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बस्तर में बीमार सिस्टम ! जवानों की जान पर भारी लापरवाही, एक भी ट्रामा सेंटर नहीं

बस्तर...जहां लोगों की जिंदगी नक्सलवाद के साए में सुरक्षा और विकास के लिए जद्दोजहद कर रही हो, वहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भारी पड़ती है. यहां मेडिकल कॉलेज शुरू हुए करीब 8 साल बीत गए हैं लेकिन अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए, बड़ी नक्सल घटना हो जाए तो घायलों को इलाज के लिए 300 किलोमीटर तक अपनी सांसें गिननी पड़ती हैं...

bastar medical college
बस्तर मेडिकल कॉलेज
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Published : Jan 11, 2021, 7:02 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: सुरक्षा और विकास की राह देखते बस्तर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना कई बार जानलेवा साबित होता है. यहां मेडिकल कॉलेज शुरू हुए करीब 8 साल बीत गए हैं लेकिन अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए, बड़ी नक्सल घटना हो जाए तो घायलों को इलाज के लिए 300 किलोमीटर तक अपनी सांसें गिननी पड़ती हैं. इसकी वजह 7 जिलों वाले बस्तर संभाग में एक भी ट्रामा सेंटर का न होना है.

बस्तर में बीमार सिस्टम !

ट्रामा सेंटर के न होने का खामियाजा कई बार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्यूटी दे रहे जवानों को भी उठाना पड़ता है. नक्सल प्रभावित बस्तर में 60 हजार से अधिक पुलिस और सुरक्षाबलों जवान सुरक्षा में तैनात हैं. अगर वे नक्सल हमले या एनकाउंटर में बुरी तरह घायल हो जाएं तो बेहतर इलाज के लिए इंतजार करना पड़ता है. जख्मी जवानों को कई बार हेलीकॉप्टर (एयर एंबुलेंस) मिल जाता है, जिससे वे राजधानी आ सकें. लेकिन ट्रामा सेंटर न होने की वजह अच्छा इलाज नहीं मिल पाता, जिससे जान बचाई जा सके.

पढ़ें: ध्वस्त हो रही है खुद की सुरक्षा के लिए महिलाओं और बच्चों को आगे करने की नक्सलियों की रणनीति !

रेफर सेंटर बनकर रह गया ट्रामा सेंटर

ट्रामा सेंटर खुलने के एलान के बाद करोड़ों रुपए खर्च कर स्वर्गीय बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण तो कर दिया गया है. लेकिन इतने रुपए खर्च करने के बावजूद मेडिकल कॉलेज सीरियस पेशेंट्स के लिए सिर्फ एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है. संभाग के सभी जिलों से मरीज रेफर होकर जगदलपुर आते हैं फिर यहां सुविधाएं न होने की वजह से रायपुर भेज दिए जाते हैं. नक्सल हमले में घायल जवान हों या अन्य किसी हादसे में घायल मरीजों को जगदलपुर से रायपुर के बीच की 3 सौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. 6 से 7 घंटे का वक्त लगता है और कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और जिला प्रशासन ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है.

पढ़ें: बस्तर: 8 महीने में 300 नवजातों ने तोड़ा दम, कुपोषण और मांओं की कमजोर सेहत बड़ी वजह

पुलिस प्रशासन भी कर रहा है मांग

पिछले कई सालों से बस्तर के लोग ट्रॉमा सेंटर की मांग कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन भी जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग करता रहा है, जिससे घायल जवानों की जान बचाई जा सके. लेकिन एलान के बाद सिर्फ फाइल ही खिसक रही है, काम नहीं हो पा रहा है.

शासन ने 9 करोड़ की दी है स्वीकृति

हालांकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर खोलने की घोषणा तो कर दी है और करीब 9 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी मिल गई है बावजूद इसके मेकॉज प्रबंधन व जिला प्रशासन ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए अब तक कोई पहल नहीं कर रहा है, लिहाजा गंभीर रूप से घायल लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.

पढ़ें: कोरोना काल में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर में आई ग्रोथ, पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर, ICU बेड उपलब्ध

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं हैं आधुनिक मशीनें

हादसों में गंभीर रूप से घायल हेड इंजरी, फैक्चर और जले हुए मरीजों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर की जरूरत होती है, MCI मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने ट्रामा सर्विस को एक स्पेशलिटी सर्विस के रूप में मान्य किया है. इसमें एक ही छत के नीचे आर्थोपेडिक, न्यूरो सर्जरी, बर्न , कार्डियक और प्लास्टिक सर्जरी जैसे एक्सपर्ट डॉक्टर और डायग्नोसिस फैसिलिटी की सुविधा होती है. ट्रामा सेंटर में मेडिसिन, सर्जरी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी आर्थोपेडिक, डेंटिस्ट्री, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर होना चाहिए. इसके साथ ही वर्किंग ऑपरेशन थिएटर , क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट , ट्रांसपोर्टेवल वेंटिलेटर, सीटी स्कैन, ब्लड स्टोरेज यूनिट , पोर्टेबल डिजिटल एक्सरे मशीन, सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन, इको कार्डियोग्राफी व ईसीजी जांच की मशीन होनी चाहिए.

स्पेशलिस्ट भी नहीं, मरीजों को उठाना पड़ता है खर्च

मेडिकल कॉलेज में न विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही आधुनिक जांच मशीनें है. यहां पर सिर्फ ईसीजी, डायलिसिस, एक्स-रे और सीटी स्कैन मशीन की सुविधा है लेकिन जांच के लिए रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं है. कई विभागों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक नहीं है, ऐसे में मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचता है. वहीं मेंटेनेंस के अभाव और ऑपरेटरों की कमी से जूझ रहे महारानी अस्पताल अस्पताल और डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में आए दिन मशीन खराब होने की सूचना भी मिलती रही है. मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों और पैथोलॉजी सेंटरों में सिटी स्कैन, एक्सरे, डायलिसिस के लिए हजारों रुपए खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है.

भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया उदासीनता का आरोप

विपक्ष का कहना है कि भाजपा शासनकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बस्तर वासियों को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वर्गीय बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर दिया गया. लगभग 600 बिस्तर के इस मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में इलाज की सुविधा भी मरीजों को उपलब्ध कराई गई. लेकिन प्रदेश में बैठी भूपेश सरकार की उदासीनता है कि सरकार के 2 साल बीतने के बावजूद भी ना ही अब तक यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है. सरकार ने ट्रामा सेंटर जैसे अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा के लिए कोई पहल की गई है.

पढ़ें: खाट पर सिस्टम: गर्भवती महिला को खाट के सहारे कराया गया नदी पार, 2 घंटे बाद पहुंची एंबुलेंस

जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए ट्रामा सेंटर

शहर के बुद्धिजीवियों और जानकारों का भी कहना है कि बस्तर संभाग में आए दिन हादसे होते रहते हैं और खासकर सबसे ज्यादा नुकसान नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को होता है. लेकिन किसी ने भी ट्रामा सेंटर की तरफ गंभीरता से विचार नहीं किया है. सेंटर जल्द से जल्द शुरू किया जाए, जिससे सातों जिलों के लोगों और जवानों को इसका फायदा मिल सके.

कोरोना की वजह से कार्य अटका, जल्द मिलेगी सुविधा: कलेक्टर

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए शासन से करीब 9 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल गई है, लेकिन करोना की वजह से काम शुरू नहीं हो सका है. कलेक्टर का कहना है कि ट्रामा सेंटर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है. जल्द ही इसकी सुविधा बस्तरवासियों को मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर के साथ-साथ स्टाफ की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल में न्यूरो सर्जन जैसे एक्सपर्ट डॉक्टरों की भी नियुक्ति कर दी जाएगी. कलेक्टर ने दावा किया कि बस्तर के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए शासन पूरी कोशिश कर रहा है.

जगदलपुर: सुरक्षा और विकास की राह देखते बस्तर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का न होना कई बार जानलेवा साबित होता है. यहां मेडिकल कॉलेज शुरू हुए करीब 8 साल बीत गए हैं लेकिन अगर कोई बड़ा हादसा हो जाए, बड़ी नक्सल घटना हो जाए तो घायलों को इलाज के लिए 300 किलोमीटर तक अपनी सांसें गिननी पड़ती हैं. इसकी वजह 7 जिलों वाले बस्तर संभाग में एक भी ट्रामा सेंटर का न होना है.

बस्तर में बीमार सिस्टम !

ट्रामा सेंटर के न होने का खामियाजा कई बार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्यूटी दे रहे जवानों को भी उठाना पड़ता है. नक्सल प्रभावित बस्तर में 60 हजार से अधिक पुलिस और सुरक्षाबलों जवान सुरक्षा में तैनात हैं. अगर वे नक्सल हमले या एनकाउंटर में बुरी तरह घायल हो जाएं तो बेहतर इलाज के लिए इंतजार करना पड़ता है. जख्मी जवानों को कई बार हेलीकॉप्टर (एयर एंबुलेंस) मिल जाता है, जिससे वे राजधानी आ सकें. लेकिन ट्रामा सेंटर न होने की वजह अच्छा इलाज नहीं मिल पाता, जिससे जान बचाई जा सके.

पढ़ें: ध्वस्त हो रही है खुद की सुरक्षा के लिए महिलाओं और बच्चों को आगे करने की नक्सलियों की रणनीति !

रेफर सेंटर बनकर रह गया ट्रामा सेंटर

ट्रामा सेंटर खुलने के एलान के बाद करोड़ों रुपए खर्च कर स्वर्गीय बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण तो कर दिया गया है. लेकिन इतने रुपए खर्च करने के बावजूद मेडिकल कॉलेज सीरियस पेशेंट्स के लिए सिर्फ एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है. संभाग के सभी जिलों से मरीज रेफर होकर जगदलपुर आते हैं फिर यहां सुविधाएं न होने की वजह से रायपुर भेज दिए जाते हैं. नक्सल हमले में घायल जवान हों या अन्य किसी हादसे में घायल मरीजों को जगदलपुर से रायपुर के बीच की 3 सौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. 6 से 7 घंटे का वक्त लगता है और कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देता है. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और जिला प्रशासन ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए कोई पहल नहीं कर रहा है.

पढ़ें: बस्तर: 8 महीने में 300 नवजातों ने तोड़ा दम, कुपोषण और मांओं की कमजोर सेहत बड़ी वजह

पुलिस प्रशासन भी कर रहा है मांग

पिछले कई सालों से बस्तर के लोग ट्रॉमा सेंटर की मांग कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन भी जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग करता रहा है, जिससे घायल जवानों की जान बचाई जा सके. लेकिन एलान के बाद सिर्फ फाइल ही खिसक रही है, काम नहीं हो पा रहा है.

शासन ने 9 करोड़ की दी है स्वीकृति

हालांकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ट्रामा सेंटर खोलने की घोषणा तो कर दी है और करीब 9 करोड़ रुपए की स्वीकृति भी मिल गई है बावजूद इसके मेकॉज प्रबंधन व जिला प्रशासन ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए अब तक कोई पहल नहीं कर रहा है, लिहाजा गंभीर रूप से घायल लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है.

पढ़ें: कोरोना काल में मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर में आई ग्रोथ, पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर, ICU बेड उपलब्ध

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नहीं हैं आधुनिक मशीनें

हादसों में गंभीर रूप से घायल हेड इंजरी, फैक्चर और जले हुए मरीजों को तत्काल इलाज मुहैया कराने के लिए ट्रामा सेंटर की जरूरत होती है, MCI मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने ट्रामा सर्विस को एक स्पेशलिटी सर्विस के रूप में मान्य किया है. इसमें एक ही छत के नीचे आर्थोपेडिक, न्यूरो सर्जरी, बर्न , कार्डियक और प्लास्टिक सर्जरी जैसे एक्सपर्ट डॉक्टर और डायग्नोसिस फैसिलिटी की सुविधा होती है. ट्रामा सेंटर में मेडिसिन, सर्जरी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी आर्थोपेडिक, डेंटिस्ट्री, रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर होना चाहिए. इसके साथ ही वर्किंग ऑपरेशन थिएटर , क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट , ट्रांसपोर्टेवल वेंटिलेटर, सीटी स्कैन, ब्लड स्टोरेज यूनिट , पोर्टेबल डिजिटल एक्सरे मशीन, सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन, इको कार्डियोग्राफी व ईसीजी जांच की मशीन होनी चाहिए.

स्पेशलिस्ट भी नहीं, मरीजों को उठाना पड़ता है खर्च

मेडिकल कॉलेज में न विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही आधुनिक जांच मशीनें है. यहां पर सिर्फ ईसीजी, डायलिसिस, एक्स-रे और सीटी स्कैन मशीन की सुविधा है लेकिन जांच के लिए रेडियोलॉजिस्ट ही नहीं है. कई विभागों में स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक नहीं है, ऐसे में मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचता है. वहीं मेंटेनेंस के अभाव और ऑपरेटरों की कमी से जूझ रहे महारानी अस्पताल अस्पताल और डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में आए दिन मशीन खराब होने की सूचना भी मिलती रही है. मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों और पैथोलॉजी सेंटरों में सिटी स्कैन, एक्सरे, डायलिसिस के लिए हजारों रुपए खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है.

भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया उदासीनता का आरोप

विपक्ष का कहना है कि भाजपा शासनकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बस्तर वासियों को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने के लिए स्वर्गीय बलीराम कश्यप स्मृति मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर दिया गया. लगभग 600 बिस्तर के इस मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में इलाज की सुविधा भी मरीजों को उपलब्ध कराई गई. लेकिन प्रदेश में बैठी भूपेश सरकार की उदासीनता है कि सरकार के 2 साल बीतने के बावजूद भी ना ही अब तक यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है. सरकार ने ट्रामा सेंटर जैसे अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा के लिए कोई पहल की गई है.

पढ़ें: खाट पर सिस्टम: गर्भवती महिला को खाट के सहारे कराया गया नदी पार, 2 घंटे बाद पहुंची एंबुलेंस

जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए ट्रामा सेंटर

शहर के बुद्धिजीवियों और जानकारों का भी कहना है कि बस्तर संभाग में आए दिन हादसे होते रहते हैं और खासकर सबसे ज्यादा नुकसान नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को होता है. लेकिन किसी ने भी ट्रामा सेंटर की तरफ गंभीरता से विचार नहीं किया है. सेंटर जल्द से जल्द शुरू किया जाए, जिससे सातों जिलों के लोगों और जवानों को इसका फायदा मिल सके.

कोरोना की वजह से कार्य अटका, जल्द मिलेगी सुविधा: कलेक्टर

बस्तर कलेक्टर रजत बंसल का कहना है कि ट्रामा सेंटर शुरू करने के लिए शासन से करीब 9 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल गई है, लेकिन करोना की वजह से काम शुरू नहीं हो सका है. कलेक्टर का कहना है कि ट्रामा सेंटर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है. जल्द ही इसकी सुविधा बस्तरवासियों को मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि ट्रामा सेंटर के साथ-साथ स्टाफ की कमी से जूझ रहे मेडिकल कॉलेज सह डिमरापाल अस्पताल में न्यूरो सर्जन जैसे एक्सपर्ट डॉक्टरों की भी नियुक्ति कर दी जाएगी. कलेक्टर ने दावा किया कि बस्तर के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए शासन पूरी कोशिश कर रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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