जगदलपुर: बस्तर में कुपोषण एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है. जिले में लगातार कुपोषित बच्चों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. शहर के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी कुपोषण ने बच्चों को जकड़ रखा है और जिला प्रशासन कुपोषण के बढ़ते आंकड़े को रोक पाने में नाकामयाब साबित हो रहा है.
7 हजार बच्चे गंभीर कुपोषित
आंकड़ों की बात करें तो जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 70 हजार बच्चे पंजीकृत हैं, जिनमें से 24 हजार बच्चे कुपोषित हैं. वहीं 7 हजार बच्चे गंभीर कुपोषित की श्रेणी में हैं, जिन्हें एनआरसी सेंटर में रखा गया है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि बच्चों को पोषित करने के लिए शासन की ढेरों योजनाएं सिर्फ कागजों में ही पूरी हो रही हैं.
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लगातार बढ़ रहा आंकड़ा
हर साल कुपोषण पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करने वाली सरकार के सारे दावे बस्तर में खोखले साबित हो रहे हैं. जिले में कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. इस वजह से हर साल कुपोषण का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है.
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आंगनबाड़ी केन्द्रों में संचालित हो रही योजनाएं
जिले के महिला बाल विकास अधिकारी बताते हैं कि बस्तर में कुपोषण की समस्या को रोकने के लिए शासन द्वारा 14 से ज्यादा योजनाएं आंगनबाड़ी केन्द्रों में संचालित हो रही हैं. साथ ही कुपोषित बच्चों को पोषित करने के लिए जिले में 6 जगहों पर एनआरसी सेंटर संचालित हैं. यहां बच्चों के लिए खाने पीने और दवाई की व्यवस्था की गई है.