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बस्तर दशहरा पर्व में जोगी बिठाई की रस्म हुई पूरी, 9 दिनों के तप में बैठे लोकनाथ - बस्तर दशहरा

बस्तर दशहरा पर्व (Bastar Dussehra festival) में जोगी बिठाई की रस्म पूरी हुई. 9 दिनों के तप में लोकनाथ बैठे है. इस रस्म अदायगी के दौरान माझी -चालाकी, पुजारी, बस्तर दशरथ समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, स्थानीय जनप्रतिनिधि व श्रद्धालु उपस्थित रहे.

जोगी बिठाई की रस्म
जोगी बिठाई की रस्म
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Published : Oct 7, 2021, 10:54 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की आज दूसरी और महत्वपूर्ण जोगी बिठाई की रस्म (Jogi bithai ) अदा की गई. वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में इस बार भी नियमों को ध्यान में रखते हुए 600 साल पुरानी इस परंपरा को शहर के सीरासार भवन में निभाया गया. इस वर्ष बस्तर दशहरा में जोगी की भूमिका को बड़े आमाबाल गांव के लोकनाथ निभा रहे हैं. विधि विधान से मावली माता की पूजा (Mavli Mata Worship) अर्चना के बाद जोगी सीरासार भवन पहुंचे और यहां अब जोगी 9 दिन तक निर्जल तप करते हुए भवन के अंदर बनाए गए गड्ढे में बैठेंगे. इस रस्म अदायगी के दौरान माझी -चालाकी, पुजारी, बस्तर दशरथ समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, स्थानीय जनप्रतिनिधि व श्रद्धालु उपस्थित रहे.

बस्तर दशहरा पर्व में जोगी बिठाई की रस्म हुई पूरी
बस्तर सांसद दीपक बैज के अनुसार जोगी बिठाई रस्म में मावली माता मंदिर में पुजारी द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया. देवी की पूजा अर्चना के बाद वहां रखे तलवार की पूजा की गई. उसके बाद उस तलवार को लेकर जोगी वापस सीरासार भवन में पहुंचे और पुजारी के प्रार्थना के बाद जोगी 9 दिन तक साधना का संकल्प लेकर गड्ढे में बैठ गए हैं. कहा जाता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न होती है और यह विशाल पर्व बिना किसी बाधा के संपन्न होता है. दरअसल जोगी बिठाई रस्म में जोगी से तात्पर्य है योगी से है. इस रस्म से एक किवदंती जुड़ी हुई है.क्या है मान्यतामान्यता के अनुसार वर्षों पूर्व दशहरे के दौरान हलबा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित महल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन बस्तर के महाराजा प्रवीण चंद भंजदेव को मिली तो वे स्वयं मिलने योगी के पास पहुंचे. वे उसे तप पर बैठने का कारण पूछा तब योगी ने बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रुप से संपन्न कराने के लिए यह तप किया है. जिसके बाद महाराजा ने योगी के लिए महल से कुछ दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाएं रखने में सहायता की. तब से हर वर्ष अनवरत इस रस्म में जोगी बनकर हलबा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस वर्ष भी बड़े आमापाल के लोकनाथ जोगी बन करीब 600 वर्षों से चली आ रही. इस परंपरा के तहत सीरासार भवन में दंतेश्वरी माई व अन्य देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर निर्जल तपस्या शुरू की है. इसमें रस्म में शामिल होने बस्तर सांसद व दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.

जगदलपुर: बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की आज दूसरी और महत्वपूर्ण जोगी बिठाई की रस्म (Jogi bithai ) अदा की गई. वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में इस बार भी नियमों को ध्यान में रखते हुए 600 साल पुरानी इस परंपरा को शहर के सीरासार भवन में निभाया गया. इस वर्ष बस्तर दशहरा में जोगी की भूमिका को बड़े आमाबाल गांव के लोकनाथ निभा रहे हैं. विधि विधान से मावली माता की पूजा (Mavli Mata Worship) अर्चना के बाद जोगी सीरासार भवन पहुंचे और यहां अब जोगी 9 दिन तक निर्जल तप करते हुए भवन के अंदर बनाए गए गड्ढे में बैठेंगे. इस रस्म अदायगी के दौरान माझी -चालाकी, पुजारी, बस्तर दशरथ समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, स्थानीय जनप्रतिनिधि व श्रद्धालु उपस्थित रहे.

बस्तर दशहरा पर्व में जोगी बिठाई की रस्म हुई पूरी
बस्तर सांसद दीपक बैज के अनुसार जोगी बिठाई रस्म में मावली माता मंदिर में पुजारी द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया. देवी की पूजा अर्चना के बाद वहां रखे तलवार की पूजा की गई. उसके बाद उस तलवार को लेकर जोगी वापस सीरासार भवन में पहुंचे और पुजारी के प्रार्थना के बाद जोगी 9 दिन तक साधना का संकल्प लेकर गड्ढे में बैठ गए हैं. कहा जाता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न होती है और यह विशाल पर्व बिना किसी बाधा के संपन्न होता है. दरअसल जोगी बिठाई रस्म में जोगी से तात्पर्य है योगी से है. इस रस्म से एक किवदंती जुड़ी हुई है.क्या है मान्यतामान्यता के अनुसार वर्षों पूर्व दशहरे के दौरान हलबा जाति का एक युवक जगदलपुर स्थित महल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाए पिए मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब तत्कालीन बस्तर के महाराजा प्रवीण चंद भंजदेव को मिली तो वे स्वयं मिलने योगी के पास पहुंचे. वे उसे तप पर बैठने का कारण पूछा तब योगी ने बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रुप से संपन्न कराने के लिए यह तप किया है. जिसके बाद महाराजा ने योगी के लिए महल से कुछ दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाएं रखने में सहायता की. तब से हर वर्ष अनवरत इस रस्म में जोगी बनकर हलबा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस वर्ष भी बड़े आमापाल के लोकनाथ जोगी बन करीब 600 वर्षों से चली आ रही. इस परंपरा के तहत सीरासार भवन में दंतेश्वरी माई व अन्य देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर निर्जल तपस्या शुरू की है. इसमें रस्म में शामिल होने बस्तर सांसद व दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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