराज भी कहा जाता है. इसका मतलब सांप की प्रजाति में कोबरा सांपों का राजा है.
नए अध्ययन में इन चार प्रजातियों का उल्लेख:
- ऑफियोफेगस हैना : अब तक इसे ही किंग कोबरा की एकमात्र प्रजाति माना जाता रहा है, जो पूर्वी पाकिस्तान उत्तर भारत और उत्तर पूर्व भारत में भी पाया जाता है.
- ऑफियोफेगस कलिंगा : इसे भारत के पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली प्रजाति के तौर पर दर्शाया गया है.
- ऑफियोफेगस सालवाटाना : मलेशिया, फिलिस्तीन और अन्य द्वीपसमूह में पाए जाने वाले किंग कोबरा को इस कैटेगरी में रखा गया है.
- ऑफियोफेगस बंगारस : भारत के साथ ही इस प्रजाति के चीन में पाए जाने की भी जानकारी है.