बस्तर: बस्तर के केशापुर, गुच्छगुड़ा पारा और लेंडरा में जल संकट की ग्रामीण जूझ रहे हैं. (drinking water Problem) इन्हें कई वर्षों से पीने का साफ पानी नहीं मिल पाया है. ये इलाका जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. लेकिन फिर भी अब तक जिम्मेदारों ने इस इलाके के निवासियों की सुध नहीं ली है.
इस इलाके में जल विभाग ने 3 हैंडपंप लगाए हैं. लेकिन तीनों हैंडपंप से आयरन वाला पानी आता है. जिससे लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. पेजयल के लिए कोई और साधन नहीं है लिहाजा ग्रामीणों को आयरन वाला पानी पीना पड़ रहा है. जिससे उनके दांत काले पड़ रहे हैं. (rural areas of Bastar )
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नल-जल योजना का नहीं मिल रहा लाभ
समस्या से निपटने के लिए सरपंच सचिव ने पांच साल पहले इलाके में नल-जल योजना (tap water scheme) के तहत पाइप लाइन बिछाई थी. लेकिन पांच साल बाद भी इस योजना से ग्रामीणों को कोई फायदा नहीं हुआ. अब यह योजना भ्रष्टाचार की वजह से खटाई में पड़ गई है. इससे पहले यहां के विधायक बीजेपी के संतोष बाफना थे. उनके सामने कई बार इस समस्या का जिक्र किया गया था. लेकिन यह समस्या जस के तस बनी रही.
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पेयजल संकट बरकरार
अब कांग्रेस विधायक रेखचंद जैन (Congress MLA Rekhchand Jain) के सामने ग्रामीणों ने लाइट और पानी की समस्या रखी है. बिजली की समस्या का समाधान तो हुआ. लेकिन पेयजल संकट का समाधान अब तक नहीं निकला है. लोगों को पीने के पानी के लिए टैंकर मंगाना पड़ता है. अब तो यहां के लोगों का कहना है कि कोरोना से भले मरे नहीं मरे. लेकिन जल संकट से मर जाएंगे.
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समस्या के समाधान का इंतजार कर रहे ग्रामीण
फिलहाल इस पूरे मामले में बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने कहा है कि जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत लगातार जिला प्रशासन ग्रामीणों तक रनिंग वाटर पहुंचाने का काम कर रहा है. उन्होंने लाल पानी की समस्या को जल्द ठीक करने की बात कही है. बस्तर के केशापुर, गुच्छगुड़ा पारा और लेंडरा में आयरन युक्त पानी की समस्या बीते पांच वर्षों से ज्यादा समय से लोग झेल रहे हैं. लगातार अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों से यहां के लोगों ने गुहार लगाई है. अब देखना है कि इनकी समस्या का समाधान कब होता है.