जगदलपुर: देश में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और नक्सलवाद व आतंकवाद की कमर तोड़ने के उद्देश्य से नोटबंदी लागू की गई थी, जिसमें 500 और 1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. नोटबंदी का सकारात्मक परिणाम कितना आया यह तो जांच का विषय है पर नोटबंदी की वजह से अभी भी कई अड़चनें सामने आ रही हैं.
बात अगर बस्तर की करें तो जगदलपुर जिले के कई थानों में अलग-अलग मामलों में जब्त किए गए लाखों रुपए के पुराने नोट आज कानूनी पेंच में फंस कर रद्दी हो गए हैं. अब जब न्यायालय ने पुलिस को प्रार्थी की रकम लौटाने का आदेश जारी किया है तो संबंधित थानों के थानेदार उन्हें जब्त किए गए 500 और 1000 के पुराने नोट लौटा रहे हैं.
प्रार्थी को दिया जा रहा पुराना नोट
दरअसल लूट, चोरी, डकैती और जुआ एक्ट जैसे कई मामलों में कार्रवाई के दौरान पुलिस नकद रकम को जब्त कर लेती है. न्यायालय के आदेश पर पुलिस इन पैसों को फैसला आने तक मालखाने में संभाल कर रखती है. इसी तरह नोटबंदी के पहले थानों में जब पैसों को रखा गया था उसे समय पुलिस की लापरवाही की वजह से उसे बदला नहीं गया और अब न्यायालय से फैसला आने के बाद प्रार्थी को थाने में रखा पुराने नोट थमाए जा रहे हैं जो अब चलन से बाहर हो चुके हैं.
प्रार्थी ने पुराने नोट लेने से किया इंकार
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब जगदलपुर के ही एक व्यापारी के पक्ष में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सिटी कोतवाली को आदेशित किया कि प्रार्थी को उनके दुकान से चोरी की गई रकम 20 हजार जो मालखाने में जमा की गई है दे दी जाए. प्रार्थी द्वारा पुराने नोटों को लेने से इंकार कर दिया गया साथ ही इस मामले में अब न्यायालय की शरण लेने की बात प्रार्थी ने कही है. वहीं इस पूरे मामले पर जगदलपुर के सीएसपी ने न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए ही कार्य करने की बात कही है.
न्यायालय के आदेश अनुसार होगी आगे की कार्रवाई
सीएसपी के अनुसार न्यायालय के मालखाने में जगह की कमी होने पर थाने में इस तरह के सभी सामान सुरक्षित रखे जाते हैं. साथ ही न्यायालय के आदेश के अनुसार ही कार्रवाई करते हुए प्रार्थी को सामान और पैसा वापस किया जाता है. उन्होंने कहा कि आगे जैसा भी आदेश कोर्ट से आएगा वैसे ही कार्रवाई की जाएगी. आपको बता दें कि केवल बस्तर के ही अलग-अलग थानों में लगभग 6 लाख की रकम पुराने नोट के रूप में है जब्त की गई है. अब जैसे-जैसे सभी मामलों पर फैसले आते जाएंगे वैसे ही इन नोटों को लेकर थानों और प्रार्थियों में असमंजस की स्थिति बढ़ती जाएगी.