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झीरम घाटी हमले की बरसी: 6 साल में कितनी बदली घाटी, कितना बदले लोग - congress

दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आतंक से शांत होता दिख रहा है. कल तक जहां नक्सलियों का खौफ देखा जाता था आज वहीं के ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. नक्सली दहशत से बेखौफ ग्रामीण अब विकास की बात करने लगे हैं.

बस्तर आईजी
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Published : May 8, 2019, 9:47 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुरः 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के बाद नक्सली इस इलाके में दहशत फैलाने में कामयाब हुए थे , लेकिन साल 2017 के बाद से झीरम घाटी में नक्सली बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इस घटना में शामिल कई नक्सली लीडर या तो मारे गए या गायब हो गए. कई ने पुलिस के सामने सरेंडर भी किया है.

झीरम घाटी हमले के 5 साल बाद कितना बदला बस्तर

दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आतंक से शांत होता दिख रहा है. कल तक जहां नक्सलियों का खौफ देखा जाता था, आज वहीं के ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. नक्सली दहशत से बेखौफ ग्रामीण अब विकास की बात करने लगे हैं.

कई नक्सली मुख्यधारा से जुड़े
बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि बीते 2 वर्षों में झीरम हमले में शामिल डीवीसीसीएम से लेकर एरिया कमेटी मेंबर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के कई बड़े नक्सली मारे गए हैं. वहीं कई नक्सली पुलिस के सामने घुटने टेक मुख्यधारा से जुड़ गए हैं.

बैकफुट पर आए नक्सली
नक्सलियों के नेतृत्व क्षमता में कमी के चलते अब नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर आ गए हैं. नक्सलियों को एक-दो वर्षों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसका उल्लेख नक्सलियों ने अपने साहित्य और अपने प्रेस नोट में भी किया है.

मारा गया कैलाश
आईजी ने बताया कि नक्सलियों का लीडर वीलास उर्फ कैलाश भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. कैलाश की किसी समय में मारडूम और बारसूर इलाके में काफी दहशत थी. लोग डर के चलते गांव में खड़े होने से कतराते थे, लेकिन विलास के मारे जाने के बाद दरभा एरिया कमेटी के कई बड़े नक्सलियों को जहां पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कई नक्सली डर के चलते खुद ही सरेंडर कर दिए.

नक्सल समस्या अब भी है चैलेंज
हालांकि आईजी ने कहा की बस्तर रेंज में अब भी नक्सल समस्या सबसे बड़ा चैलेंज है. बस्तर में शांति स्थापित ना हो, इसके लिए नक्सली विकास का विरोध कर शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्रों को बनने नहीं दे रहे हैं, जिनसे नक्सली अपना शासन चला सकें, लेकिन पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर जगह-जगह पुलिस कैंप खोल रही है. इसका फायदा देखने को मिल रहा है.

सक्रिय होने कर रहे कोशिश
साल 2013 की घटना के बाद नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब कमजोर होते नजर आ रहे हैं. हालांकि दरभा डिवीजन के नक्सली अपने कमांडर के साथ ही कैडर आदि को भी बदल रहे हैं और फिर से इस इलाके के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं.

बीते 2 वर्ष में बस्तर पुलिस को मिली सफलता
आंकड़ों पर नजर डालें तो बस्तर पुलिस ने साल 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया, 1016 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, 368 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 197 हथियार बरामद किए गए, 276 आईडी जब्त की गई. वहीं 27 ऑटोमेटिक हथियार भी बरामद हुए हैं.

वहीं साल 2018 में पुलिस ने 112 नक्सलियों को मार गिराया, 1134 गिरफ्तार किए गए, 462 नक्सलियों ने सरेंडर किया, 212 हथियार बरामद किए गए, 317 आईईडी जब्त की गई, साथ ही 33 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किया गया है.

झीरम घटना में शामिल नक्सली भी मारे गए
इस कार्रवाई की सबसे खास बात यह रही कि 2 वर्षों में 85 इनामी नक्सली मारे गए, जिनके ऊपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित था. वहीं झीरम घाटी हमले को अंजाम देने वाले नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो आदि बड़े नक्सली कैडर मारे जा चुके हैं.

जगदलपुरः 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के बाद नक्सली इस इलाके में दहशत फैलाने में कामयाब हुए थे , लेकिन साल 2017 के बाद से झीरम घाटी में नक्सली बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इस घटना में शामिल कई नक्सली लीडर या तो मारे गए या गायब हो गए. कई ने पुलिस के सामने सरेंडर भी किया है.

झीरम घाटी हमले के 5 साल बाद कितना बदला बस्तर

दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आतंक से शांत होता दिख रहा है. कल तक जहां नक्सलियों का खौफ देखा जाता था, आज वहीं के ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. नक्सली दहशत से बेखौफ ग्रामीण अब विकास की बात करने लगे हैं.

कई नक्सली मुख्यधारा से जुड़े
बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि बीते 2 वर्षों में झीरम हमले में शामिल डीवीसीसीएम से लेकर एरिया कमेटी मेंबर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के कई बड़े नक्सली मारे गए हैं. वहीं कई नक्सली पुलिस के सामने घुटने टेक मुख्यधारा से जुड़ गए हैं.

बैकफुट पर आए नक्सली
नक्सलियों के नेतृत्व क्षमता में कमी के चलते अब नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर आ गए हैं. नक्सलियों को एक-दो वर्षों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसका उल्लेख नक्सलियों ने अपने साहित्य और अपने प्रेस नोट में भी किया है.

मारा गया कैलाश
आईजी ने बताया कि नक्सलियों का लीडर वीलास उर्फ कैलाश भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. कैलाश की किसी समय में मारडूम और बारसूर इलाके में काफी दहशत थी. लोग डर के चलते गांव में खड़े होने से कतराते थे, लेकिन विलास के मारे जाने के बाद दरभा एरिया कमेटी के कई बड़े नक्सलियों को जहां पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कई नक्सली डर के चलते खुद ही सरेंडर कर दिए.

नक्सल समस्या अब भी है चैलेंज
हालांकि आईजी ने कहा की बस्तर रेंज में अब भी नक्सल समस्या सबसे बड़ा चैलेंज है. बस्तर में शांति स्थापित ना हो, इसके लिए नक्सली विकास का विरोध कर शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्रों को बनने नहीं दे रहे हैं, जिनसे नक्सली अपना शासन चला सकें, लेकिन पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर जगह-जगह पुलिस कैंप खोल रही है. इसका फायदा देखने को मिल रहा है.

सक्रिय होने कर रहे कोशिश
साल 2013 की घटना के बाद नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब कमजोर होते नजर आ रहे हैं. हालांकि दरभा डिवीजन के नक्सली अपने कमांडर के साथ ही कैडर आदि को भी बदल रहे हैं और फिर से इस इलाके के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं.

बीते 2 वर्ष में बस्तर पुलिस को मिली सफलता
आंकड़ों पर नजर डालें तो बस्तर पुलिस ने साल 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया, 1016 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, 368 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 197 हथियार बरामद किए गए, 276 आईडी जब्त की गई. वहीं 27 ऑटोमेटिक हथियार भी बरामद हुए हैं.

वहीं साल 2018 में पुलिस ने 112 नक्सलियों को मार गिराया, 1134 गिरफ्तार किए गए, 462 नक्सलियों ने सरेंडर किया, 212 हथियार बरामद किए गए, 317 आईईडी जब्त की गई, साथ ही 33 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किया गया है.

झीरम घटना में शामिल नक्सली भी मारे गए
इस कार्रवाई की सबसे खास बात यह रही कि 2 वर्षों में 85 इनामी नक्सली मारे गए, जिनके ऊपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित था. वहीं झीरम घाटी हमले को अंजाम देने वाले नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो आदि बड़े नक्सली कैडर मारे जा चुके हैं.

Intro:जगदलपुर । 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नरसंहार में जहां कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ ही 31 लोग मारे थे । वहीं इस इलाके में नक्सलियों ने अपनी बड़ी छाप छोड़ी थी लेकिन साल 2017 के बाद इसी झीरम घाटी में नक्सली अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। झीरम घाटी में हमला करने वाले कई नक्सली लीडर तो मारे गए जबकि कई नक्सली पुलिस के डर के चलते बैकफुट पर आ गए थे और इसी डर के चलते उन्होंने सरेंडर कर दिया । आज दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आतंक से शांत होता नजर आ रहा है। क्योंकि कल तक जहां नक्सलियों का खौफ देखा जाता था आज वही के ग्रामीण नक्सलियों के विरुद्ध खड़े होकर अपने क्षेत्रों में विकास की गुहार लगा रहे हैं।


Body:वो1- बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 2 वर्षों में झीरम हमले में शामिल डीवीसीसीएम से लेकर एरिया कमेटी मेम्बर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के जहां बड़े नक्सली मारे गए हैं। वही इस इलाके में सक्रिय कई नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष घुटने टेक दिए हैं और सरकार के मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। नक्सलियों के नेतृत्व कर्ताओं में कमी होने के चलते अब नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर आ गए हैं। नक्सलियों को एक-दो वर्षों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। जिसका उल्लेख नक्सलियों ने अपने साहित्य और अपने द्वारा जारी प्रेस नोट में भी किया है । नक्सलियों को लीडरशिप करने वाला वीलास उर्फ कैलाश भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है। कैलाश कि किसी समय में मारडूम और बारसूर इलाकों में काफी दहशत थी, लोग डर के चलते गांव में खड़े होने से कतराते थे । लेकिन विलास के मारे जाने के बाद नक्सलियों पर पुलिस का दबाव लगातार बनता गया। दरभा एरिया कमेटी के कई महत्वपूर्ण नक्सलियों को जहां पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कई नक्सली डर के चलते खुद ही सरेंडर कर दिए। इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीण कल तक थाने आने में काफी कतराते थे लेकिन आज अपने गांव के विकास के लिए पुलिस के साथ खड़े होकर नक्सलियों का विरोध करने के साथ ही उनके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हालाँकि बस्तर आईजी ने कहा की बस्तर रेंज में अब भी नक्सल समस्या सबसे बड़ा चैलेंज है नक्सलियों द्वारा बस्तर में शांति स्थापित ना हो इसके लिए विकास का विरोध कर शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्रों को बनने नहीं दे रहे हैं । जिनसे यह क्षेत्र अविकसित रहे और नक्सली अपना शासन चला सके। लेकिन पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर जगह जगह पुलिस कैम्प खोल रही है। और उसका परिसाद देखने को भी मिल रहा है। 2013 की घटना के बाद से पुलिस द्वारा चलाई गई नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब कमजोर होते नजर आ रहे हैं। हालांकि दरभा डिवीजन के नक्सली अपने कमांडर के साथ ही कैडर आदि को भी बदल रहे हैं । और फिर से इस इलाके के कुछ क्षेत्र में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन पुलिस द्वारा इन क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए किए गए विकास कार्यों के चलते अब ग्रामीण पुलिस के साथ हैं और दरभा इलाके में नक्सलियों का भी सक्रिय होना मुश्किल होता जा रहा है।

बाईट1- विवेकानंद सिन्हा, आईजी बस्तर
बाईट2-विवेकानंद सिन्हा, आईजी बस्तर

बीते 2 वर्षो में बस्तर पुलिस को मिली सफलता

बस्तर पुलिस ने 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया । 1016 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया । 368 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। 197 हथियार बरामद किए गए। 276 आईडी जप्त किए गए । 27 ऑटोमेटिक हथियार बरामद की गई। वही 2018 में 112 नक्सली मारे गए । 1134 गिरफ्तार किए गए। 462 सरेंडर किए गए। 212 हथियार बरामद किए गए। 317 आईईडी जप्त की गई । 33 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किया गया। इस कार्रवाई की सबसे खास बात यह रही कि 2 वर्षों में 85 ईनामी नक्सली मारे गए हैं । जिनके ऊपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित किया गया था। वही झीरमघाटी घटना को अंजाम देने वाले, नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो आदि बड़े नक्सली कैडर मारे जा चुके हैं।


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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