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पत्र से हुआ नक्सलियों की लेवी का खुलासा, ग्रामीणों के साथ इन लोगों को बनाया जाता है टारगेट

पुलिस ने नक्सलियों के लेवी (Police exposed Naxalite levy) का खुलासा किया है. 28 जून को हुए मुठभेड़ में एक 5 लाख के इनामी नक्सली संतोष मरकाम (Naxalite Santosh Markam encounter case) को पुलिस ने मार गिराया था, जिसके पास से एक गोंडी में लिखा हुआ पत्र प्राप्त हुआ है. पत्र का हिंदी अनुवाद करने पर एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस से मुताबिक पत्र में गांवों में ट्रैक्टर रखने वाले ग्रामीणों को नक्सली कैसे अपने संगठन की मजबूती का हवाला देते हुए ग्रामीणों से पैसों की वसूली कर परेशान करते हैं.

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पत्र से हुआ नक्सलियों के लेवी का खुलासा
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Published : Jul 13, 2021, 11:44 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर के आदिवासी बीते 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैं. ग्रामीण लगातार नक्सलियों के निशाने पर भी होते है. चाहे वह दहशत फैलाने के लिए पर्चे फेंकने का मामला हो या फिर सड़को को काटने का, या फिर नक्सलियों को अपनी आर्थिक मजबूती के लिए लेवी का. नक्सली लगातार ग्रामीणों को डराकर अपना काम करवाते हैं.

इस बात का दावा लगातार पुलिस और प्रशासन करता है. अब खुलासा खुद नक्सली पर्चे से दंतेवाड़ा जिले में हुआ है. जहां हाल ही में हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सली के पास से मिले पर्चे में लिखा है कि नक्सल संगठन आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है. वहीं कोरोना और लॉकडाउन की वजह से लेवी में भी कमी आई है, जिसके चलते अलग-अलग ग्रामीणों से लिए जाने वाली राशि का भी जिक्र किया गया है.

पत्र से हुआ नक्सलियों के लेवी का खुलासा

दरअसल, जिले के पोरदेम और निलवाया के बीच बीते 28 जून को हुए मुठभेड़ में एक 5 लाख के इनामी नक्सली संतोष मरकाम (Naxalite Santosh Markam encounter case) को पुलिस ने मार गिराया था, जिसके पास से एक गोंडी में लिखा हुआ पत्र प्राप्त हुआ है. पत्र का हिंदी अनुवाद करने पर एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस से मुताबिक पत्र में गांवों में ट्रैक्टर रखने वाले ग्रामीणों को नक्सली कैसे अपने संगठन की मजबूती का हवाला देते हुए ग्रामीणों से पैसों की वसूली कर परेशान करते हैं.

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव का दावा है कि यह पत्र मलांगिर एरिया कमेटी की सदस्य गंगी जिस पर 5 लाख रुपए का इनाम है, उसने यह पत्र संतोष को लिखा था. गोंडी में लिखे पत्र का हिंदी में पुलिस ने अनुवाद कराया तो बड़ी जानकारी हाथ लगी. गंगी ने पत्र में लिखा है कि उमेश को कहा गया है कि लॉकडाउन में नक्सल संगठन आर्थिक रूप से कमजोर पड़ा है और लेवी की रकम भी सही वसूली नहीं हो पा रही है.

शहीद जवानों की 12वीं बरसी आयोजन, राजनांदगांव में श्रद्धांजलि सभा

ऐसे में जिन ग्रामीणों के पास ट्रैक्टर हैं उनसे 10 -10 हजार रुपए लेना है. साथ ही आर्थिक मजबूती के लिए ग्रामीणों से पैसे लो और अगर न दे तो जनअदालत लगाकर उन्हें सजा देंगे

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि इस घटना के बाद काफी बवाल भी हुआ. ग्रामीणों और परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के आरोपी लगाए थे. मारे गए नक्सली के शव को भी ले जाने से लोगों ने इनकार कर दिया था. हफ्ते भर तक गांव में पुलिस के खिलाफ माहौल बना रहा, लेकिन हफ्ते भर बाद ग्रामीण और परिजन शव लेकर चले गए.

एसपी ने ग्रामीणों के विरोध को नक्सलियों का दबाव बताया है. एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि मुठभेड़ में मारा गया नक्सली संतोष मरकाम नीलावाया में डीडी न्यूज़ के कैमरामैन समेत 2 जवानों की हत्या और जिला पंचायत सदस्य के हत्या में भी शामिल था. वहीं पत्र मिलने के बाद हुए खुलासे से ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन में भी विराम लग गया है.

जानकरों का कहना है कि नक्सली अपने संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए पैसों की वसूली करते आ रहे हैं. इसे नक्सली लेवी का नाम देते है. नक्सली पुलिस के खिलाफ लड़ाई के लिए हथियार और अन्य सामान समेत कई ऐसी जरूरत के सामानों की खरीदी खुले बाजार से करते हैं, जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती है. इसलिए लगातार नक्सली अंदरूनी क्षेत्रो में काम करने वाले ठेकेदार, ग्रामीण, सरकारी अधिकारी,वन विभाग समेत तेंदूपत्ता ठेकेदारों से पैसे लेवी के रूप में वसूलते आए हैं.

यह पहली बार नहीं है जब नक्सलियों की ओर से लेवी वसूली जैसे मामले सामने आए हैं. बल्कि इसके पहले भी गांवों में ट्रैक्टर मालिकों, ग्राम पंचायतों से निर्माण कार्यो की राशि का हिस्सा वसूलने जैसे कई मामले सामने आ चुके हैं. साथ ही लेवी के लिए नक्सली पहले भी कई ग्रामीणों की हत्या भी कर चुके हैं. ये डर ही है जो ग्रामीणों को नक्सलियों के लिए काम करने मजबूर भी करता है.

जगदलपुर: बस्तर के आदिवासी बीते 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैं. ग्रामीण लगातार नक्सलियों के निशाने पर भी होते है. चाहे वह दहशत फैलाने के लिए पर्चे फेंकने का मामला हो या फिर सड़को को काटने का, या फिर नक्सलियों को अपनी आर्थिक मजबूती के लिए लेवी का. नक्सली लगातार ग्रामीणों को डराकर अपना काम करवाते हैं.

इस बात का दावा लगातार पुलिस और प्रशासन करता है. अब खुलासा खुद नक्सली पर्चे से दंतेवाड़ा जिले में हुआ है. जहां हाल ही में हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सली के पास से मिले पर्चे में लिखा है कि नक्सल संगठन आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है. वहीं कोरोना और लॉकडाउन की वजह से लेवी में भी कमी आई है, जिसके चलते अलग-अलग ग्रामीणों से लिए जाने वाली राशि का भी जिक्र किया गया है.

पत्र से हुआ नक्सलियों के लेवी का खुलासा

दरअसल, जिले के पोरदेम और निलवाया के बीच बीते 28 जून को हुए मुठभेड़ में एक 5 लाख के इनामी नक्सली संतोष मरकाम (Naxalite Santosh Markam encounter case) को पुलिस ने मार गिराया था, जिसके पास से एक गोंडी में लिखा हुआ पत्र प्राप्त हुआ है. पत्र का हिंदी अनुवाद करने पर एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस से मुताबिक पत्र में गांवों में ट्रैक्टर रखने वाले ग्रामीणों को नक्सली कैसे अपने संगठन की मजबूती का हवाला देते हुए ग्रामीणों से पैसों की वसूली कर परेशान करते हैं.

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव का दावा है कि यह पत्र मलांगिर एरिया कमेटी की सदस्य गंगी जिस पर 5 लाख रुपए का इनाम है, उसने यह पत्र संतोष को लिखा था. गोंडी में लिखे पत्र का हिंदी में पुलिस ने अनुवाद कराया तो बड़ी जानकारी हाथ लगी. गंगी ने पत्र में लिखा है कि उमेश को कहा गया है कि लॉकडाउन में नक्सल संगठन आर्थिक रूप से कमजोर पड़ा है और लेवी की रकम भी सही वसूली नहीं हो पा रही है.

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ऐसे में जिन ग्रामीणों के पास ट्रैक्टर हैं उनसे 10 -10 हजार रुपए लेना है. साथ ही आर्थिक मजबूती के लिए ग्रामीणों से पैसे लो और अगर न दे तो जनअदालत लगाकर उन्हें सजा देंगे

दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि इस घटना के बाद काफी बवाल भी हुआ. ग्रामीणों और परिजनों ने पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर के आरोपी लगाए थे. मारे गए नक्सली के शव को भी ले जाने से लोगों ने इनकार कर दिया था. हफ्ते भर तक गांव में पुलिस के खिलाफ माहौल बना रहा, लेकिन हफ्ते भर बाद ग्रामीण और परिजन शव लेकर चले गए.

एसपी ने ग्रामीणों के विरोध को नक्सलियों का दबाव बताया है. एसपी अभिषेक पल्लव का कहना है कि मुठभेड़ में मारा गया नक्सली संतोष मरकाम नीलावाया में डीडी न्यूज़ के कैमरामैन समेत 2 जवानों की हत्या और जिला पंचायत सदस्य के हत्या में भी शामिल था. वहीं पत्र मिलने के बाद हुए खुलासे से ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन में भी विराम लग गया है.

जानकरों का कहना है कि नक्सली अपने संगठन को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए पैसों की वसूली करते आ रहे हैं. इसे नक्सली लेवी का नाम देते है. नक्सली पुलिस के खिलाफ लड़ाई के लिए हथियार और अन्य सामान समेत कई ऐसी जरूरत के सामानों की खरीदी खुले बाजार से करते हैं, जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत पड़ती है. इसलिए लगातार नक्सली अंदरूनी क्षेत्रो में काम करने वाले ठेकेदार, ग्रामीण, सरकारी अधिकारी,वन विभाग समेत तेंदूपत्ता ठेकेदारों से पैसे लेवी के रूप में वसूलते आए हैं.

यह पहली बार नहीं है जब नक्सलियों की ओर से लेवी वसूली जैसे मामले सामने आए हैं. बल्कि इसके पहले भी गांवों में ट्रैक्टर मालिकों, ग्राम पंचायतों से निर्माण कार्यो की राशि का हिस्सा वसूलने जैसे कई मामले सामने आ चुके हैं. साथ ही लेवी के लिए नक्सली पहले भी कई ग्रामीणों की हत्या भी कर चुके हैं. ये डर ही है जो ग्रामीणों को नक्सलियों के लिए काम करने मजबूर भी करता है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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