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Doctors Gave New Life To Child : जगदलपुर में दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को मिला दूसरा जीवन, डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान - दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को मिली दूसरी जिंदगी

Doctors Gave New life To Child जगदलपुर में दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को नई जिंदगी मिली है. जिस वक्त बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया था उसकी हालत खराब थी.लेकिन मेडिकल टीम की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार बच्चा मौत के मुंह से बाहर आ सका.

Feat Of Doctors In Jagdalpur
डॉक्टरों ने मौत के मुंह से बच्चे को निकाला
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Published : Aug 12, 2023, 7:43 PM IST

दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को मिली दूसरी जिंदगी

जगदलपुर : डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल की टीम ने एक बार फिर कारनामा कर दिखाया है. मेडिकल टीम ने दिमागी बुखार से पीड़ित एक बच्चे को नई जिंदगी दी है. इस बच्चे को 9 अगस्त के दिन गंभीर हालत में डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लाया गया था. इसके बाद बच्चे की स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया. लगातार तीन दिनों तक डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की मॉनिटिरिंग के साथ इलाज किया. जिसके बाद बच्चा खतरे से बाहर आया.आपको बता दें कि बच्चे के पिता सीआरपीएफ जवान हैं.

कैसी थी बच्चे की हालत ? : आपको बता दें कि जब बच्चे को अस्पताल लाया गया था तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.दवाई और इंजेक्शन के बाद भी बच्चे की हालत में सुधार नहीं हो रहा था.ऐसे में बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तत्काल उसे वेंटिलेटर पर रखा.मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लाने से पहले बच्चे का इलाज सीआरपीएफ बटालियन करणपुर अस्पताल में चल रहा था.फिलहाल बच्चे की हालत खतरे से बाहर है.

''CRPF जवान रविंद पॉल ने 9 अगस्त को अपने बच्चे को बुखार होने के बाद CRPF अस्पताल में दवा करवाया. इसके बावजूद भी बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. उसे लगातार झटके आने लगे. जिसे देखते हुए परिजनों ने बच्चे को डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया.अस्पताल में पता चला कि बुखार बच्चे के दिमाग पर चढ़ गया है. जिसके कारण बच्चे की स्थिति खराब हो रही है. उसे तत्काल वेंटीलेटर में रख दिया गया.जांच के दौरान पता चला कि बच्चे को Acute Encephalitis Synonyms A.E.S. Diagnosis था.'' डॉ.अनुरूप साहू,अस्पताल अधीक्षक

क्रिटिकल वक्त में डॉक्टरों ने नहीं हारी हिम्मत : डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि उसके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था. बीमारी का पता लगते ही डॉक्टरों की टीम बच्चे के इलाज में जुटी. तीन दिन तक लगातार मॉनिटरिंग करते हुए इलाज के बाद बच्चा खतरे से बाहर आ सका.जल्द ही बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. बच्चे के इलाज में एचओडी डॉ अनुरूप साहू, डॉ डीआर. मंडावी, डॉक्टर पुष्पराज, डॉ मधुराधा, डॉक्टर बबिता, डॉ पालाराम मीणा, डॉ अंबिका, डॉक्टर हर्ष, डॉक्टर बलदेव और स्टाफ नर्स कुमारी उपासना चंद्रवंशी ने अहम भूमिका निभाई.

क्या है एन्सेफेलाइटिस या दिमागी बुखार : एन्सेफलाइटिस दिमाग में सूजन की स्थिति को कहा जाता है. इसके लक्षण बहुत हल्के और फ्लू जैसे होते हैं. जैसे बुखार, मांसपेशी या जोड़ों का दर्द, थकान या कमजोरी और सिरदर्द. अगर इलाज नहीं किया जाता है, तो एन्सेफलाइटिस के कारण भूलने की समस्या, बोलने सुनने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत होती है.

सबसे ज्यादा जानलेवा है फेफड़े का कैंसर,तुरंत करवाए इलाज
मधुमक्खियों के डंक से होगा कैंसर का इलाज, बीएचयू में हो रहा शोध
फिजियोथेरेपी से बिना ऑपरेशन हो सकता है इलाज

एन्सेफेलाइटिस का इलाज : आमतौर पर एन्सेफलाइटिस के लिए उपचार में बेडरेस्ट जरुरी होता है. खानपान में तरल पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. सिरदर्द और बुखार से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन और नैप्रोक्सेन सोडियम एंटी इंफ्लैमेटरी दवाएं डॉक्टर की सलाह पर दी जाती हैं. यदि वायरल संक्रमण के कारण एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है, तो एसाइक्लोविर, गैन्सीक्लोविर और फोस्कार्नेट जैसी एंटी वायरल दवाएं देने का विकल्प होता है.

दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चे को मिली दूसरी जिंदगी

जगदलपुर : डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल की टीम ने एक बार फिर कारनामा कर दिखाया है. मेडिकल टीम ने दिमागी बुखार से पीड़ित एक बच्चे को नई जिंदगी दी है. इस बच्चे को 9 अगस्त के दिन गंभीर हालत में डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लाया गया था. इसके बाद बच्चे की स्थिति को देखते हुए वेंटिलेटर पर रखा गया. लगातार तीन दिनों तक डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की मॉनिटिरिंग के साथ इलाज किया. जिसके बाद बच्चा खतरे से बाहर आया.आपको बता दें कि बच्चे के पिता सीआरपीएफ जवान हैं.

कैसी थी बच्चे की हालत ? : आपको बता दें कि जब बच्चे को अस्पताल लाया गया था तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी.दवाई और इंजेक्शन के बाद भी बच्चे की हालत में सुधार नहीं हो रहा था.ऐसे में बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने तत्काल उसे वेंटिलेटर पर रखा.मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लाने से पहले बच्चे का इलाज सीआरपीएफ बटालियन करणपुर अस्पताल में चल रहा था.फिलहाल बच्चे की हालत खतरे से बाहर है.

''CRPF जवान रविंद पॉल ने 9 अगस्त को अपने बच्चे को बुखार होने के बाद CRPF अस्पताल में दवा करवाया. इसके बावजूद भी बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. उसे लगातार झटके आने लगे. जिसे देखते हुए परिजनों ने बच्चे को डिमरापाल अस्पताल में भर्ती कराया.अस्पताल में पता चला कि बुखार बच्चे के दिमाग पर चढ़ गया है. जिसके कारण बच्चे की स्थिति खराब हो रही है. उसे तत्काल वेंटीलेटर में रख दिया गया.जांच के दौरान पता चला कि बच्चे को Acute Encephalitis Synonyms A.E.S. Diagnosis था.'' डॉ.अनुरूप साहू,अस्पताल अधीक्षक

क्रिटिकल वक्त में डॉक्टरों ने नहीं हारी हिम्मत : डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि उसके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था. बीमारी का पता लगते ही डॉक्टरों की टीम बच्चे के इलाज में जुटी. तीन दिन तक लगातार मॉनिटरिंग करते हुए इलाज के बाद बच्चा खतरे से बाहर आ सका.जल्द ही बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा. बच्चे के इलाज में एचओडी डॉ अनुरूप साहू, डॉ डीआर. मंडावी, डॉक्टर पुष्पराज, डॉ मधुराधा, डॉक्टर बबिता, डॉ पालाराम मीणा, डॉ अंबिका, डॉक्टर हर्ष, डॉक्टर बलदेव और स्टाफ नर्स कुमारी उपासना चंद्रवंशी ने अहम भूमिका निभाई.

क्या है एन्सेफेलाइटिस या दिमागी बुखार : एन्सेफलाइटिस दिमाग में सूजन की स्थिति को कहा जाता है. इसके लक्षण बहुत हल्के और फ्लू जैसे होते हैं. जैसे बुखार, मांसपेशी या जोड़ों का दर्द, थकान या कमजोरी और सिरदर्द. अगर इलाज नहीं किया जाता है, तो एन्सेफलाइटिस के कारण भूलने की समस्या, बोलने सुनने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत होती है.

सबसे ज्यादा जानलेवा है फेफड़े का कैंसर,तुरंत करवाए इलाज
मधुमक्खियों के डंक से होगा कैंसर का इलाज, बीएचयू में हो रहा शोध
फिजियोथेरेपी से बिना ऑपरेशन हो सकता है इलाज

एन्सेफेलाइटिस का इलाज : आमतौर पर एन्सेफलाइटिस के लिए उपचार में बेडरेस्ट जरुरी होता है. खानपान में तरल पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. सिरदर्द और बुखार से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन, इबुप्रोफेन और नैप्रोक्सेन सोडियम एंटी इंफ्लैमेटरी दवाएं डॉक्टर की सलाह पर दी जाती हैं. यदि वायरल संक्रमण के कारण एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है, तो एसाइक्लोविर, गैन्सीक्लोविर और फोस्कार्नेट जैसी एंटी वायरल दवाएं देने का विकल्प होता है.

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