जांजगीर-चांपा: ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्यों के लिए स्वीकृत राशि का गबन करने वाले एक आरोपी को पुलिस ने 6 साल बाद गिरफ्तार किया है. उसे उसके घर से पुलिस ने पकड़ा है. आरोपी का नाम वीरेन्द्र उपाध्याय है. वह डाटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर काम करता था. उस पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज है, लेकिन वह 6 साल से पुलिस को चकमा दे रहा था. फिलहाल कोर्ट ने उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है.
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मालखरौदा जनपद पंचायत के अंतर्गत साल 2014-15 में ग्राम पंचायत देवगांव में मनरेगा ( महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना ) के अंतर्गत कुल 11 कार्यों के लिए लगभग एक करोड़ चार लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन बाद में इन कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एलएन बंजारे, तकनीकी समन्वयक अनुज कुमार भार्गव, तकनीकी सहायक विजय सतपथी, सहायक प्रोग्रामर आदित्य कौशिश, डाटा एन्ट्री ऑपरेटर वीरेन्द्र उपाध्याय, सचिव सागर दास वैष्णव और रोजगार सहायक श्याम दुलारी पर कार्य के फर्जी मस्टररोल तैयार करने और फर्जी सामाग्री का बिल लगाकर शासकीय राशि का आहरण कर गबन करने का आरोप है.
जांच में 48 लाख का गबन
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के आदेशानुसार गठित जांच टीम ने ग्राम पंचायत देवगांव में मनरेगा के तहत किए गए कार्य में हुई अनियमितता की जांच की. जांच में पाया कि निर्माण कार्य के लिए स्वीकृत राशि में से 48 लाख से अधिक राशि का बिना कार्य कराए अधिक काम दिखाकर मूल्याकंन कर गबन किया गया. जिसके बाद पुलिस ने तत्काल आरोपी सागर दास वैष्णव, श्याम दुलारी और विजय कुमार सतपथी को गिरफ्तार किया था. वहीं डाटा एंट्री ऑपरेटर वीरेन्द्र उपाध्याय फरार था.