डभरा/जांजगीर-चांपा: फलियामुंडा में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला असुविधा और प्रशासन की लचर व्यवस्था की मार झेल रहा है. इससे शिक्षा का स्तर गिर रहा है. बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बच्चों का स्कूल में पढ़ने की ललक खत्म होती जा रही है. उनके सपनों पर पानी फिर रहा है. किस्मत संवरने से पहले ही दम तोड़ रही है. बच्चों के अरमान आंसुओं में बह रहे हैं. जिम्मेदार बेपरवाह हैं और बच्चों का भविष्य खतरे में है. दूसरी ओर सरकार 'स्कूल जाबो पढ़े बर, जिनगी ला गढ़े बर' का डंका पीट रही है.
दरअसल, फलियामुंडा में साल 1979 से संचालित प्राथमिक शाला का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. स्कूल की दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. आलम यह है कि बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. स्कूल जाने के रास्ते में बारिश में कीचड़ भर जाता है. स्कूल में बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय भी नहीं हैं जो पूर्व में बना है, वह भी जर्जर है.
लगातार गिर रहा ग्राफ
स्कूल में पिछले सत्र में 18 बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन वर्तमान में यह संख्या घटकर 15 रह गई है. इस ओर जल्द पहल नहीं की गई, तो बच्चों की संख्या में और भी गिरावट आ सकती है.
स्कूल के प्रधानपाठक नरेन्द्र भारद्वाज ने बताया की स्कूल की स्थिति दयनीय हो चुकी है. इसके बारे में आला-आधिकारियों को आवेदन दिया जा चुका है, लेकिन अब तक इस ओर कोई पहल नहीं की गई है. बच्चों के अभिभावक स्कूल की स्थिति को देखते हुए बच्चों को पढ़ने भेजने से डर रहे हैं. प्रशासन से नए भवन की मांग कर रहे हैं.