जगदलपुरः 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के बाद नक्सली इस इलाके में दहशत फैलाने में कामयाब हुए थे , लेकिन साल 2017 के बाद से झीरम घाटी में नक्सली बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. इस घटना में शामिल कई नक्सली लीडर या तो मारे गए या गायब हो गए. कई ने पुलिस के सामने सरेंडर भी किया है.
दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आतंक से शांत होता दिख रहा है. कल तक जहां नक्सलियों का खौफ देखा जाता था, आज वहीं के ग्रामीण नक्सलियों के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. नक्सली दहशत से बेखौफ ग्रामीण अब विकास की बात करने लगे हैं.
कई नक्सली मुख्यधारा से जुड़े
बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि बीते 2 वर्षों में झीरम हमले में शामिल डीवीसीसीएम से लेकर एरिया कमेटी मेंबर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के कई बड़े नक्सली मारे गए हैं. वहीं कई नक्सली पुलिस के सामने घुटने टेक मुख्यधारा से जुड़ गए हैं.
बैकफुट पर आए नक्सली
नक्सलियों के नेतृत्व क्षमता में कमी के चलते अब नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर आ गए हैं. नक्सलियों को एक-दो वर्षों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसका उल्लेख नक्सलियों ने अपने साहित्य और अपने प्रेस नोट में भी किया है.
मारा गया कैलाश
आईजी ने बताया कि नक्सलियों का लीडर वीलास उर्फ कैलाश भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. कैलाश की किसी समय में मारडूम और बारसूर इलाके में काफी दहशत थी. लोग डर के चलते गांव में खड़े होने से कतराते थे, लेकिन विलास के मारे जाने के बाद दरभा एरिया कमेटी के कई बड़े नक्सलियों को जहां पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कई नक्सली डर के चलते खुद ही सरेंडर कर दिए.
नक्सल समस्या अब भी है चैलेंज
हालांकि आईजी ने कहा की बस्तर रेंज में अब भी नक्सल समस्या सबसे बड़ा चैलेंज है. बस्तर में शांति स्थापित ना हो, इसके लिए नक्सली विकास का विरोध कर शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्रों को बनने नहीं दे रहे हैं, जिनसे नक्सली अपना शासन चला सकें, लेकिन पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर जगह-जगह पुलिस कैंप खोल रही है. इसका फायदा देखने को मिल रहा है.
सक्रिय होने कर रहे कोशिश
साल 2013 की घटना के बाद नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब कमजोर होते नजर आ रहे हैं. हालांकि दरभा डिवीजन के नक्सली अपने कमांडर के साथ ही कैडर आदि को भी बदल रहे हैं और फिर से इस इलाके के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं.
बीते 2 वर्ष में बस्तर पुलिस को मिली सफलता
आंकड़ों पर नजर डालें तो बस्तर पुलिस ने साल 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया, 1016 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, 368 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, 197 हथियार बरामद किए गए, 276 आईडी जब्त की गई. वहीं 27 ऑटोमेटिक हथियार भी बरामद हुए हैं.
वहीं साल 2018 में पुलिस ने 112 नक्सलियों को मार गिराया, 1134 गिरफ्तार किए गए, 462 नक्सलियों ने सरेंडर किया, 212 हथियार बरामद किए गए, 317 आईईडी जब्त की गई, साथ ही 33 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किया गया है.
झीरम घटना में शामिल नक्सली भी मारे गए
इस कार्रवाई की सबसे खास बात यह रही कि 2 वर्षों में 85 इनामी नक्सली मारे गए, जिनके ऊपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित था. वहीं झीरम घाटी हमले को अंजाम देने वाले नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो आदि बड़े नक्सली कैडर मारे जा चुके हैं.