जांजगीर चाम्पा : एक ओर मरीज इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र के चक्कर काट रहा है. वहीं डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी छोड़कर इधर-उधर के कामों में बिजी नजर आए. जब ETV भारत की टीम ने अस्पताल के स्टाफ को उसकी गलती का एहसास करया तो, वो अपनी गलती को सुधारने के बजाय हमारी टीम पर ही आरोप लगाने लगे.
दरअसल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ति साथ ही 50 बिस्तर वाले मातृ-शिशु अस्पताल में लापरवाही देखने को मिली. जिस वक्त डॉक्टर, नर्स और समस्त स्टाफ को मरीजों का ध्यान रखना चाहिए उस वक्त पूरा स्टॉफ हॉस्पिटल परिसर में गप्पे लड़ाते नजर आया.
बिजली का भी दुरूपयोग
लापरवाही का आलम यही नहीं नहीं रुका. हॉस्पिटल में बिजली का भी दुरूपयोग किया जा रहा था. हॉस्पिटल के कमरों में न तो मरीज थे न ही कोई और शख्स लेकिन लाइट और पंखे सभी चालू थे. इस लापरवाही पर जब अस्पताल के चौकीदार से हमने बात की तो वह गोलमोल जवाब देते नजर आए. उनका कहना था कि 'अस्पताल में मरीज कम हैं और मातृ शिशु अस्पताल में मरीज भर्ती हैं. अस्पताल के चौकीदार के साथ हम जब महिला वार्ड पहुंचे जहां मरीजों के लिए न तो चादर थी और न ही तकिया. इसके साथ ही मरीज के परिजन ने अस्पताल में कूलर नहीं होने का आरोप लगाया.
50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल
वहीं परिजनों ने आरोप लगाया कि, दोपहर में पंखा बंद कर दिया जाता है, जिसकी वजह से उन्हें तकलीफ होती है. कहने को तो यह 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल है जहां सेंट्रल लाइन AC लगा हुआ है लेकिन हालात बद से भी बदतर है. गर्मी और उमस के बीच मां और बच्चे यहां रहने को मजबूर हैं. वहीं जब हमने नर्स से बात कि तो उसने गोलमोल जवाब दिया. कुल मिलाकर कहा जाए तो यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है.
बीएमओ भी करने लगे सवाल-जवाब
ईटीवी भारत की टीम ने जब खबर का कवरेज किया तो वहां के कर्मचारी हमारी टीम पर भड़क गए. इस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने हमारी टीम के हाथ से कैमरा छीनने की भी कोशिश की. सारी घटना की जानकारी जब अस्पताल के बीएमओ को लगी तो मौके पर पहुंच कर वे स्टाफ की गलतियों को सुधारने के बजाए खुद मीडियाकर्मियों से सवाल जवाब करने लगे. अब देखना यह होगा कि, स्वास्थ्य विभाग मामले में क्या कार्रवाई करता है.