जगदलपुर: बस्तर के शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय (Mahendra Karma University of Bastar) में आगामी सत्र से ट्राइबल आर्ट कोर्स (Tribal Arts course) की पढ़ाई शुरू होगी. यूनिवर्सिटी को कार्यपरिषद ने इसकी मंजूरी दे दी है. ट्राइबल आर्ट में डिप्लोमा (Diploma Course in Tribal Art) कोर्स की पढ़ाई होगी. जिसकी शुरुआत सत्र 2021-22 से हो जाएगी. अगस्त महीने के बाद दाखिला शुरू किया जाएगा , इस कोर्स में 60 छात्र-छात्राएं एडमिशन ले सकेंगे. इस विषय की पढ़ाई शुरू होने से बस्तर की जनजातीय, कला और परम्परा को नया प्लेटफार्म मिलेगा. कला संरक्षण के साथ स्वरोजगार और उद्यम के नए अवसर पैदा होंगे.
महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में इस कोर्स की शुरुआत करने के लिए सबंधित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू कर दी है गई है. ट्राइबल आर्ट कोर्स में बस्तर की कला ,संस्कृति, नृत्य और परंपरा पर विषय तैयार किये गए हैं. सिर्फ इन्हीं बिंदुओं पर फोकस होगा.
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बस्तर की परंपरा को शिक्षा जगत में मिलेगी पहचान
बस्तर की कला संस्कृति (Art of Bastar) और परंपरा विश्व विख्यात है (Tradition of Bastar) आदिवासियों का रहन सहन और आदिवासियों की कारीगरी पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुकी है. लंबे समय से यह मांग की जा रही थी कि जगदलपुर में स्थित महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में बस्तर की जनजातीय, कला ,संस्कृति पर एक डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की जाए. ताकि बस्तर के अधिकतर छात्र-छात्राओं को इस डिप्लोमा कोर्स को पूरा करने के बाद रोजगार मिल सके. साथ ही बस्तर की इस सभी वस्तु विशेष की जानकारी आने वाली पीढ़ियों को भी मिल सके. इस उद्देश्य से ट्राइबल आर्ट कोर्स की शुरुआत इस यूनिवर्सिटी में की गई है.
कार्यपरिषद से बस्तर ट्राइबल आर्ट्स कोर्स को मिली मंजूरी
महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह (Shailendra Kumar Singh Vice Chancellor of Mahendra Karma University) ने जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में हुए कार्यपरिषद की बैठक में महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में ट्राइबल आर्ट कोर्स (Tribal Arts course)की शुरू करने की मंजूरी मिल गई है. 60 सीटों वाली यह डिप्लोमा कोर्स की अवधि तीन साल निर्धारित की गई है. इसमें बस्तर की कला, संस्कृति जनजातियों और परंपराओं समेत बस्तर में मनाए जाने वाले तीज त्योहारों के विषय पर कक्षाएं संचालित की जाएंगी. इसके लिए शिक्षकों की भी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है.
इस कोर्स की पढ़ाई से बस्तर के युवाओं को मिलेगा रोजगार
कुलपति ने बताया कि बस्तर की कला संस्कृति और व्यंजन समेत यहां की जनजातीय विशेषताएं विश्व विख्यात (world famous bastar art) है. बस्तर की इन सभी खूबियों का अध्ययन युवा कर सकेंगे. जिससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा. महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के वर्तमान पाठ्यक्रम में डिप्लोमा कोर्स के 5 पेपर रखे गए हैं. इनमें से तीन सैद्धांतिक और दो प्रायोगिक होंगे. थ्यौरी पेपर में भारत में जनजातीय कला का ऐतिहासिक विकास , जनजातीय कला और शिल्प, बस्तर की जनजाति कला और शिल्प शामिल है. वहीं चौथा पेपर क्षेत्र कार्य का होगा, यह प्रायोगिक पेपर सभी के लिए अनिवार्य किया गया है और पांचवा पेपर भी प्रायोगिक होगा.
बस्तर कलेक्टर ने रजत बंसल (Bastar Collector Rajat Bansal) कहा कि डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से बस्तर के अधिक छात्र-छात्राएं बस्तर की कला ,संस्कृति और जनजातीय पर अध्ययन कर पाएंगे. साथ ही डिप्लोमा कोर्स को पूरा करने के बाद इन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे. यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि बस्तर की जनजातीय कला को अध्ययन का विषय बना लिया गया है. इस कोर्स में आदिवासी कला के तहत शामिल मिट्टी शिल्प,लौह शिल्प, चित्रकारी आदि को शामिल किया जा रहा है. महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय ने इस अनुसार ही पाठ्यक्रम निर्धारित करने का फैसला लिया है. पाठ्यक्रम निर्माण का काम अंतिम चरण में है. जो जल्द ही पूरा हो जाएगा.