खैरागढ़ छुईखदान गंडई: छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में प्रसिद्ध प्रज्ञागिरी तीर्थ स्थल में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन हुआ. गुरुवार को सीएम विष्णुदेव साय इस सम्मेलन में शामिल हुए. देश विदेश से आए बौद्ध भिक्षु, विद्वान और बौद्ध धर्म के अनुयायी भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे.
बौद्ध सम्मेलन में सीएम साय: अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में मुख्यमंत्री साय ने कहा कि पूरी दुनिया आपसी भौतिक प्रतिस्पर्धा से जूझ रही है, ऐसे में भगवान बुद्ध के शांति और करुणा के संदेश पहले से ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं. मुख्यमंत्री साय ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ धार्मिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है. छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें पर्यटन भी महत्वपूर्ण है.
मानवता के उत्थान और शांति के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए बुद्ध के दिखाए रास्ते का अनुसरण करना जरुरी है. छत्तीसगढ़ में भी बुद्ध के संदेशों का प्रभाव दिखता है, जिसके कारण यहां सभी धर्मों के लोग आपसी सौहार्द, भाईचारे और समरसता के साथ जीवन यापन कर रहे हैं- विष्णुदेव साय, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के प्राचीन बौद्ध स्थल
सिरपुर: छत्तीगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित सिरपुर एक प्राचीन स्थल है. यह महानदी के किनारे बसा है. यहां बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक विरासत आज भी संरक्षित है. यह पांचवी से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी थी. सिरपुर में सांस्कृतिक और वास्तुकौशल की कला का संग्रह है.
मैनपाट: यह अंबिकापुर से करीब 75 किलोमीटर दूर है. इसे छत्तीसगढ़ का शिमला और छत्तीसगढ़ का तिब्बत भी कहा जाता है. यहां बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. यह क्षेत्र अब एक प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है.