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जांजगीर: ETV भारत की टीम से बदसलूकी, अस्पताल की बदहाली के कवरेज के दौरान कैमरा छीनने की कोशिश - ETV भारत की टीम से बदसलूकी

यूं तो छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य योजना के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. साथ ही स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लिए तमाम प्रयास भी किए जा रहे हैं. लेकिन आलम यह है कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ही अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही बरत कर काम में पालीता लगा रहे हैं.

ETV भारत की टीम से बदसलूकी
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Published : Jun 15, 2019, 8:18 AM IST

Updated : Jun 15, 2019, 12:51 PM IST

जांजगीर चाम्पा : एक ओर मरीज इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र के चक्कर काट रहा है. वहीं डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी छोड़कर इधर-उधर के कामों में बिजी नजर आए. जब ETV भारत की टीम ने अस्पताल के स्टाफ को उसकी गलती का एहसास करया तो, वो अपनी गलती को सुधारने के बजाय हमारी टीम पर ही आरोप लगाने लगे.

ETV भारत की टीम से बदसलूकी

दरअसल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ति साथ ही 50 बिस्तर वाले मातृ-शिशु अस्पताल में लापरवाही देखने को मिली. जिस वक्त डॉक्टर, नर्स और समस्त स्टाफ को मरीजों का ध्यान रखना चाहिए उस वक्त पूरा स्टॉफ हॉस्पिटल परिसर में गप्पे लड़ाते नजर आया.

बिजली का भी दुरूपयोग
लापरवाही का आलम यही नहीं नहीं रुका. हॉस्पिटल में बिजली का भी दुरूपयोग किया जा रहा था. हॉस्पिटल के कमरों में न तो मरीज थे न ही कोई और शख्स लेकिन लाइट और पंखे सभी चालू थे. इस लापरवाही पर जब अस्पताल के चौकीदार से हमने बात की तो वह गोलमोल जवाब देते नजर आए. उनका कहना था कि 'अस्पताल में मरीज कम हैं और मातृ शिशु अस्पताल में मरीज भर्ती हैं. अस्पताल के चौकीदार के साथ हम जब महिला वार्ड पहुंचे जहां मरीजों के लिए न तो चादर थी और न ही तकिया. इसके साथ ही मरीज के परिजन ने अस्पताल में कूलर नहीं होने का आरोप लगाया.

50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल
वहीं परिजनों ने आरोप लगाया कि, दोपहर में पंखा बंद कर दिया जाता है, जिसकी वजह से उन्हें तकलीफ होती है. कहने को तो यह 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल है जहां सेंट्रल लाइन AC लगा हुआ है लेकिन हालात बद से भी बदतर है. गर्मी और उमस के बीच मां और बच्चे यहां रहने को मजबूर हैं. वहीं जब हमने नर्स से बात कि तो उसने गोलमोल जवाब दिया. कुल मिलाकर कहा जाए तो यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है.

बीएमओ भी करने लगे सवाल-जवाब
ईटीवी भारत की टीम ने जब खबर का कवरेज किया तो वहां के कर्मचारी हमारी टीम पर भड़क गए. इस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने हमारी टीम के हाथ से कैमरा छीनने की भी कोशिश की. सारी घटना की जानकारी जब अस्पताल के बीएमओ को लगी तो मौके पर पहुंच कर वे स्टाफ की गलतियों को सुधारने के बजाए खुद मीडियाकर्मियों से सवाल जवाब करने लगे. अब देखना यह होगा कि, स्वास्थ्य विभाग मामले में क्या कार्रवाई करता है.

जांजगीर चाम्पा : एक ओर मरीज इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र के चक्कर काट रहा है. वहीं डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी छोड़कर इधर-उधर के कामों में बिजी नजर आए. जब ETV भारत की टीम ने अस्पताल के स्टाफ को उसकी गलती का एहसास करया तो, वो अपनी गलती को सुधारने के बजाय हमारी टीम पर ही आरोप लगाने लगे.

ETV भारत की टीम से बदसलूकी

दरअसल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ति साथ ही 50 बिस्तर वाले मातृ-शिशु अस्पताल में लापरवाही देखने को मिली. जिस वक्त डॉक्टर, नर्स और समस्त स्टाफ को मरीजों का ध्यान रखना चाहिए उस वक्त पूरा स्टॉफ हॉस्पिटल परिसर में गप्पे लड़ाते नजर आया.

बिजली का भी दुरूपयोग
लापरवाही का आलम यही नहीं नहीं रुका. हॉस्पिटल में बिजली का भी दुरूपयोग किया जा रहा था. हॉस्पिटल के कमरों में न तो मरीज थे न ही कोई और शख्स लेकिन लाइट और पंखे सभी चालू थे. इस लापरवाही पर जब अस्पताल के चौकीदार से हमने बात की तो वह गोलमोल जवाब देते नजर आए. उनका कहना था कि 'अस्पताल में मरीज कम हैं और मातृ शिशु अस्पताल में मरीज भर्ती हैं. अस्पताल के चौकीदार के साथ हम जब महिला वार्ड पहुंचे जहां मरीजों के लिए न तो चादर थी और न ही तकिया. इसके साथ ही मरीज के परिजन ने अस्पताल में कूलर नहीं होने का आरोप लगाया.

50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल
वहीं परिजनों ने आरोप लगाया कि, दोपहर में पंखा बंद कर दिया जाता है, जिसकी वजह से उन्हें तकलीफ होती है. कहने को तो यह 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल है जहां सेंट्रल लाइन AC लगा हुआ है लेकिन हालात बद से भी बदतर है. गर्मी और उमस के बीच मां और बच्चे यहां रहने को मजबूर हैं. वहीं जब हमने नर्स से बात कि तो उसने गोलमोल जवाब दिया. कुल मिलाकर कहा जाए तो यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है.

बीएमओ भी करने लगे सवाल-जवाब
ईटीवी भारत की टीम ने जब खबर का कवरेज किया तो वहां के कर्मचारी हमारी टीम पर भड़क गए. इस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारियों ने हमारी टीम के हाथ से कैमरा छीनने की भी कोशिश की. सारी घटना की जानकारी जब अस्पताल के बीएमओ को लगी तो मौके पर पहुंच कर वे स्टाफ की गलतियों को सुधारने के बजाए खुद मीडियाकर्मियों से सवाल जवाब करने लगे. अब देखना यह होगा कि, स्वास्थ्य विभाग मामले में क्या कार्रवाई करता है.

Intro:जांजगीर चाम्पा:- यूं तो छत्तीसगढ़ सरकार स्वास्थ्य योजना के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं स्वास्थ्य सुविधा बेहतर हो इसके लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं लेकिन सरकार की इन योजनाओं की पलीता वहां के अधिकारी कर्मचारी ही लगा रहे हैं ।जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ति साथ ही 50 बिस्तर वाला मातृ शिशु अस्पताल अब भगवान भरोसे चल रहा है । यहां के अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के लगातार आरोप लग रहे थे रात्रि कालीन में मरीजों को भटकना पड़ता है यह सूचना मिलने पर ईटीवी भारत ने पड़ताल की पड़ताल के दौरान पता चला कि यहां के नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर अपने आप में मगन रहते हैं उन्हें मरीजों की परवाह नहीं है यह कि नर्सिंग स्टाफ अपने ड्यूटी रूम को छोड़कर अस्पताल के बाहर गप्पे लड़ाते नजर आ रहे हैं।


Body:जब ईटीवी भारत की टीम रात 11:11 बजे समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सक्ति पहुंची। गाड़ी से बैठकर वो अस्पताल का पहले तो नजारा देख रहे थे क्योंकि अस्पताल परिसर के बाहर मौजूदा वाटर एटीएम के पास नर्सिंग स्टाफ आया बाई चौकीदार वहां पर बैठकर गप्पे लगा रहे थे। लगभग 45 मिनट तक वहां के स्टाफ अंतर्गत पर लगाते हैं नजर आए उसके बाद ईटीवी भारत संवाददाता ने अस्पताल के वार्ड और ड्यूटी रूम की जायजा लेने के लिए जब अपने कैमरे और आईडी निकालें उसके बाद नर्सिंग स्टाफ हरकत में आते ही अपनी अपनी जगह चलते बने। लेकिन अस्पताल परिसर के अंदर एक और व्यवस्था देखने को मिली यहां कई जगह बेफिजूल के पंखे और कूलर चलते नजर आए जहां बिजली का दुरुपयोग होता हुआ नजर आया। वही पड़ताल में पता चला कि ना तो नर्सिंग ड्यूटी रूम में नर्सिंग स्टाफ मौजूद थे आपातकालीन वार्ड में कचरा पड़ा हुआ था तो वही डॉक्टर साहब भी अपनी ड्यूटी रूम से नदारद रहे वहीं अस्पताल के चौकीदार से जब हमने बात की तो वह गोलमोल जवाब देते हुए नजर आए ईटीवी भारत की टीम ने उन्हें कहा कि वह अस्पताल के वार्डो को दिखाएं तो उनका कहना था कि अस्पताल में मरीज कम है और मातृ शिशु अस्पताल में मरीज भर्ती हैं अस्पताल के चौकीदार के साथ हम जब महिला वार्ड पहुंचे जहां मरीजों के लिए ना तो चादर थी ना ही तकिया ना ही मरीजों के लिए कूलर की व्यवस्था यह आरोप मरीज के परिजन ही लगा रहे थे वहीं परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि दोपहर के समय पर भी यहां का पंखा बंद कर दिया जाता है जिसकी वजह से उन्हें गर्मी का सामना करना पड़ता है ना तो वातानुकूलित नवजात शिशुओं के लिए कक्ष। कहने को तो यह 50 बिस्तरों वाला मातृ शिशु अस्पताल है जहां सेंट्रल लाइन इसी लगा हुआ है मगर हालात बद से बदतर था गर्मी और उमस के बीच मां और उसके बच्चे रहने पर मजबूर हो रहे थे। वहीं जब हमने सिस्टर से बात की तो उनका भी जवाब गोलमोल नजर आ रहा था कुल मिलाकर कहा जाए तो यह अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है।


Conclusion:वह जब ईटीवी भारत संवाददाता ने स्टाफ के सारे कारनामों को और मरीज के परिजनों के अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए आरोप की खबर को कवरेज किया तो उसी दौरान वहां के कर्मचारी मीडिया कर्मियों पर ही भड़क गए और कहने लगे कि किसकी अनुमति से आए हो साथ ही साथ कैमरे को भी छीनने की कोशिश किये साथ कि साथ यह भी धमकी दे डाली कि अगर खबर चलाए तो हम महिला स्टाफ हैं तुम्हारे ऊपर छेड़खानी का केस भी दर्ज कर सकते हैं। वहीं मामले की जानकारी मिलने पर बीएमओ पहुंचे जो अपनी गलती मानने साथ ही अस्पताल की व्यवस्था को ठीक करने के बजाय वह खुद मीडिया कर्मियों से सवाल जवाब करना शुरू कर दिए। इससे साफ जाहिर होता है और ये वाक्या फिट बैठता है जब सैंया भए कोतवाल तो काहे का डर। खैर मीडिया ने तो अपना काम कर दिया अब जिम्मेदारों की बारी है कि लापरवाह डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ के ऊपर क्या कार्यवाही करते हैं। या फिर यूं ही अस्पताल भगवान भरोसे चलेगा और मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होगा।
Last Updated : Jun 15, 2019, 12:51 PM IST
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