ETV Bharat / state

5 साल में बस्तर में 33% कुपोषण घटा पर अभी भी 12.5 हजार बच्चे कुपोषित, प्रशासन कर रहा चार माह में मुक्ति का दावा - बस्तर की खबरें

कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान के तहत बस्तर जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों पर व्यवस्था काफी दुरुस्त की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों के कुपोषित बच्चों का एनआरसी सेंटरों में इलाज कराया जा रहा है. आने वाले तीन से चार महीनों में जिला प्रशासन ने कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का दावा किया है.

Children in Anganwadi Center
आंगनबाड़ी केंद्र में मौजूद बच्चे
author img

By

Published : Sep 20, 2021, 8:44 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर : बस्तर को कुपोषण मुक्त (malnutrition free) बनाने के लिए राज्य सरकार का सुपोषण अभियान (state government's nutrition campaign) कारगर साबित हो रहा है. लगातार बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत भी अब घटने लगा है. हालांकि अभी भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर कुपोषित बच्चे हैं, जिनका इलाज एनआरसी सेंटरों (NRC Center) में किया जा रहा है. जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था पहले से काफी दुरुस्त की गई है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को पोषण आहार भी मिल रहा है. इधर, जिला प्रशासन ने कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का लक्ष्य रखा है और आने वाले तीन से चार महीनों में कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का दावा भी किया है.

रजत बंसल, बस्तर कलेक्टर

बस्तर में लंबे समय से है कुपोषण की समस्या

बस्तर में नक्सल समस्या के साथ-साथ कुपोषण भी एक गंभीर समस्या है. कुपोषण की वजह से बस्तर में कई बीमार महिलाएं और बच्चे मौत के मुंह में समा गए हैं. ऐसा नहीं है कि जिले के लिए यह समस्या नई है, बस्तर में यह समस्या काफी लंबे समय से है. हर साल बस्तर को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की राशि खर्च करने के दावे विभाग की ओर से किये जाते हैं, लेकिन अब तक जिला कुपोषण मुक्त नहीं हो सका है.

अब घर-घर पहुंच रही टीम, बच्चों का हो रहा इलाज

बस्तर में राज्य शासन की ओर से संचालित सुपोषण अभियान काफी कारगर साबित हो रहा है. इस अभियान से न सिर्फ प्रशासन कुपोषित बच्चों के घर घर तक पहुंच रहा है, बल्कि गंभीर कुपोषित बच्चों को NRC सेंटर में रखकर उनका इलाज भी करा रहा है. इसी का नतीजा है कि पिछले दो सालों के मुकाबले बस्तर में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत काफी तेजी से घटा है, वर्तमान में बस्तर जिले में साढ़े 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. महिला बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 साल की बात करें तो बस्तर जिले में 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे, लेकिन के लगातार प्रयास के बाद अब वर्तमान में जिले में कुपोषण का प्रतिशत 17 प्रतिशत पर आ गया है.

गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2500

इधर, सुपोषण अभियान चलाए जाने के बाद बस्तर में वर्तमान में कुपोषित बच्चों की संख्या 13 हजार 500 है, जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2500 है. इसके अलावा महिला बाल विकास विभाग पोषण पखवाड़ा भी चला रहा है, जिस पर ग्राम पंचायत स्तर पर अलग-अलग थीम पर आधारित कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं. इस संबंध में बस्तर कलेक्टर ने बताया कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए पूरी तरह से विभाग जुटा हुआ है. वहीं जिस तरह से पिछले कुछ सालों में बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत कम हुआ है, इसको लेकर नीति आयोग ने भी जिले की तारीफ की है.

प्रशासन ने की पोषण वाटिका की शुरुआत

निकट भविष्य में नीति आयोग से मिलने वाली राशि से बस्तर जिले में और पुनर्वास केंद्र (एनआरसी सेंटर) खोला जाएगा. कलेक्टर ने कहा कि इसके अलावा जिला प्रशासन ने पोषण वाटिका की शुरुआत की है, जिसके तहत हर ग्राम पंचायत और गांव गांव में पोषण वाटिका के माध्यम से लोगों को किस तरह का भोजन ग्रहण करना चाहिए और गर्भवती महिला का किस तरह से ख्याल रखा जाए, इसकी भी जानकारी दी जा रही है. इतना ही नहीं कुपोषित बच्चों को पोषण आहार में क्या-क्या दिया जाना चाहिए, इसके बारे में भी लोगों को बताया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है.


गर्भवती समेत बच्चों को दिये जा रहे पोषण आहार

इसके अलावा कलेक्टर ने बताया कि एनआरसी सेंटर में पूरी तरह से व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है और गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को सभी तरह के पोषण आहार भी दिये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी सभी NRC सेंटर में बच्चों की संख्या भरपूर है. उनकी देखभाल भी की जा रही है. साथ ही जिला प्रशासन की ओर से इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है. कलेक्टर ने कहा कि आने वाले दिनों में निश्चित रूप पर बस्तर कुपोषण मुक्त होगा और इसके लिए ग्रामीण अंचलों में कुपोषण को लेकर जन जागरण अभियान भी चलाया जा रहा है.

जगदलपुर : बस्तर को कुपोषण मुक्त (malnutrition free) बनाने के लिए राज्य सरकार का सुपोषण अभियान (state government's nutrition campaign) कारगर साबित हो रहा है. लगातार बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत भी अब घटने लगा है. हालांकि अभी भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गंभीर कुपोषित बच्चे हैं, जिनका इलाज एनआरसी सेंटरों (NRC Center) में किया जा रहा है. जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों में व्यवस्था पहले से काफी दुरुस्त की गई है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को पोषण आहार भी मिल रहा है. इधर, जिला प्रशासन ने कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का लक्ष्य रखा है और आने वाले तीन से चार महीनों में कुपोषण मुक्त बस्तर बनाने का दावा भी किया है.

रजत बंसल, बस्तर कलेक्टर

बस्तर में लंबे समय से है कुपोषण की समस्या

बस्तर में नक्सल समस्या के साथ-साथ कुपोषण भी एक गंभीर समस्या है. कुपोषण की वजह से बस्तर में कई बीमार महिलाएं और बच्चे मौत के मुंह में समा गए हैं. ऐसा नहीं है कि जिले के लिए यह समस्या नई है, बस्तर में यह समस्या काफी लंबे समय से है. हर साल बस्तर को कुपोषण से निजात दिलाने के लिए करोड़ों रुपये की राशि खर्च करने के दावे विभाग की ओर से किये जाते हैं, लेकिन अब तक जिला कुपोषण मुक्त नहीं हो सका है.

अब घर-घर पहुंच रही टीम, बच्चों का हो रहा इलाज

बस्तर में राज्य शासन की ओर से संचालित सुपोषण अभियान काफी कारगर साबित हो रहा है. इस अभियान से न सिर्फ प्रशासन कुपोषित बच्चों के घर घर तक पहुंच रहा है, बल्कि गंभीर कुपोषित बच्चों को NRC सेंटर में रखकर उनका इलाज भी करा रहा है. इसी का नतीजा है कि पिछले दो सालों के मुकाबले बस्तर में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत काफी तेजी से घटा है, वर्तमान में बस्तर जिले में साढ़े 17 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. महिला बाल विकास विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 साल की बात करें तो बस्तर जिले में 50 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे, लेकिन के लगातार प्रयास के बाद अब वर्तमान में जिले में कुपोषण का प्रतिशत 17 प्रतिशत पर आ गया है.

गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2500

इधर, सुपोषण अभियान चलाए जाने के बाद बस्तर में वर्तमान में कुपोषित बच्चों की संख्या 13 हजार 500 है, जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 2500 है. इसके अलावा महिला बाल विकास विभाग पोषण पखवाड़ा भी चला रहा है, जिस पर ग्राम पंचायत स्तर पर अलग-अलग थीम पर आधारित कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं. इस संबंध में बस्तर कलेक्टर ने बताया कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए पूरी तरह से विभाग जुटा हुआ है. वहीं जिस तरह से पिछले कुछ सालों में बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत कम हुआ है, इसको लेकर नीति आयोग ने भी जिले की तारीफ की है.

प्रशासन ने की पोषण वाटिका की शुरुआत

निकट भविष्य में नीति आयोग से मिलने वाली राशि से बस्तर जिले में और पुनर्वास केंद्र (एनआरसी सेंटर) खोला जाएगा. कलेक्टर ने कहा कि इसके अलावा जिला प्रशासन ने पोषण वाटिका की शुरुआत की है, जिसके तहत हर ग्राम पंचायत और गांव गांव में पोषण वाटिका के माध्यम से लोगों को किस तरह का भोजन ग्रहण करना चाहिए और गर्भवती महिला का किस तरह से ख्याल रखा जाए, इसकी भी जानकारी दी जा रही है. इतना ही नहीं कुपोषित बच्चों को पोषण आहार में क्या-क्या दिया जाना चाहिए, इसके बारे में भी लोगों को बताया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है.


गर्भवती समेत बच्चों को दिये जा रहे पोषण आहार

इसके अलावा कलेक्टर ने बताया कि एनआरसी सेंटर में पूरी तरह से व्यवस्था दुरुस्त कर ली गई है और गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ बच्चों को सभी तरह के पोषण आहार भी दिये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अभी सभी NRC सेंटर में बच्चों की संख्या भरपूर है. उनकी देखभाल भी की जा रही है. साथ ही जिला प्रशासन की ओर से इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है. कलेक्टर ने कहा कि आने वाले दिनों में निश्चित रूप पर बस्तर कुपोषण मुक्त होगा और इसके लिए ग्रामीण अंचलों में कुपोषण को लेकर जन जागरण अभियान भी चलाया जा रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.